झारखंड के मुख्यमंत्री रघुबर दास (फाइल फोटो)
पटना:
झारखंड के मुख्यमंत्री , रघुबर दास को गुस्सा आखिर क्यों आता है ...। उनके समर्थक से लेकर विरोधी इन दिनों इस सवाल का जवाब खोजने में लगे हैं। रघुबर दास सार्वजनिक मंच पर सरकारी कार्यक्रमों में अधिकारियों पर छोटी-छोटी गलतियां के कारण जैसे आग बबूला होते हैं... उसके बाद सवाल खड़े हो रहे हैं, क्या वे अनुशासन प्रिय हैं या अपने गुस्से को रोकने में असफल मुख्यमंत्री...!
मंच के सामने से गुजरने वाले को सस्पेंड करो!
दरअसल रविवार को बजट पूर्व एक बैठक में भाग लेने वे धनबाद के कोयला नगर सभागार पहुंचे। सबसे पहले बोकारो के जिला अधिकारी मनोज कुमार को मोबाइल पर बात करते देख उन्हें हाल छोड़कर जाने के लिए आदेश दिया। फिर आधे घंटे बाद उन्हें वापस बुला लिया। लेकिन अपने भाषण के दौरान एक स्थानीय अधिकारी अनिल कुमार सिंह को मंच के सामने से जाते देख वे आग बबूला हो गए और यहां तक कह डाला कि " कौन बदतमीज इंसान है, इसको सस्पेंड करो। "
...फटकार के बिना गंभीरता नहीं
निश्चित रूप से मुख्यमंत्री का आदेश था इसलिए सब अधिकारी सकते में आ गए। लेकिन सार्वजनिक मंच से छोटी-छोटी बातों पर मुख्यमंत्री का अधिकारियों के लिए ऐसी भाषा का प्रयोग निश्चित रूप से आने वाले दिनों में एक बार मुद्दा बनेगा। हालांकि यह स्पष्ट नहीं है कि फिलहाल मुख्यमंत्री की फटकार के बाद अनिल सिंह के निलंबन का आदेश निकला या नहीं। हां लेकिन पिछले साल तत्कालीन मुख्य सचिव, सजल चक्रवर्ती को बैठक से बाहर जाने के आदेश के बाद शायद राजनीतिक जानकारों के अनुसार मुख्यमंत्री रघुबर दास को लगता हो कि अधिकारियों को जब तक फटकार न लगे तब तक वे उन्हें गंभीरता से न लें।
मंच के सामने से गुजरने वाले को सस्पेंड करो!
दरअसल रविवार को बजट पूर्व एक बैठक में भाग लेने वे धनबाद के कोयला नगर सभागार पहुंचे। सबसे पहले बोकारो के जिला अधिकारी मनोज कुमार को मोबाइल पर बात करते देख उन्हें हाल छोड़कर जाने के लिए आदेश दिया। फिर आधे घंटे बाद उन्हें वापस बुला लिया। लेकिन अपने भाषण के दौरान एक स्थानीय अधिकारी अनिल कुमार सिंह को मंच के सामने से जाते देख वे आग बबूला हो गए और यहां तक कह डाला कि " कौन बदतमीज इंसान है, इसको सस्पेंड करो। "
...फटकार के बिना गंभीरता नहीं
निश्चित रूप से मुख्यमंत्री का आदेश था इसलिए सब अधिकारी सकते में आ गए। लेकिन सार्वजनिक मंच से छोटी-छोटी बातों पर मुख्यमंत्री का अधिकारियों के लिए ऐसी भाषा का प्रयोग निश्चित रूप से आने वाले दिनों में एक बार मुद्दा बनेगा। हालांकि यह स्पष्ट नहीं है कि फिलहाल मुख्यमंत्री की फटकार के बाद अनिल सिंह के निलंबन का आदेश निकला या नहीं। हां लेकिन पिछले साल तत्कालीन मुख्य सचिव, सजल चक्रवर्ती को बैठक से बाहर जाने के आदेश के बाद शायद राजनीतिक जानकारों के अनुसार मुख्यमंत्री रघुबर दास को लगता हो कि अधिकारियों को जब तक फटकार न लगे तब तक वे उन्हें गंभीरता से न लें।
NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं