जवाहर लाल नेहरू यूनिवर्सिटी (JNU) में देश विरोधी नारे लगाने के मामले पर दिल्ली पुलिस की चार्जशीट को अभी तक दिल्ली सरकार ने अनुमति नहीं दी है. दिल्ली पुलिस (Delhi Police) पटियाला हाउस कोर्ट में अपनी चार्जशीट दाखिल कर चुकी है, लेकिन पुलिस ने चार्जशीट (JNU Chargesheet) दाखिल करने से पहले दिल्ली सरकार (Delhi Govt) से मंजूरी नहीं ली थी. देशद्रोह के मामले में चार्जशीट पर कोर्ट राज्य सरकार की मंजूरी के बिना सुनवाई नहीं कर सकती.
ऐसे में कोर्ट में दिल्ली पुलिस ने बताया कि देशद्रोह के आरोपों पर दिल्ली सरकार की ओर से कोई अनुमति नहीं मिली है. इस पर कोर्ट ने दिल्ली सरकार को फटकार लगाई और पूछा कि फाइल कहां अटकी हुई है. जांच अधिकारी ने कोर्ट से कहा कि फाइल दिल्ली सरकार के पास है तो कोर्ट ने कहा कि उनको बोलो मामले को निपटाएं, ऐसे फाइल लेकर कैसे बैठ सकते हैं. इसके बाद कोर्ट ने चार्जशीट पर सुनवाई 28 फरवरी तक टाल दी.
दरअसल, देशद्रोह मामले में दिल्ली पुलिस को दिल्ली सरकार के अनुमति लेनी होती है और यह दिल्ली सरकार का लॉ डिपार्टमेंट देता है. इतना ही नहीं, अनुमति लेने के लिए फाइल एलजी के पास भी जाती है. अगर परमिशन नहीं मिली तो चार्जशीट पर कोर्ट संज्ञान नहीं लेगा. बताया जा रहा है कि पुलिस ने जिस दिन चार्जशीट पेश की उसी दिन परमिशन के लिए अप्लाई किया था.
दिल्ली पुलिस द्वारा दायर चार्जशीट सेक्शन-124 A,323,465,471,143,149,147,120B के तहत पेश की गई है. चार्जशीट में कुल 10 मुख्य आरोपी बनाए हैं जिसमें कन्हैया कुमार, उमर खालिद और अनिर्बान भट्टाचार्य हैं. चार्जशीट में मुख्य आरोपी कन्हैया कुमार, अनिर्बान भट्टाचार्य, उमर खालिद, सात कश्मीर छात्र और 36 अन्य लोग हैं. चार्जशीट के मुताबिक कन्हैया कुमार ने भी देश विरोधी नारे लगाए थे. गवाहों के हवाले से चार्जशीट में बताया गया है कि कन्हैया कुमार ने भी देश विरोधी नारे लगाए थे. पुलिस को कन्हैया का भाषण देते हुए एक वीडियो भी मिला है. इसके साथ ही कहा गया है कि कन्हैया को पूरे कार्यक्रम की पहले से जानकारी थी. चार्जशीट में जिन सात कश्मीरी छात्रों के नाम हैं, उनसे पूछताछ हो चुकी है.
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कन्हैया कुमार,उमर खालिद और अनिर्बान भट्टाचार्य और 7 कश्मीरी छात्रों के नाम कॉलम नंबर 11 में रखे गए हैं. कॉलम नंबर 11 का मतलब ये होता है कि इन आरोपियों के खिलाफ पुख्ता सबूत हैं और इन पर केस चलाया जा सकता है. बाकी 36 लोगों के नाम कॉलम नंबर 12 में रखा गया है जिनमें डी राजा की बेटी अपराजिता और शहला राशिद भी शामिल हैं. कॉलम नंबर 12 का मतलब ये हैं कि ये आरोपी तो हैं लेकिन जांच में पुलिस को इनके खिलाफ सबूत नहीं मिले. कोर्ट चाहे तो इन्हें समन कर सकता है. देशद्रोह,दंगा भड़काना, अवैध तरीके से इकठ्ठा होना और साज़िश के आरोप में पेश होगी चार्जशीट .कुल 46 आरोपी हैं.
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पुलिस सूत्रों के मुताबिक इस मामले में सबूत के तौर पर घटना के वक़्त के कई वीडियो फुटेज, जो सीबीआई की सीएफएसएल (CFSL) में जांच के लिए भेजे गए थे और जिसके नमूने पॉजिटिव पाए गए थे, इसके अलावा मौके पर मौजूद कई लोगों के बयान, मोबाइल फुटेज, फेसबुक पोस्ट, बैनर पोस्टर शामिल हैं. वहीं जेएनयू प्रशासन, एबीवीपी के छात्र, सिक्योरिटी गार्ड, औऱ कुछ अन्य छात्र को भी इसमें गवाह बनाया गया है. इस मामले करीब 30 और लोग संदिग्ध पाए गए थे. लेकिन उनके खिलाफ सबूत नहीं मिले थे.
तय आरोपों के अनुसार कन्हैया को पूरे कार्यक्रम की जानकारी पहले से थी. सात कश्मीरी छात्रों जिनके नाम चार्जशीट में हैं. उनसे भी पूछताछ की जा चुकी हैं, पर इन्हें बिना गिरफ्तारी के चार्जशीट किया गया है. कुल 1200 पेज की चार्जशीट है. इस ममाले में 90 गवाह बनाए गए हैं.
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आरोपी सभी कश्मीरी छात्र जामिया अलीगढ़ और जेएनयू के छात्र हैं. सबूत के तौर पर करीब 10 वीडियो क्लिप अहम सबूत हैं, जिनकी जांच CBI की CFSL में हुई थी. दिल्ली पुलिस ने अपनी चार्जशीट में गवाहों के बयानों के आधार पर यह बताया है कि कन्हैया ने देश विरोधी नारे लगाए लगाए थे. जो वीडियो मिले हैं उनसे ये पता चलता है कि कन्हैया वहां थे. जो वीडियो भाषण वाला है उसमें क्या है? ये साफ नहीं किया.
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