मुस्लिम महिलाएं (प्रतीकात्मक चित्र)
नई दिल्ली:
राजस्थान में दो मुस्लिम महिलाओं के काजी बनने का दावा करने को लेकर खड़े हुए विवाद की पृष्ठभूमि में देश के प्रमुख मुस्लिम संगठन जमात-ए-इस्लामी हिंद ने रविवार को कहा कि इस मामले पर विवाद गैरजरूरी है क्योंकि निकाह के लिए काजी की जरूरत नहीं है और इस्लाम में महिलाओं को किसी भी तरह की तालीम की मनाही नहीं है।
इसके साथ इस संगठन ने यह भी कि भारत के मुस्लिम समाज ने अब भी महिलाओं को उनके पूरे अधिकार नहीं दिए हैं और ऐसे में यह सुनिश्चित किया जाना जरूरी है कि मुस्लिम औरतों को उनका पूरा हक मिले।
जमात-ए-इस्लामी हिंद के महासचिव मोहम्मद सलीम इंजीनियर ने ‘भाषा’ के साथ बातचीत में कहा, ‘‘काजी को लेकर विवाद गैरजरूरी है क्योंकि निकाह के लिए किसी काजी की जरूरत ही नहीं है। दो गवाहों की मौजूदगी में निकाह हो सकता है। ये गवाह औरतें भी हो सकती हैं।’’ उन्होंने कहा, ‘‘वैसे काजी की कोई पढ़ाई नहीं होती है। पढ़ाई दीन (धर्म) की होती है। काजी को नियुक्त किया जाता है और यह नियुक्ति सरकार की ओर से होती है। यह व्यवस्था इस्लामी शासन में होती है, लेकिन भारत में ऐसी कोई व्यवस्था नहीं है कि किसी को काजी नियुक्त किया जाए। ऐसी स्थिति में काजी को लेकर जो विवाद हो रहा है उसका कोई आधार नहीं है।’’
गौरतलब है कि हाल ही में जयपुर की दो मुस्लिम महिलाओं अफरोज बेगम और जहांआरा ने दावा किया कि दोनों ने मुंबई स्थित मदरसे दारूल उलूम निसवां से दो साल की पढ़ाई की है और अब वे राजस्थान की पहली महिला काजी बन गई हैं। कुछ उलेमाओं ने उनके दावे का विरोध करते हुए कहा कि महिलाएं काजी नहीं हो सकतीं जिसके बाद विवाद खड़ा हो गया।
सलीम इंजीनियर ने कहा, ‘‘मुद्दा यह है कि हमारे यहां के मुस्लिम समाज ने महिलाओं को उनके पूरे हक नहीं दिए हैं। कोशिश यह होनी चाहिए कि महिलाओं को उनके पूरे अधिकार मिलें और हम लोग इसी की कोशिश कर रहे हैं।’’ उन्होंने कहा, ‘‘इस्लाम में महिलाओं को जायदाद में बराबर का हक दिया गया है। सामजिक निर्णयों में उनकी सलाह लेने की बात की गई है। औरतों को तालीम का पूरा हक दिया गया है। परंतु हमारे समाज की ओर से महिलाओं को अब तक इन अधिकारों से वंचित रखा गया है।’’
जमात नेता ने कहा कि कुछ लोगों सिर्फ विवाद पैदा करने के लिए उन मुद्दों को हवा दे रहे हैं जिनसे महिलाओं और समाज का कोई भला नहीं होने वाला है।
उन्होंने कहा, ‘‘मंदिर में महिलाओं के प्रवेश की मनाही को लेकर जो विवाद खड़ा हुआ उसी क्रम में काजी के विवाद को हवा दी गई है, जबकि इसमें कोई मुद्दा ही नहीं है। हमने बार बार कहा है कि इस्लाम में महिलाओं को तालीम हासिल करने में किसी तरह की रोक नहीं है।’’
(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है)
इसके साथ इस संगठन ने यह भी कि भारत के मुस्लिम समाज ने अब भी महिलाओं को उनके पूरे अधिकार नहीं दिए हैं और ऐसे में यह सुनिश्चित किया जाना जरूरी है कि मुस्लिम औरतों को उनका पूरा हक मिले।
जमात-ए-इस्लामी हिंद के महासचिव मोहम्मद सलीम इंजीनियर ने ‘भाषा’ के साथ बातचीत में कहा, ‘‘काजी को लेकर विवाद गैरजरूरी है क्योंकि निकाह के लिए किसी काजी की जरूरत ही नहीं है। दो गवाहों की मौजूदगी में निकाह हो सकता है। ये गवाह औरतें भी हो सकती हैं।’’ उन्होंने कहा, ‘‘वैसे काजी की कोई पढ़ाई नहीं होती है। पढ़ाई दीन (धर्म) की होती है। काजी को नियुक्त किया जाता है और यह नियुक्ति सरकार की ओर से होती है। यह व्यवस्था इस्लामी शासन में होती है, लेकिन भारत में ऐसी कोई व्यवस्था नहीं है कि किसी को काजी नियुक्त किया जाए। ऐसी स्थिति में काजी को लेकर जो विवाद हो रहा है उसका कोई आधार नहीं है।’’
गौरतलब है कि हाल ही में जयपुर की दो मुस्लिम महिलाओं अफरोज बेगम और जहांआरा ने दावा किया कि दोनों ने मुंबई स्थित मदरसे दारूल उलूम निसवां से दो साल की पढ़ाई की है और अब वे राजस्थान की पहली महिला काजी बन गई हैं। कुछ उलेमाओं ने उनके दावे का विरोध करते हुए कहा कि महिलाएं काजी नहीं हो सकतीं जिसके बाद विवाद खड़ा हो गया।
सलीम इंजीनियर ने कहा, ‘‘मुद्दा यह है कि हमारे यहां के मुस्लिम समाज ने महिलाओं को उनके पूरे हक नहीं दिए हैं। कोशिश यह होनी चाहिए कि महिलाओं को उनके पूरे अधिकार मिलें और हम लोग इसी की कोशिश कर रहे हैं।’’ उन्होंने कहा, ‘‘इस्लाम में महिलाओं को जायदाद में बराबर का हक दिया गया है। सामजिक निर्णयों में उनकी सलाह लेने की बात की गई है। औरतों को तालीम का पूरा हक दिया गया है। परंतु हमारे समाज की ओर से महिलाओं को अब तक इन अधिकारों से वंचित रखा गया है।’’
जमात नेता ने कहा कि कुछ लोगों सिर्फ विवाद पैदा करने के लिए उन मुद्दों को हवा दे रहे हैं जिनसे महिलाओं और समाज का कोई भला नहीं होने वाला है।
उन्होंने कहा, ‘‘मंदिर में महिलाओं के प्रवेश की मनाही को लेकर जो विवाद खड़ा हुआ उसी क्रम में काजी के विवाद को हवा दी गई है, जबकि इसमें कोई मुद्दा ही नहीं है। हमने बार बार कहा है कि इस्लाम में महिलाओं को तालीम हासिल करने में किसी तरह की रोक नहीं है।’’
(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है)
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