तास्कंद में एससीओ सम्मेलन से इतर चीनी राष्ट्रपति से मिलते पीएम मोदी
सियोल:
दक्षिण कोरिया की राजधानी सियोल में परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह (एनएसजी) की डिनर के बाद हुई तीन घंटे की बैठक में चीन ने इस समूह की सदस्यता हासिल करने की भारत की कोशिशों के विरोध का नेतृत्व किया, जिसके चलते बैठक बेनतीजा ही खत्म हो गई। 48 सदस्यीय एनएसजी के दो दिवसीय पूर्ण अधिवेशन की शुरुआत गुरुवार को हुई।
चीन ने बार-बार कहा कि भारत की सदस्यता एजेंडा में नहीं है और समझा जाता है कि भारत की कोशिशों पर किसी भी चर्चा को रोकने के लिए हर कोशिश की। हालांकि, यह भी समझा जाता है कि जापान ने सुबह के सत्र में भारत का मामला उठाया, जिसके बाद वह राजी हुआ कि मामले को डिनर के बाद विशेष बैठक में उठाया जाएगा।
भारतीय आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि चीन के साथ ऑस्ट्रिया, आयरलैंड और ब्राजील समेत अन्य देशों ने सवाल किया कि परमाणु अप्रसार संधि (एनपीटी) पर दस्तखत नहीं करने वाले भारत जैसे देश को समूह में कैसे शामिल किया जा सकता है। दरअसल, उनका विरोध सिद्धांत और प्रक्रिया को लेकर रहा।
ब्राजील के ऐतराज ने भारतीय राजनयिकों को हैरान कर दिया, जिन्होंने जिक्र किया कि वह पांच राष्ट्रों वाले 'ब्रिक्स' समूह का सदस्य है। भारत और ब्राजील के अलावा समूह में रूस, चीन और दक्षिण अफ्रीका शामिल हैं। यहां पर मौजूद विदेश सचिव एस जयशंकर ने इससे पहले ब्राजीली प्रतिनिधिमंडल से बातचीत की थी।
अधिकारियों ने बताया कि चर्चा बेनतीजा रही और शुक्रवार को अधिवेशन के समाप्त होने के पहले ही कुछ स्पष्ट हो सकेगा।
भारत एनएसजी की सदस्यता की मांग कर रहा है ताकि वह परमाणु प्रौद्योगिकी का निर्यात और इसका कारोबार कर सके। परमाणु प्रौद्योगिकी के वैश्विक व्यापार का नियमन करने वाली एनएसजी तक पहुंच से ऊर्जा की जरूरत वाले भारत के लिए अंतरराष्ट्रीय बाजार खुलने की संभावना है। भारत एक महत्वाकांक्षी ऊर्जा उत्पादन कार्यक्रम पर काम कर रहा है। भारत का प्रयास 2030 तक परमाणु कार्यक्रम से 63,000 मेगावाट ऊर्जा जरूरत को हासिल करना है।
(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
चीन ने बार-बार कहा कि भारत की सदस्यता एजेंडा में नहीं है और समझा जाता है कि भारत की कोशिशों पर किसी भी चर्चा को रोकने के लिए हर कोशिश की। हालांकि, यह भी समझा जाता है कि जापान ने सुबह के सत्र में भारत का मामला उठाया, जिसके बाद वह राजी हुआ कि मामले को डिनर के बाद विशेष बैठक में उठाया जाएगा।
भारतीय आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि चीन के साथ ऑस्ट्रिया, आयरलैंड और ब्राजील समेत अन्य देशों ने सवाल किया कि परमाणु अप्रसार संधि (एनपीटी) पर दस्तखत नहीं करने वाले भारत जैसे देश को समूह में कैसे शामिल किया जा सकता है। दरअसल, उनका विरोध सिद्धांत और प्रक्रिया को लेकर रहा।
ब्राजील के ऐतराज ने भारतीय राजनयिकों को हैरान कर दिया, जिन्होंने जिक्र किया कि वह पांच राष्ट्रों वाले 'ब्रिक्स' समूह का सदस्य है। भारत और ब्राजील के अलावा समूह में रूस, चीन और दक्षिण अफ्रीका शामिल हैं। यहां पर मौजूद विदेश सचिव एस जयशंकर ने इससे पहले ब्राजीली प्रतिनिधिमंडल से बातचीत की थी।
अधिकारियों ने बताया कि चर्चा बेनतीजा रही और शुक्रवार को अधिवेशन के समाप्त होने के पहले ही कुछ स्पष्ट हो सकेगा।
भारत एनएसजी की सदस्यता की मांग कर रहा है ताकि वह परमाणु प्रौद्योगिकी का निर्यात और इसका कारोबार कर सके। परमाणु प्रौद्योगिकी के वैश्विक व्यापार का नियमन करने वाली एनएसजी तक पहुंच से ऊर्जा की जरूरत वाले भारत के लिए अंतरराष्ट्रीय बाजार खुलने की संभावना है। भारत एक महत्वाकांक्षी ऊर्जा उत्पादन कार्यक्रम पर काम कर रहा है। भारत का प्रयास 2030 तक परमाणु कार्यक्रम से 63,000 मेगावाट ऊर्जा जरूरत को हासिल करना है।
(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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