कोरोनावायरस लॉकडाउन की अवधि में लोन पर EMI पर ब्याज में छूट की याचिका पर बुधवार को फिर सुनवाई हुई. सुनवाई में सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि EMI के ब्याज पर छूट मुमकिन नहीं होगी. इसके पीछे उन्होंने तर्क दिया कि इसका नुकसान बैंकों की आर्थिक स्थिरता पर पड़ेगा. उन्होंने यह भी कहा कि आखिरकार इसका बोझ तो जमाकर्ताओं पर ही पड़ेगा. सुनवाई में बैंकों की तरफ से कहा गया है कि 'किसी मामले पर, सेक्टर से सेक्टर के आधार पर भुगतान के अंतर पर विचार करना होगा. जब तक हम इस सुरंग से बाहर नहीं आते हैं, ये याचिका प्री-मैच्योर है. क्या होगा अगर कृषि क्षेत्र को कल को मदद की जरूरत हो?'
SG तुषार मेहता ने कहा, 'मोहलत की अवधि के दौरान ब्याज की माफी के लिए याचिका बैंक की वित्तीय स्थिरता को जोखिम में डालेगी और जमाकर्ताओं के हितों को खतरे में डालेगी.' इस पर मामले की सुनवाई कर रहे तीन जजों की बेंच में शामिल जस्टिस एमआर शाह ने कहा, 'एक बार जब आप मोहलत को तय कर लेते हैं, तो यह उद्देश्य की पूर्ति के लिए होना चाहिए, जिसके लिए हम चाहते हैं कि ब्याज पर कोई शुल्क न मिले.'
सुप्रीम कोर्ट ने लोन मोहलत को लेकर केंद्र की भी खिंचाई की. कोर्ट ने कहा कि केंद्र सरकार अब खुद को असहाय नहीं बता सकती है. जस्टिस शाह ने कहा, 'सरकार बैंकों पर सब कुछ नहीं छोड़ सकती, दखल पर विचार करना चाहिए.' कोर्ट ने कहा कि केंद्र अब यह नहीं कह सकता है कि यह बैंकों और ग्राहकों के बीच का मामला है. 'यदि आपने मोहलत की घोषणा की है, तो आपको यह सुनिश्चित करना होगा कि लाभ ग्राहकों को उद्देश्यपूर्ण तरीके से मिले. ग्राहक मोहलत का लाभ नहीं ले ले रहे हैं क्योंकि वे जानते हैं कि उन्हें कोई लाभ नहीं मिल रहा है. केंद्र ने रास्ता निकालने के लिए समय लिया लेकिन कुछ नहीं हुआ. केंद्र अब इसे बैंकों को नहीं छोड़ सकता.'
IBA (इंडियन बैंक असोसिएशन) और SBI (स्टेट बैंक ऑफ इंडिया) ने सुनवाई के दौरान मांग की कि अदालत मामले को 3 महीने के लिए टाल दे, इस मामले में सुनवाई ना करे. जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने अगस्त के पहले हफ्ते तक सुनवाई टाल दी है. हालांकि, कोर्ट ने कहा कि केंद्र और आरबीआई मामले की समीक्षा करने को कहा है. कोर्ट ने यह भी कहा कि इंडियन बैंक एसोसिएशन यह देखे कि क्या मोहलत मुद्दे के लिए नए दिशानिर्देश लाए जा सकते हैं.
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