जेएनयू के पूर्व छात्रसंघ अध्यक्ष कन्हैया कुमार (Kanhaiya Kumar) ने जेएनयू (JNU) में फीस बढो़तरी के विवाद पर अपने फेसबुक वॉल पर पोस्ट लिखा है. उन्होंने इस पोस्ट का टाइटल दिया है 'फीस बढ़ाना जरूरत या साजिश?' कन्हैया ने लिखा, 'जेएनयू (JNU) की फ़ीस बढ़ाकर और लोन लेकर पढ़ने का मॉडल सामने रखकर सरकार ने एक बार फिर साफ़ कर दिया है कि विकास की उसकी परिभाषा में हमारे गांव-कस्बों के लोग शामिल ही नहीं हैं. जिन किसान-मजदूरों के टैक्स के पैसे से विश्वविद्यालय बना, उनके ही बच्चों को बाहर का रास्ता दिखाया जाएगा तो देश के युवा चुप बैठेंगे, ऐसा हो ही नहीं सकता.'
फ़ीस बढ़ाना ज़रूरत या साज़िश?
— Kanhaiya Kumar (@kanhaiyakumar) November 19, 2019
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कन्हैया ने लिखा, 'सरकार अभी सब कुछ बेच देने के मूड में है. देश के लोगों के टैक्स के पैसे से बने सरकारी उपागम लगातार निजी क्षेत्र के हवाले किए जा रहे हैं. हर साल दिल खोलकर अमीरों के करोड़ों अरबों रुपए के लोन माफ़ करने वाली ये सरकार सरकारी शिक्षण संस्थानों के बजट में लगातार कटौती कर रही है और शिक्षा को बाज़ार के हवाले कर रही है. सरकारी स्कूलों की हालत किसी से छुपी नहीं है और निजी स्कूल देश की बहुसंख्यक आबादी के बजट से बाहर हो चुके हैं.'
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उन्होंने कहा, 'दम तोड़ते इन्ही सरकारी स्कूलों से पढ़कर अखिल भारतीय प्रवेश परीक्षा पास करके जब गरीबों के बच्चे देश के सर्वश्रेठ विश्वविद्यालय में पहुंच रहे हैं तो ये बात भी देश के करोड़पति सांसदों और सरकार के राग-दरबारियों को अखर रही है. शिक्षा के जेएनयू मॉडल पर लगातार हमला इसलिए किया जा रहा है ताकि जिओ यूनिवर्सिटी के मॉडल को देश में स्थापित किया जा सके जहां सिर्फ अमीरों के बच्चे उच्च शिक्षा प्राप्त कर सकें.'
कन्हैया ने कहा, 'फूको ने कहा है कि “नॉलेज इज पॉवर.” देश के सामाजिक, राजनीतिक और आर्थिक संसाधनों पर कब्ज़ा करके रखने वाले लोग गरीबों को ज्ञान प्राप्ति से भी दूर कर देना चाहते हैं और इसीलिए इन्हें जेएनयू मॉडल से इतनी नफरत है.' कन्हैया ने अपने फेसबुक वॉल पर इस मुद्दे को लेकर लंबा-चौड़ा लेख लिखा है.
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