कांग्रेस के वरिष्ठ नेता जयराम रमेश (Jairam Ramesh) ने शनिवार को कई भाजपा (BJP) शासित राज्यों और पार्टी के नेताओं द्वारा चलाए जा रहे जनसंख्या नियंत्रण (Population Control) एजेंडे की आलोचना करते हुए कहा कि यह अभियान केंद्र सरकार द्वारा पेश की गई जानकारी की अनदेखी करता प्रतीत होता है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) की सरकार के वित्त मंत्रालय द्वारा प्रकाशित 2018-19 के आर्थिक सर्वेक्षण (Economic Survey) के अंश पोस्ट करते हुए, कांग्रेस सांसद ने कहा कि भारत में कई राज्य पहले ही देश की आबादी को बनाए रखने के लिए आवश्यक प्रजनन दर से नीचे गिर चुके हैं.
उन्होंने केंद्र सरकार के दस्तावेज का हवाला देते हुए कहा कि बिहार, उत्तर प्रदेश, राजस्थान, मध्य प्रदेश और झारखंड सहित सभी राज्य 2030 तक इस स्तर पर पहुंच जाएंगे और 2031 तक सभी राज्यों में प्रजनन स्तर प्रतिस्थापन स्तर से नीचे होगा.
केंद्र सरकार के अनुमानों से पता चला है कि भारत को इस साल कुल प्रजनन दर या टीएफआर 2.1 हासिल करने की उम्मीद है. टीएफआर (TFR), जो कि एक महिला के संभावित बच्चों की औसत संख्या को संदर्भित करता है, किसी देश की जनसंख्या को बनाए रखने के लिए 2.1 होना चाहिए.
जयराम रमेश ने कहा, "आर्थिक सर्वेक्षण 2018-19 में मोदी सरकार के अपने अनुमान से भारत के कुछ राज्यों को 2031 तक बढ़ती उम्र की आबादी के लिए तैयार रहना होगा, न कि बढ़ती आबादी के लिए."
जनसंख्या नियंत्रण बहस पर एक थ्रेड:
— Jairam Ramesh (@Jairam_Ramesh) July 17, 2021
डेमोग्राफी में महत्वपूर्ण टिपिंग पॉइंट तब होता है जब प्रजनन क्षमता का प्रतिस्थापन स्तर 2.1 तक पहुंच जाता है। इसके एक या दो पीढ़ी के बाद, जनसंख्या या तो स्थिर हो जाती है या घटती है। ये सबसे पहले 1988 में केरल में हुआ, फिर 5 साल बाद TN में।1/n
अब तक, भारत के अधिकांश राज्यों ने प्रजनन क्षमता के प्रतिस्थापन स्तर को हासिल कर लिया है। 2026 तक, झारखंड, मध्य प्रदेश, राजस्थान और उत्तर प्रदेश भी ऐसा कर लेंगे, जिसमें सबसे अंतिम राज्य बिहार भी 2030 तक कर लेगा। 2/n
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मुझे संदेह है कि भाजपा में ज्यादातर लोग इस बुनियादी तथ्य से अवगत हैं, जो मोदी सरकार द्वारा जुलाई 2019 में संसद में पेश किये गए अपने 2018-19 के आर्थिक सर्वेक्षण में दर्शाया गया था। आप स्वयं देखें। 👇🏾 3/n pic.twitter.com/cT1u2x0OM1
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आर्थिक सर्वेक्षण 2018-19 में मोदी सरकार के अपने अनुमान से, कुछ राज्यों को 2031 तक बढ़ती वृद्ध - आबादी के लिए तैयार रहना होगा, न कि बढ़ती जनसंख्या के लिए। यह महिलाओं को सशक्त बनाने के लिए मौजूदा नीतियों, परिवार नियोजन कार्यक्रमों और सामाजिक-आर्थिक परिवर्तनों से प्रभावित होगा। 4/n pic.twitter.com/y6tmKV6zR7
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यह सब आपको भी स्पष्ट हो जाएगा जब आप 2018-19 के आर्थिक सर्वेक्षण के खंड 1 अध्याय 7 को पढ़ेंगे:https://t.co/MltNEN1Id3
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ईंधन और आवश्यक वस्तुओं की बढ़ती कीमतों पर बढ़ती लोगों की नाराजगी के दौर में भाजपा के सदस्यों ने देश की आबादी पर लगाम लगाने की आवश्यकता पर जोर देना तेज कर दिया है. इसको लेकर आलोचकों का कहना है कि यह अल्पसंख्यकों को टारगेट करने वाला है.
उत्तर प्रदेश और असम जैसे भाजपा शासित राज्य इस जोरआजमाइश में सबसे आगे हैं. ऐसे कानूनों का प्रस्ताव है जो उन जोड़ों को दंडित करेगा जिनके दो से अधिक बच्चे होंगे. उन्हें कल्याणकारी लाभ, सरकारी नौकरी और स्थानीय चुनाव लड़ने के अधिकार से वंचित कर दिया जाएगा.
असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने विशेष रूप से मुसलमानों से "जनसंख्या को कम करने में सहयोग करने" का आग्रह किया है.
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