बिहार के सत्तारूढ़ गठबंधन में उठापटक की खबरों के बीच जदयू (JDU and BJP) ने कहा है कि उनकी पार्टी एनडीए (NDA) के साथ मजबूती से खड़ी है. पटना में जदयू दो दिनी बैठक के बाद लोकसभा में संसदीय दल के नेता राजीव रंजन उर्फ़ ललन सिंह ने कहा कि बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और जनता दल यूनाइटेड NDA के साथ हैं और मज़बूती से एनडीए के साथ रहेंगे.
ललन सिंह ने कहा कि मीडिया में कई तरह की अटकलें हैं. नीतीश कुमार जी के बारे में कभी कोई कहीं भेज दे रहा हैं कभी कोई कहीं भेज दे रहा है. लेकिन हम लोग साफ़ कर देना चाहते हैं कि जदयू मज़बूती से एनडीए में हैं और आगे भी गठबंधन रहेगा. ललन सिंह ने कहा कि पार्टी की बैठक में स्वीकार किया गया कि भले पार्टी की सीटें कम हुई हैं, लेकिन जनाधार कम नहीं हुआ हैं और इससे पार्टी हतोत्साहित नहीं है.
अब सुनिए ललन सिंह की अटकलों पर सफ़ाई कि उनके नेता नीतीश कुमार और उनकी पार्टी जनता दल यूनाइटेड एनडीए में क्यों रहेगी ।@ndtvindia @Anurag_Dwary @NitishKumar pic.twitter.com/7iSfLEJufq
— manish (@manishndtv) January 10, 2021
जदयू की बैठक में हालांकि बिहार इकाई के अध्यक्ष वशिष्ठ नारायण सिंह के बदले उमेश कुशवाहा को नया अध्यक्ष बनाने की घोषणा की. इससे साफ है कि पार्टी अपने आधारभूत कुर्मी-कुशवाहा समीकरण को मज़बूत करना चाहती है. उमेश कुशवाहा ने उपेंद्र कुशवाहा को पराजित कर विधानसभा में प्रवेश किया था. माना जा रहा है कि वो नीतीश कुमार की पसंद हैं, भले पिछले चुनाव में वो पराजित हुए थे. चुनाव में नुकसान के लिए राष्ट्रीय जनता दल पर ठीकरा फोड़ते हुए राजनीतिक प्रस्ताव में कहा गया है कि चुनाव के समय विपक्ष ने युवकों को नौकरी के नाम पर गुमराह करने का प्रयास किया था. यह काल्पनिक और अविश्वसनीय आश्वासन देकर उनके साथ छल करने की कोशिश की गई थी.
उधर, बिहार में मुख्य विपक्षी दल राजद की अगुवाई में महागठबंधन ने भी अपनी रणनीति को धार देना शुरू कर दिया है. महागठबंधन ने कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन तेज करने का ऐलान किया है.रविवार को विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव के घर पर महगठबंधन के सभी दलों के नेताओं की बैठक में इस पर मुहर लगी. विपक्षी नेताओं ने फ़ैसला लिया कि अब इस मुद्दे पर मानव श्रृंखला राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के शहादत दिवस के दिन 30 जनवरी को आयोजित की जाएगी. बैठक के बाद संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए तेजस्वी यादव ने कहा कि पहले वामपंथी दलों द्वारा 25 जनवरी को मानव श्रृंखला का आयोजन किया गया था लेकिन इसे बढ़ाकर अब 30 तारीख़ को कर दिया गया है.
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