बीजेपी नेता किरीट सोमैया को बॉम्बे हाईकोर्ट से राहत मिली है. हाईकोर्ट ने कहा है कि 18 अप्रैल से 22 तक आर्थिक अपराध शाखा इकाई के सामने जाकर जांच में सहयोग करें. अगर पुलिस गिरफ्तार करती है तो तुरंत 50 हजार के बांड पर छोड़ने का आदेश दिया है. बता दें कि वर्ष 2014 में सेवा से बाहर हो चुके विमानवाहक पोत आईएनएस विक्रांत को तोड़े जाने से बचाने के लिए एकत्र 57 करोड़ रुपये से अधिक की राशि से जुड़े कथित वित्तीय अनियमितता के मामले में सोमैया पर मामला दर्ज कराया गया है.
बता दें कि भाजपा नेता किरीट सोमैया ने सत्र अदालत में अपनी अग्रिम जमानत याचिका खारिज होने पर मंगलवार को बंबई उच्च न्यायालय की शरण ली थी. सोमैया ने अपने अधिवक्ता निरंजन मुंदरगी के माध्यम से उच्च न्यायालय में दावा किया था कि सोमवार को जारी किये गये सत्र अदालत के आदेश में त्रुटि है.
I thank Mumbai High Court for granting Interim Relief/Bail.
— Kirit Somaiya (@KiritSomaiya) April 13, 2022
Thackeray Sarkar not produced a single document of ₹57 Crore Vikrant Scam. They are exposed
Our fight against the "Ghotalebaj" Maharashtra Govt will continue till the Dirty Dozen of Thackeray Sarkar gets punishment
अदालत में दायर अपनी याचिका में सोमैया ने कहा था कि शिकायत करने में विलंब किया गया और नौ साल बाद यह शिकायत की गई. उन्होंने कहा कि इस तरह का चंदा शिवसेना और कांग्रेस समेत अन्य पार्टियों द्वारा भी एकत्र किया गया है. सोमैया ने कहा कि अभियान को उन्होंने निजी तौर पर नहीं चलाया था, बल्कि यह पार्टी के स्तर पर था. इसके पहले विशेष न्यायाधीश आरके रोकडे ने सोमैया की याचिका खारिज करते हुए कहा था कि प्रथम दृष्टया सबूत (जिसमें तस्वीर शामिल है) दिखाते हैं कि आईएनएस विक्रांत की देखभाल के लिए राशि एकत्र की गई थी.
अदालत ने यह भी कहा कि सोमैया ने कहा था कि वह महाराष्ट्र के राज्यपाल के पास एकत्र राशि जमा कराने जा रहे हैं, लेकिन राशि राज्यपाल के पास नहीं जमा कराई गई. ट्रांबे पुलिस में दर्ज शिकायत के मुताबिक सोमैया, उनके बेटे नील सोमैया और अन्य ने मुंबई में जगह-जगह दानपत्र लगाकर चंदा एकत्र किया. इस मद में दो हजार रुपये का सहयोग देने वाले एक शिकायतकर्ता ने कहा कि वर्ष 2014 में उसे पता चला कि विक्रांत को तोड़ दिया गया और इस विमानवाहक पोत की 60 करोड़ रुपये में निलामी की गई। आईएनएस विक्रांत ने 1961 से लेकर 1997 तक देश की सेवा की.
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