जयापुर गांव बनारस से 25 किलोमीटर दूर है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के गोद लेने के बाद इस गांव से तीन किलोमीटर पहले वाले मोड़ पर ही गांव में होने वाले विकास का बोर्ड नज़र आने लगता है। थोड़ा और आगे जाने पर गांव के प्राथमिक विद्यालय का नया नया रंग रोगन, तरह-तरह के स्लोगन विकास की कहानी बयां करते नज़र आते हैं और गांव के पंचायत भवन में तो मेले जैसा माहौल है।
प्राइवेट डॉक्टर आंख का कैम्प लगा कर लोगों की जांच में जुटे नज़र आ रहे हैं।
वाराणसी के नेत्र विशेषज्ञ डॉक्टर आर सिंह ने कहा, "एक आदर्श गांव के रूप में मोदी जी ने इसे चुना है। इसमें हर चीज का विकास होना चाहिए तो स्वास्थ्य भी उसमें एक है, हम नेत्र चिकित्सक हैं तो नेत्र कैम्प लगाए हैं। मरीज को उसके दरवाजे पर नेत्र परिक्षण करके बताएंगे और उसका समाधान किया जाएगा।
गांव वालों के दरवाजे पर सिर्फ नेत्र चिकित्सक ही नहीं आए हैं बल्कि बैंकों ने अपनी शाखा फ़ौरन खोल दी है। जिसमे उन्हें पशुपालन से लेकर खेतीबारी तक हर तरह के ऋण की न सिर्फ जानकारी दी जा रही है, बल्कि आसानी से उपलब्ध भी कराया जा रहा है।
एलआईसी का भी कैम्प लगा है, जहां डिप्टी मैनेजर खुद बैठ कर आसान किस्तों वाली मधुर जीवन पॉलिसी की जानकारी दे रहे हैं।
एलआईसी के डिप्टी मैनेजर ओपी लाम्बा ने कहा, "यह गांव प्रधानमंत्री का चयनित गांव है, यहां तमाम विकास के काम हो रहे हैं। इसी में एलआईसी ने भी इस गांव को चयनित किया है। हम इसे मधुर जीवन बीमा गांव बनाएंगे।
जयापुर गांव के प्रधान प्रतिनिधि की व्यस्तता भी बढ़ गई है। हर रोज़ अलग-अलग विभाग के अफसर इनसे मिल रहे हैं और योजनाओं पर बात कर रहे हैं। हैंडलूम विभाग के रीजनल मैनेजर यहां पर बुनकर केन्द्र खोलने के लिए ज़मीन तलाशने की क़वायद में जुटे हैं।
हैंडलूम विभाग के रीजिनल मैनेजर अनिल सिंह ने कहा, "कृषि के अलावा जो इनका स्पेयर समय है उसमें इनकी आय को बढ़ाना के लिये यहां पर निर्यात संवर्धन केन्द्र की भारत सरकार ने स्वीकृति दी है जिसके लिए जमीन देख रहे हैं। यहां एक कार्पेट ट्रेनिंग इंस्टिट्यूट खोला जाएगा।
प्रधानमंत्री का गांव को गोद लेने के पहले यहां समस्याओं का अम्बार था। छोटे से छोटे काम के लिए इन्हें बनारस या दूसरे ब्लॉकों में जाना पड़ता था। आज डाक्टर से लेकर अधिकारी इनके दरवाजे दरवाजे खूम रहे हैं। लिहाजा गांव वाले बेहद खुश हैं।
जब से मोदी जी ने इस गांव को गोद लिया तबसे इस गांव में विकास का सूरज हर रोज़ परवान चढ़ रहा है। ये अलग बात है कि एस्टेट एजेंसियां अभी उतनी हरक़त में नहीं है, लेकिन जिस तरह सेन्ट्रल एजेन्सी, एनजीयू और प्राइवेट एजेंसिया आ रही हैं। उससे गांव के लोगों को लग रहा है कि उनके गांव की तस्वीर ज़रूर बदलेगी।
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