15 नवबंर 2000 को अलग झारखंड राज्य बनने के बाद यह झारखंड का चौथा विधानसभा चुनाव है. इससे पहले हुए तीन विधानसभा चुनावों में सिर्फ 2014 के चुनाव में NDA को पूर्ण बहुमत मिला था. लेकिन भाजपा को इस चुनाव में केवल 37 सीटें मिली थी, उसने आजसू के साथ मिलकर सरकार बनाई थी. 2004 और 2009 के विधानसभा चुनावों में किसी भी एक दल को बहुमत नहीं मिला था. 2000 में अलग राज्य बनने के बाद निर्दलीय और समता पार्टी के विधायकों को मिला कर भाजपा ने सरकार बनाई थी. लेकिन 28 महीने बाद ही बीजेपी को राज्य में नेतृत्व परिवर्तन करना पड़ा, बाबूलाल मरांडी को हटा कर अर्जुन मुंडा को मुख्यमंत्री बनाया गया था.
जमशेदपुर पूर्व से मुख्यमंत्री रघुवर दास आगे, हेमंत सोरेन एक सीट से आगे एक पर पीछे
2005 के विधान सभा चुनाव में किसी भी पार्टी को बहुमत नहीं मिला थी, बीजेपी ने निर्दलीय विधायाकों के समर्थन से सरकार बनाई थी. लेकिन बाद में बदले राजनीतिक घटनाक्रम में निर्दलीय विधायकों ने बीजेपी सरकार से समर्थन वापस ले कर मधु कोड़ा के नेतृत्व में कांग्रेस और जेएमएम के समर्थन से सरकार बना ली. साल 2009 के विधानसभा चुनाव में एक बार फिर राज्य में खंडित जनादेश मिला था, बीजेपी और जेएमएम को 18-18 सीटें मिली थी जबकि JVM और कांग्रेस गठबंधन को 25 सीटों पर जीत मिली थी. इसके बाद भाजपा और जेएमएम ने अन्य छोटे दलों के साथ मिलकर सरकार बनाई थी. लेकिन यह सरकार ज्यादा दिन नहीं चल पाई. इसके बाद राज्य में राजनीतिक अस्थिरता देखने को मिली थी.
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फिर साल 2014 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी-आजसू गठबंधन को 42 सीटों पर जीत मिली थी वहीं जेएमएम को 19, JVM को 8 और कांग्रेस को 6 सीटों पर जीत मिली थी. बाद में JVM के 6 विधायक बीजेपी में शामिल हो गये थे. रघुबर दास के नेतृत्व में बीजेपी ने 5 वर्ष तक राज्य में शासन किया.
सवाल इस बार भी यही उठ रहा है कि क्या इस बार भी राज्य में किसी भी एक पार्टी को स्पष्ट बहुमत नहीं मिलेगा. अभी तक के रुझानों में किसी भी सिंगल पार्टी को बहुमत मिलता हुआ नहीं दिख रहा है.
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