ऑल झारखंड स्टूडेंट यूनियन (आजसू) के प्रमुख सुदेश महतो झारखंड की राजनीति में तेजी से उभर कर सामने आए हैं. उनकी पार्टी राज्य के मौजूदा विधानसभा चुनाव में बगैर बीजेपी के समर्थन के मैदान में उतरी थी. चुनाव पूर्व गठबंधन नहीं होने के बाद भी आजसू ने पूरे राज्य में मजबूती दर्ज करवाई. आजसू ने 81 विधानसभा सीटों में से 53 पर अपने उम्मीदवार उतारे थे, जिनमें लगभग आधे दर्जन सीटों पर पार्टी अच्छी हालत में दिख रही है. इससे पहले 2014 के विधानसभा चुनाव में आजसू बीजेपी के साथ गठबंधन कर चुनाव में 8 सीटों पर उतरी थी, जिनमें 5 सीटों पर पार्टी को जीत मिली थी.
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छात्र राजनीति से आने वाले सुदेश महतो पहली दफा 2000 में अविभाजित बिहार के समय हुए चुनाव में मात्र 26 वर्ष की उम्र में विधानसभा पहुंचे थे. अलग झारखंड राज्य बनने के बाद सुदेश महतो ने बाबूलाल मरांडी के नेतृत्व वाली सरकार का समर्थन किया था. सरकार में उन्हें सड़क निर्माण मंत्री बनाया गया था. बाद में सुदेश महतो 29 दिसंबर 2009 को झारखंड के उप मुख्यमंत्री बने. तब उन्हें एक प्रतिष्ठित पत्रिका ने यूथ आइकॉन ऑफ इंडिया घोषित किया था. सुदेश महतो सन 2000, 2005 और 2009 में सिल्ली विधानसभा सीट से विधायक चुने गए थे.
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हालांकि, सुदेश महतो की पार्टी आजसू पिछले 20 वर्षों में उनके विधानसभा क्षेत्र सिल्ली से निकल कर पूरे राज्य में अपना मजबूत पकड़ बना चुकी है लेकिन 2014 के विधानसभा चुनाव में सुदेश महतो को झामुमों के अमित महतो के हाथों हार का सामना करना पड़ा था. बाद में अमित महतों की विधानसभा की सद्स्यता खत्म हो जाने के बाद हुए उपचुनाव में भी सुदेश महतो को हार का सामना करना पड़ा था. कायास यह लगाए जा रहे थे कि सुदेश महतो इस बार सिल्ली सीट के आलावा किसी अन्य जगह से चुनाव में उतरेंगे लेकिन उन्होंने सिल्ली से ही चुनाव लड़ा.
सुदेश महतो अपनी राजनीति के आलावा क्रिकेट प्रेम और महेंद्र सिंह धोनी के साथ दोस्ती के लिए भी चर्चाओं में रहते हैं. राजनीति में आने के बाद भी उन्हों ने अपने खेल प्रेम और पढ़ाई को जारी रखा, हालांकि क्रिकेट के पिच पर उन्हें झारखंड क्रिकेट संघ के अध्यक्ष पद के चुनाव में अमिताभ चौधरी के हाथों हार का समाना करना पड़ा था. सुदेश महतो ने 2011 में उन्होंने नालंदा ओपन यूनिवर्सिटी से बीए पास किया और साल 2013 में उन्होंने एमए की है.
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