भारतीयों की अगुवाई वाले समूह ने कैंसर की जांच का आसान तरीका खोजा, लाखों जिंदगियां बचेंगी

मुंबई के एपीजेनर्स बायोटेक्नोलॉजी और सिंगापुर की जार लैब्स ने इस टेस्ट को HrC नाम दिया है. इसमें एक सामान्य ब्लड टेस्ट होता है और फिर मॉलीक्यूलर एनालिसिस की जरूरत पड़ती है. 

नई दिल्ली:

भारतीय जैव वैज्ञानिकों के एक समूह ने कैंसर के शुरुआती स्तर पर पहचान का बेहद आसान तरीका खोज लेने का दावा किया है. इससे समय रहते बीमारी का इलाज शुरू होने के साथ लाखों लोगों की जिंदगियां बचाई जा सकेंगी. इस जांच को साल के अंत तक नियामकीय मंजूरी मिल सकती है. मुंबई के एपीजेनर्स बायोटेक्नोलॉजी (Epigeneres Biotechnology) और सिंगापुर की जार लैब्स (Tzar Labs) ने इस टेस्ट को HrC नाम दिया है. इसमें एक सामान्य ब्लड टेस्ट होता है और फिर मॉलीक्यूलर एनालिसिस की जरूरत पड़ती है. इन दोनों ही कंपनियों की अगुवाई भारतीय नैनोटेक वैज्ञानिक विनय कुमार त्रिपाठी (Vinay Kumar Tripathi) और उनका परिवार कर रहा है. बर्लिन में उनके शोध पत्र का रिव्यू जर्नल में प्रकाशित हुआ है, जिसमें टेस्ट के 100 फीसदी प्रभावी होने की बात कही गई है. 

डॉ. त्रिपाठी और उनके बेटे आशीष और अनीश इन कंपनियों के प्रबंधन में शामिल हैं. उन्होंने NDTV को बताया कि 1000 लोगों के क्लीनिकल ट्रायल में उनका टेस्ट 25 अलग-अलग तरह के कैंसर की पहचान करने में सफल रहा है. इसने कैंसर की सबसे बड़ी चुनौती को आसानी से पार किया है, जो कि शुरुआती समय में ही बीमारी की पहचान की रही है. 

आशीष त्रिपाठी ने कहा कि हम सबसे पहले इस तकनीक को भारत लाने का इऱादा रखते हैं. हमारा लक्ष्य है कि इस साल के अंत तक इसकी शुरुआत कर दी जाए. लेकिन इसके लिए नियामकीय मंजूरी की जरूरत होगी और इसके लिए देश में संबंधित पक्षों से बात की जा रही है. कैंसर की इस जांच में साधारण ब्लड टेस्ट और फिर उसके मॉलीक्यूलर एनालिसिस की जरूरत पड़ती है. परिवार ने इस टेस्ट का नाम एचआरसी(HrC) रखा है. इसका नाम त्रिपाठी के दामाद और मुंबई के बेहद चर्चित पुलिस अफसर हिमांशु रॉय के नाम पर रखा गया है. हिमांशु रॉय ने ब्लड कैंसर से जूझते हुए 2018 में आत्महत्या कर ली थी.

आशीष त्रिपाठी (Ashish Tripathi) ने कहा, हमारी तकनीक किसी भी प्रकार के कैंसर की पहचान कर सकती है. दुनिया में अभी तक 180 प्रकार के कैंसर पाए गए हैं. इनमें से 25 को प्रकाशित शोध पत्र में जगह दी गई है. फिलहाल इतने प्रकार के कैंसर को क्लीनिकल ट्रायल (clinical trial) में जगह दी गई है.

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उनके भाई अनीश त्रिपाठी (Anish Tripathi)  ने कहा कि यह टेस्ट कराना बेहद आसान है और शरीर में लक्षण सामने आने के कई साल पहले ही कैंसर के संकेतों को पकड़ सकता है. अभी इस टेस्ट के नतीजे आने में 3-4 दिन लगते हैं, लेकिन आगे उन्नत सुधारों के जरिये इस अवधि को घटाकर दो दिन किया जा सकता है.अनीश ने कहा, यह साधारण ब्लड टेस्ट जैसा है, जिसमें आपको महज 5 मिली खून देने की जरूरत पड़ती है, जिसके आधार पर आगे जांच की जाती है.