प्रतीकात्मक फोटो.
नई दिल्ली:
आधार मामले में सुनवाई के दौरान नागरिकों के डाटा की सुरक्षा और दुरुपयोग पर सुप्रीम कोर्ट ने चिंता जताते हुए कहा कि सवा अरब से ज़्यादा भारतीयों की जैविक और भौगोलिक जानकारी का डाटा व्यावसायिक इस्तेमाल के लिए तो जैसे सोने की खदान है.
सुप्रीम कोर्ट की इस टिप्प्णी और चिंता पर UIDAI ने कोर्ट को भरोसा दिलाया कि डाटा पूरी तरह सुरक्षित है. इसे शेयर नहीं किया जा सकता. शेयर करने वाले को कड़ी सजा का प्रावधान है. इस पर जस्टिस डीवाई चन्द्रचूड़ ने पूछा सवा अरब से ज़्यादा यानी 1.3 मिलियन नागरिकों का डाटा रखा जाता है. मुमकिन है कि कई गरीब भी होंगे. लेकिन इसे व्यावसायिक नज़रिए से इस्तेमाल करने के मकसद से शेयर या लीक करना सोने की खान हाथ लगने जैसा ही है. यहां तक कि इसमें दर्ज कराई गई छोटी छोटी जानकारी का खुलासा भी काफी मायने रखता है.
जस्टिस चन्द्रचूड़ ने कैंब्रिज एनालिटिका की नज़ीर देते हुए कहा कि देखिए उन्होंने कैसे इतनी बड़ी तादाद में लोगों का डाटा शेयर किया. जुकरबर्ग ने तो अमेरिकी कांग्रेस में इसे स्वीकार भी किया है.
जस्टिस चन्द्रचूड़ ने कहा कि आज निगरानी के मायने बदल गए है. हम पर शारीरिक निगरानी की नज़रों से नहीं बल्कि व्यावसायिक निगरानी ही रही है. उस नज़रिए से हमारी निजी जानकारी शेयर हो रही है. वो भी हमारी मंज़ूरी के नाम पर.
चीफ जस्टिस ने uidai से कहा कि वो मंगलवार को होने वाली सुनवाई में ये बताएं कि आखिर सूचनाएं कैसे सुरक्षित और संरक्षित हैं और उनको लीक या शेयर करने से बचाने के कैसे इंतज़ाम हैं.
सुप्रीम कोर्ट की इस टिप्प्णी और चिंता पर UIDAI ने कोर्ट को भरोसा दिलाया कि डाटा पूरी तरह सुरक्षित है. इसे शेयर नहीं किया जा सकता. शेयर करने वाले को कड़ी सजा का प्रावधान है. इस पर जस्टिस डीवाई चन्द्रचूड़ ने पूछा सवा अरब से ज़्यादा यानी 1.3 मिलियन नागरिकों का डाटा रखा जाता है. मुमकिन है कि कई गरीब भी होंगे. लेकिन इसे व्यावसायिक नज़रिए से इस्तेमाल करने के मकसद से शेयर या लीक करना सोने की खान हाथ लगने जैसा ही है. यहां तक कि इसमें दर्ज कराई गई छोटी छोटी जानकारी का खुलासा भी काफी मायने रखता है.
जस्टिस चन्द्रचूड़ ने कैंब्रिज एनालिटिका की नज़ीर देते हुए कहा कि देखिए उन्होंने कैसे इतनी बड़ी तादाद में लोगों का डाटा शेयर किया. जुकरबर्ग ने तो अमेरिकी कांग्रेस में इसे स्वीकार भी किया है.
जस्टिस चन्द्रचूड़ ने कहा कि आज निगरानी के मायने बदल गए है. हम पर शारीरिक निगरानी की नज़रों से नहीं बल्कि व्यावसायिक निगरानी ही रही है. उस नज़रिए से हमारी निजी जानकारी शेयर हो रही है. वो भी हमारी मंज़ूरी के नाम पर.
चीफ जस्टिस ने uidai से कहा कि वो मंगलवार को होने वाली सुनवाई में ये बताएं कि आखिर सूचनाएं कैसे सुरक्षित और संरक्षित हैं और उनको लीक या शेयर करने से बचाने के कैसे इंतज़ाम हैं.
NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं