इसरो प्रमुख को उम्मीद, GSAT-6A उपग्रह से हो सकता है दोबारा संपर्क

सिवन ने विश्वास के साथ कहा, "हम उपग्रह से संपर्क स्थापित करने के लिए सभी आंकड़ों को पूरी बारीकी से जांच रहे हैं."

इसरो प्रमुख को उम्मीद,  GSAT-6A उपग्रह से हो सकता है दोबारा संपर्क

इसरो प्रमुख के. सिवन ( फाइल फोटो )

नई दिल्ली:

उपग्रह जीसैट-6ए के अभी भी सक्रिय रहने के बाद भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी उपग्रह के साथ संपर्क स्थापित करने के लिए दिन-रात मेहनत कर रही है. भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के प्रमुख के. सिवन ने रविवार को यह जानकारी दी. सिवन ने कहा, "हमारे पास उपलब्ध आंकड़े दर्शाते हैं कि उपग्रह के सक्रिय होने के कारण हम इससे संपर्क फिर से कर सकते हैं." इससे पहले, गुरुवार को आंध्र प्रदेश स्थित श्रीहरिकोटा प्रक्षेपण केंद्र से जिओसिंक्रोनस सैटेलाइट लांच व्हीकल (जीएसएलवी) के प्रक्षेपण के दो दिन बाद इसरो ने देर से ही यह स्वीकार किया कि जीसैट-6ए से उसका संपर्क टूट गया है. 
कर्नाटक के हासन स्थित अंतरिक्ष एजेंसी की मुख्य नियंत्रक सुविधा (एमसीएफ) से तीन कक्षाओं से होने के बाद उपग्रह को धरती से 36,000 किलोमीटर ऊपर स्थित इसकी कक्षा में स्थापित होना था. उन्होंने कहा, "पहली दो कक्षाओं में उसने सामान्य रूप से काम किया लेकिन जब तीसरी कक्षा शुरू होने वाली थी, उपग्रह ने प्रतिक्रिया देना बंद कर दिया."​

गुरुवार को भेजे गए कम्युनिकेशन उपग्रह  जीसैट-6 ए में तकनीकी खराबी : सूत्र

सिवन ने विश्वास के साथ कहा, "हम उपग्रह से संपर्क स्थापित करने के लिए सभी आंकड़ों को पूरी बारीकी से जांच रहे हैं." जनवरी में इसरो प्रमुख का पद संभालने वाले सिवन ने हालांकि कहा कि 2000 किलोग्राम वजनी जीसैट-6ए को प्रक्षेपित करने के कार्यक्रम की उन्हें जानकारी नहीं थी. इस परियोजना पर 270 करोड़ रुपये का खर्च अनुमानित था.  एक उपग्रह द्वारा सामान्य रूप से इतने समय बाद संकेत भेज दिया जाता है, लेकिन जीसैट-6ए ने ऐसा नहीं किया. उन्होंने कहा, "हमारा दल उपग्रह से संपर्क स्थापित करने के लिए लगातार प्रयास कर रहा है."

वीडियो : इसरो का संपर्क टूटा

उन्होंने कहा कि साल 2015 में प्रक्षेपित हुआ जीसैट-6 अभी भी समान गति से कार्य कर रहा है जबकि जीसैट-6ए से संपर्क स्थापित करने की कोशिश की जा रही है. उपग्रह से संपर्क स्थापित होने के बाद ही वह अपनी कक्षा में स्थापित हो सकेगा. इस उपग्रह को अगले 10 साल तक उन प्रगतिशील प्रौद्योगिकियों को मंच प्रदान करना था जो उपग्रह आधारित मोबाइल संचार एप्लीकेशन में उपयोगी साबित हो सकती थी.


 

(हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)


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