मुंबई / नई दिल्ली:
बुधवार को विस्फोट के बाद 18 नौसैनिकों सहित डूबी पनडुब्बी आईएनएस सिंधुरक्षक से शुक्रवार को पांच क्षतविक्षत शव बरामद किए गए। नौसेना ने घोषणा कर दी है कि किसी के भी जीवित बचे होने की संभावना नहीं है।
एक अधिकारी ने बताया, "अन्य 13 नौसैनिकों के शवों की तलाश युद्धस्तर पर की जा रही है और देर शाम तक और शव बरामद किए जाने की उम्मीद है।
इन पांच शवों को सरकारी सर जेजे अस्पताल भेजा गया है। वहां इनका शव परीक्षण, डीएनए और अन्य जांच की जाएगी। इनकी पहचान सुनिश्चित करने के बाद शवों को उनके परिजनों को सौंपा जाएगा।"
शवों का निकलना इसलिए धीमी गति हो रहा है क्योंकि एक बार में केवल एक ही गोताखोर पनडुब्बी के भीतर प्रवेश कर काम कर पा रहा है।
तीन शवों के बरामद होने के बाद ही रक्षा मंत्रालय ने पनडुब्बी में किसी के जीवित बचे होने की संभावना से इंकार किया था। पनडुब्बी में जब बुधवार तड़के विस्फोट हुआ तो उसमें 18 नौसैनिक सवार थे।
भारतीय नौसेना ने एक बयान में कहा, "निकाले गए तीन शवों की हालत और पनडुब्बी के भीतर की स्थिति से निष्कर्ष निकलता है कि पनडुब्बी में किसी भी व्यक्ति के जीवित होने की संभावना नहीं है।"
बयान में कहा गया कि नियंत्रण कक्ष के क्षेत्र में हुए नुकसान से संकेत मिला है कि अग्रिम कक्ष में सैनिकों के शवों के पाए जाने की संभावना बहुत अल्प है। विस्फोट का तापमान बहुत अधिक था और उससे इस्पात भी गल गया। इससे संकेत मिलता है कि शव भी जल गए होंगे।
रक्षा मंत्रालय ने डूबी हुई पनडुब्बी में फंसे तीन अधिकारियों व 15 नौसैनिकों के नाम गुरुवार देर रात जारी कर दिए थे।
इनमें तीन अधिकारी लेफ्टिनेंट कमांडर्स निखिलेश पाल, आलोक कुमार व आर. वेंकटराज थे।
चालक दल के सदस्यों में संजीव कुमार, केसी उपाध्याय, टिमोथी सिन्हा (पीओयूडब्ल्यू-1), केवल सिंह (एलएसयूसी-1), सुनील कुमार (सी 1 यूडब्ल्यू-3), दसरी प्रसाद (मेक-आर 2), लिजु लॉरेंस (एलईएमपी), राजेश तूतिका (एलएमई), अमित के. सिंह (एसटीडी-1), अतुल शर्मा और विकास ई. (दोनों सी-1), नरोत्तम देवरी (एमई-1), मलय हलधर (ईएमआर-2), विष्णु वी. (आरओ-2) व सीताराम बाडापल्ली (एलएस आरपी-1) शामिल थे। इनमें से दो अधिकारी व चालक दल के आठ सदस्य विवाहित हैं।
पनडुब्बी में विस्फोट होने व आग लगने के कारणों का अब तक पता नहीं चल सका है।
एक अधिकारी ने बताया, "अन्य 13 नौसैनिकों के शवों की तलाश युद्धस्तर पर की जा रही है और देर शाम तक और शव बरामद किए जाने की उम्मीद है।
इन पांच शवों को सरकारी सर जेजे अस्पताल भेजा गया है। वहां इनका शव परीक्षण, डीएनए और अन्य जांच की जाएगी। इनकी पहचान सुनिश्चित करने के बाद शवों को उनके परिजनों को सौंपा जाएगा।"
शवों का निकलना इसलिए धीमी गति हो रहा है क्योंकि एक बार में केवल एक ही गोताखोर पनडुब्बी के भीतर प्रवेश कर काम कर पा रहा है।
तीन शवों के बरामद होने के बाद ही रक्षा मंत्रालय ने पनडुब्बी में किसी के जीवित बचे होने की संभावना से इंकार किया था। पनडुब्बी में जब बुधवार तड़के विस्फोट हुआ तो उसमें 18 नौसैनिक सवार थे।
भारतीय नौसेना ने एक बयान में कहा, "निकाले गए तीन शवों की हालत और पनडुब्बी के भीतर की स्थिति से निष्कर्ष निकलता है कि पनडुब्बी में किसी भी व्यक्ति के जीवित होने की संभावना नहीं है।"
बयान में कहा गया कि नियंत्रण कक्ष के क्षेत्र में हुए नुकसान से संकेत मिला है कि अग्रिम कक्ष में सैनिकों के शवों के पाए जाने की संभावना बहुत अल्प है। विस्फोट का तापमान बहुत अधिक था और उससे इस्पात भी गल गया। इससे संकेत मिलता है कि शव भी जल गए होंगे।
रक्षा मंत्रालय ने डूबी हुई पनडुब्बी में फंसे तीन अधिकारियों व 15 नौसैनिकों के नाम गुरुवार देर रात जारी कर दिए थे।
इनमें तीन अधिकारी लेफ्टिनेंट कमांडर्स निखिलेश पाल, आलोक कुमार व आर. वेंकटराज थे।
चालक दल के सदस्यों में संजीव कुमार, केसी उपाध्याय, टिमोथी सिन्हा (पीओयूडब्ल्यू-1), केवल सिंह (एलएसयूसी-1), सुनील कुमार (सी 1 यूडब्ल्यू-3), दसरी प्रसाद (मेक-आर 2), लिजु लॉरेंस (एलईएमपी), राजेश तूतिका (एलएमई), अमित के. सिंह (एसटीडी-1), अतुल शर्मा और विकास ई. (दोनों सी-1), नरोत्तम देवरी (एमई-1), मलय हलधर (ईएमआर-2), विष्णु वी. (आरओ-2) व सीताराम बाडापल्ली (एलएस आरपी-1) शामिल थे। इनमें से दो अधिकारी व चालक दल के आठ सदस्य विवाहित हैं।
पनडुब्बी में विस्फोट होने व आग लगने के कारणों का अब तक पता नहीं चल सका है।
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