जवाहर लाल नेहरू यूनिवर्सिटी देशद्रोह केस (JNU Sedition Case) में दाखिल की गई चार्जशीट में दिल्ली पुलिस (Delhi Police) ने 6 मोबाइल फोन से मिली वीडियो फुटेज का जिक्र किया है. इनमें से तीन मोबाइल फोन एबीवीपी (ABVP) से जुड़े छात्रों और एक पुलिसकर्मी का है. इसके अलावा पुलिस ने एक चैनल और उसकी डिबेट का वीडियो फुटेज भी सबूत के तौर पर दिया है. चार्जशीट (JNU Chargesheet) में कुल 12 वीडियो को शामिल किया गया है. चार्जशीट के मुताबिक जेएनयू के छात्र जसप्रीत सिंह के आईफोन से 13 वीडियो मिले हैं, उसे जब्त कर लिया गया. वहीं उस वक्त जेएनयू छात्र संघ के ज्वाइंट सेक्रेट्री एबीवीपी नेता सौरभ शर्मा के फोन से भी इस घटना के 14 वीडियो मिले हैं, वहीं एबीवीपी से ही जुड़े छात्र आलोक कुमार के मोबाइल से 20 वीडियो मिले हैं. इसके अलावा एबीवीपी से जुड़े एक अन्य छात्रा ओंकार श्रीवास्तव के मोबाइल से इस घटना से जुड़ा एक वीडियो मिला है.
जेएनयू के ही एक अन्य छात्र आनंद कुमार के मोबाइल भी जब्त किया गया है, उससे भी कुछ सबूत मिले हैं. वहीं उस वक्त वहां मौजूद दिल्ली पुलिस के कांस्टेबल धर्मवीर के मोबाइल से भी 20 मिनट का वीडियो मिला है. इसके साथ ही एक चैनल के कैमरे और उसमें मिले वीडियो को जब्त कर लिया है. इस वीडियो से 11 स्क्रीनशॉट निकाल गए, जिसके जरिए आरोपियों की पहचान हुई. 10 फरवरी 2016 को उसी चैनल की एक डिबेट के वीडियो फुटेज को भी सबूत के तौर पर पेश किया गया
JNU देशद्रोह मामला: चार्जशीट के लिए पुलिस को दिल्ली सरकार ने अब तक नहीं मिली है अनुमति
चार्जशीट में पुलिस ने आरोपियों के बीच 13 ईमेल का भी जिक्र किया है. चार्जशीट के मुताबिक उमर खालिद और अनिर्बान भट्टाचार्य के बीच ऐसे कई ईमेल भेजे गए, जिसमें ऐसे पोस्टर थे जो भारत से नफरत और अफजल गुरु और मकबूल भट्ट द्वारा किये गए काम को तारीफ से भरे थे. आरोपियों के बीच 9 फरवरी 2016 की घटना के बाद जो ईमेल हुए उनमें कुछ घबराहट भी दिखी. एक ईमेल में कहा गया, 'हमें ये बिल्कुल साफ करना है कि यह कार्यक्रम अफजल गुरु और मकबूल भट्ट की फांसी के विरोध में किया गया था, जिनकी न्यायिक हत्या हुई थी, ये कश्मीरियों की स्वायत्तता का भी सवाल है.'
वहीं इस चार्जशीट को लेकर नई बात सामने आई है. दरअसल, जेएनयू मामले में कन्हैया कुमार व अन्य के खिलाफ दायर चार्जशीट के लिए दिल्ली सरकार ने अब तक दिल्ली पुलिस को अनुमति नहीं दी है. बता दें, इस मामले में दिल्ली पुलिस ने तीन साल का समय लिया और अब जाकर चार्जशीट दाखिल हो पाई है. चार्जशीट दाखिल होने के बाद कन्हैया कुमार ने कहा था कि उन्हें इस मामले की कोई जानकारी नहीं दी गई है. लेकिन अगर यह सच है तो दिल्ली पुलिस को इस मामले में सबूत पेश करना चाहिए.
दरअसल, देशद्रोही मामले में दिल्ली पुलिस को दिल्ली सरकार के अनुमति लेनी होती है और यह दिल्ली सरकार का लॉ डिपार्टमेंट देता है. इतना ही नहीं, अनुमति लेने के लिए फाइल एलजी के पास भी जाती है. अगर परमिशन नहीं मिली तो चार्जशीट पर कोर्ट संज्ञान नहीं लेगा. बता दें कि 19 जनवरी को मामले की कोर्ट में सुनवाई होनी है. बताया जा रहा है कि पुलिस ने जिस दिन चार्जशीट पेश की उसी दिन परमिशन के लिए अप्लाई किया था.
कन्हैया कुमार ने कहा- चार्जशीट चुनावी स्टंट, मोदी सरकार को धन्यवाद
VIDEO- जेएनयू मामले में आम चुनाव से तीन महीने पहले ही चार्जशीट क्यों?
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