कोरोना की दूसरी लहर में अनाथ हुए बच्चों (Corona Orphaned Child) पर बंगाल और दिल्ली की सरकारों के रवैये को असंवेदनशील बताया गया है. राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (NCPCR) ने यह आरोप लगाया है. आयोग के प्रमुख प्रियंक कानूनगो ने सोमवार को कहा कि कोरोना से अनाथ हुए बच्चों को लेकर इन दोनों सरकारों ने पूरी जानकारी मुहैया नहीं कराई है. आयोग का मानना है कि ऐसे 10 हजार बच्चे हैं, जो प्रभावित हुए हैं. उन्होंने कहा कि कोरोना महामारी की तीसरी लहर की आशंका के मद्देनजर सभी राज्यों को बच्चों के उपचार की पूरी व्यवस्था सुनिश्चित करनी चाहिए.
कानूनगो ने कहा कि अनाथ बच्चों की मदद को लेकर कई राज्यों ने तेजी से काम किया है. लेकिन पश्चिम बंगाल और दिल्ली में इन बच्चों का सर्वे नहीं कराया गया और हमें पूरी जानकारी नहीं दी गई है. अनाथ बच्चों के प्रति इन दोनों सरकारों के रवैये को संवेदनशील नहीं कहा जा सकता. एनसीपीसीआर के पिछले दिनों सुप्रीम कोर्ट को दिए डेटा के मुताबिक 9346 ऐसे बच्चे है जो कोरोना महामारी के कारण बेसहारा और अनाथ हो गए हैं या फिर अपने माता-पिता में से किसी एक को खो दिया है.
एनसीपीसीआर ने ऐसे बच्चों की जानकारी के लिए वेबसाइट ‘बाल स्वराज' शुरू किया है जहां राज्य अपने यहां का डेटा उपलब्ध करा सकते हैं.कोरोना की थर्ड वेव की आशंका का उल्लेख करते हुए कानूनगो ने कहा कि तीसरी लहर में बच्चे प्रभावित होंगे या नहीं, ये विशेषज्ञों की बात है. लेकिन हमें किसी भी परिस्थिति के लिए तैयार रहना चाहिए और बच्चों के इलाज से जुड़े बुनियादी ढांचा मजबूत रखना चाहिए.
कानूनगो के मुताबिक,आईसीएमआर ने हमें बच्चों के इलाज का प्रोटोकॉल दिया है हम इसे पूरे देश में प्रसारित करने में लगे हैं. हमारा प्रयास है कि बच्चों के उपचार के लिए स्वास्थ्यकर्मी पूरी तरह तैयार हो जाएं. एंबुलेंस में बच्चों को लाने-लेजाने के लिए उचित दिशानिर्देशा जारी करने की मांग को लेकर हमने स्वास्थ्य मंत्रालय को पत्र भी लिखा है. एनसीसीपीसीआर प्रमुख ने यह भी कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पीएम केयर्स के जरिए इन अनाथ बच्चों की मदद की जो घोषणा की है, उससे इन बच्चों के भविष्य को संवारने में मदद मिलेगी.
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