अटॉर्नी जनरल ने सूखा प्रभावित राज्यों को राहत दिए जाने के मामले पर सुप्रीम कोर्ट में सरकार का पक्ष रखा
नई दिल्ली:
अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने उच्चतम न्यायालय से कहा कि न्यायाधीश सरकार नहीं चला सकते और उसे चमत्कार करने को नहीं कह सकते. सूखा प्रभावित राज्यों में राहत उपायों के लिए दायर जनहित याचिका में एनजीओ स्वराज अभियान की ओर दी गई ताजा दलीलों का विरोध करते हुए वेणुगोपाल ने यह टिप्पणी की.
न्यायमूर्ति मदन बी. लोकुर की अध्यक्षता वाली पीठ ने केंद्र को निर्देश दिया कि वह राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा कानून- 2013 के तहत राज्य खाद्य आयोगों का गठन करे और ऐसा उन राज्यों में भी करे जो सूखा प्रभावित नहीं हैं.
सूखे के हालात से निपटने के लिए सूखा राहत आपदा फंड बनाया जाए: सुप्रीम कोर्ट
वेणुगोपाल ने सामाजिक-राजनीतिक कार्यकर्ता योगेंद्र यादव द्वारा संचालित एनजीओ की तरफ से पेश हुए वकील प्रशांत भूषण की दलीलों का कड़ा विरोध किया और इसे नई दलीलें करार दिया.
पीढ़ियों को विरासत में क्या मिलेगा - बाढ़, सूखा और राहत शिविर!
उन्होंने कहा, हर बार नई दलीलें, नए दस्तावेज दिए जा रहे हैं. यह मुद्दा हमेशा नहीं खिंच सकता. हमने एक विस्तृत हलफनामा दाखिल कर अपनी ओर से उठाए जा रहे कदमों के बारे में बताया है. इसका कहीं तो अंत होना चाहिए. माननीय न्यायाधीशगण सरकार नहीं चला सकते.
VIDEO: सूखा पीड़ितों को राहत नहीं, मनरेगा के तहत नहीं मिल रहा काम अटॉर्नी जनरल ने कहा, ‘हमें चमत्कार करने के लिए नहीं कहा जा सकता, क्योंकि यह बहुत बड़ा काम है. हम राज्य सरकारों को राजी करने की कोशिश कर रहे हैं ताकि सबसे बेहतर चीज हो सके. सरकार इस मुद्दे पर चिंतित है और सर्वश्रेष्ठ तरीका अपना रही है. लेकिन हमें कुछ वक्त दें, हो सके तो छह महीने.’
(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
न्यायमूर्ति मदन बी. लोकुर की अध्यक्षता वाली पीठ ने केंद्र को निर्देश दिया कि वह राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा कानून- 2013 के तहत राज्य खाद्य आयोगों का गठन करे और ऐसा उन राज्यों में भी करे जो सूखा प्रभावित नहीं हैं.
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वेणुगोपाल ने सामाजिक-राजनीतिक कार्यकर्ता योगेंद्र यादव द्वारा संचालित एनजीओ की तरफ से पेश हुए वकील प्रशांत भूषण की दलीलों का कड़ा विरोध किया और इसे नई दलीलें करार दिया.
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उन्होंने कहा, हर बार नई दलीलें, नए दस्तावेज दिए जा रहे हैं. यह मुद्दा हमेशा नहीं खिंच सकता. हमने एक विस्तृत हलफनामा दाखिल कर अपनी ओर से उठाए जा रहे कदमों के बारे में बताया है. इसका कहीं तो अंत होना चाहिए. माननीय न्यायाधीशगण सरकार नहीं चला सकते.
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(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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