टैल्गो ट्रेन
नई दिल्ली:
भारतीय रेलवे ट्रैकों पर जल्द ही सबसे तेज दौड़ने वाली ट्रेनों का ट्रायल शुरू हो जाएगा। बताया जा रहा है कि यह ट्रेन करीब 200 किलोमीटर प्रतिघंटा की रफ्तार से दौड़ेगी। इस ट्रेन की गति हाल में दिल्ली और आगरा के बीच शुरू की गई भारत में सबसे तेज चलने वाली गतिमान एक्सप्रेस से ज्यादा है।
जानकारी के अनुसार यह ट्रेन स्पेन की कंपनी टैल्गो से मंगाई जा रही है और जून में इसका ट्रायल भारतीय पटरियों पर होगा। गतिमान एक्सप्रेस के लिए जैसे की दिल्ली के निजामुद्दीन रेलवे स्टेशन से आगरा के बीच रेलवे की पटरियों को तैयार किया गया था वैसे ही टैल्गो की ट्रेन के लिए भी देश के कुछ हिस्सों में पटरियों को तैयार किया गया।
कुछ ही दिनों में बार्सिलोना से शिप में करीब 9 कोच भारत के लिए भेजे गए हैं और कुछ ही दिनों में मुंबई के बंदरगाह पर यह उतर जाएंगे। स्पेन की इस कंपनी ने भारत की वर्तमान पटरियों पर अपनी हल्की और तेज चलने वाली ट्रेनों को दौड़ाने के लिए प्रयास स्वरूप इजाजत दी है। इस काम के लिए कंपनी को कोई पैसा नहीं दिया जाएगा।
बताया जा रहा है कि मुंबई में बंदरगाह पर उतरने के बाद इस ट्रेन को इज्जतनगर डिपो पर भेजा जाएगा जहां से जून में इन्हें पटरियों पर दौड़ाने के लिए भेजा जाएगा।
रेलवे के वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार, पहले टैल्गो ट्रेन को बरेली और मोरादाबाद के बीच दौड़ाया जाएगा। यहां पर पहले यह ट्रेन 115 किलोमीटर प्रति घंटा की रफ्तार से दौड़ेगी। अधिकारी का कहना है कि यहां पर ट्रेन में कंपन का ट्रायल होगा। इसके बाद इसी ट्रेन को मथुरा और पलवल के बीच 180 किलोमीटर प्रति घंट का रफ्तार से दौड़ाया जाएगा। यह भी ट्रायल रन होगा। इस ट्रेन का तीसरा टेस्ट मुंबई से दिल्ली के बीच होगा जहां पर यह ट्रेन अपने पूर्ण प्रदर्शन यानी 200 किलोमीटर प्रति घंटा की रफ्तार से दौड़ेगी।
रेलवे के अधिकारियों का कहना है कि टैल्गो ट्रेनें को बिना किसी बदलाव के भारतीय पटरियों पर 160-200 किलोमीटर प्रति घंटा की रफ्तार से दौड़ाया जा सकता है।
बता दें कि रेलवे को ट्रेनों को 160 किलोमीटर प्रति घंटा की रफ्तार से दौड़ाने के लिए भी अपने सिग्नालिंग सिस्टम को काफी सुधारना पड़ा था और साथ ही पटरियों को भी इसी हिसाब से तैयार करना पड़ा था।
रेल अधिकारियों का दावा है कि टैल्गो ट्रेन को भारतीय पटरियों पर दौड़ाने के लिए भारतीय पटरियों में ज्यादा बदलाव की जरूरत नहीं है। अधिकारियों का यह भी कहना है कि टैल्गो को भारत में पहुंचाने में जो भी खर्चा आएगा, यहां तक कि कस्टम के चार्ज भी कंपनी ही चुकाएगी।
कहा जाता है कि यह ट्रैन हल्की होने की वजह से कम बिजली की खपत करती है और इससे रेलवे को बिजली के बिलों में काफी राहत मिल सकती है।
जानकारी के अनुसार यह ट्रेन स्पेन की कंपनी टैल्गो से मंगाई जा रही है और जून में इसका ट्रायल भारतीय पटरियों पर होगा। गतिमान एक्सप्रेस के लिए जैसे की दिल्ली के निजामुद्दीन रेलवे स्टेशन से आगरा के बीच रेलवे की पटरियों को तैयार किया गया था वैसे ही टैल्गो की ट्रेन के लिए भी देश के कुछ हिस्सों में पटरियों को तैयार किया गया।
कुछ ही दिनों में बार्सिलोना से शिप में करीब 9 कोच भारत के लिए भेजे गए हैं और कुछ ही दिनों में मुंबई के बंदरगाह पर यह उतर जाएंगे। स्पेन की इस कंपनी ने भारत की वर्तमान पटरियों पर अपनी हल्की और तेज चलने वाली ट्रेनों को दौड़ाने के लिए प्रयास स्वरूप इजाजत दी है। इस काम के लिए कंपनी को कोई पैसा नहीं दिया जाएगा।
बताया जा रहा है कि मुंबई में बंदरगाह पर उतरने के बाद इस ट्रेन को इज्जतनगर डिपो पर भेजा जाएगा जहां से जून में इन्हें पटरियों पर दौड़ाने के लिए भेजा जाएगा।
रेलवे के वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार, पहले टैल्गो ट्रेन को बरेली और मोरादाबाद के बीच दौड़ाया जाएगा। यहां पर पहले यह ट्रेन 115 किलोमीटर प्रति घंटा की रफ्तार से दौड़ेगी। अधिकारी का कहना है कि यहां पर ट्रेन में कंपन का ट्रायल होगा। इसके बाद इसी ट्रेन को मथुरा और पलवल के बीच 180 किलोमीटर प्रति घंट का रफ्तार से दौड़ाया जाएगा। यह भी ट्रायल रन होगा। इस ट्रेन का तीसरा टेस्ट मुंबई से दिल्ली के बीच होगा जहां पर यह ट्रेन अपने पूर्ण प्रदर्शन यानी 200 किलोमीटर प्रति घंटा की रफ्तार से दौड़ेगी।
रेलवे के अधिकारियों का कहना है कि टैल्गो ट्रेनें को बिना किसी बदलाव के भारतीय पटरियों पर 160-200 किलोमीटर प्रति घंटा की रफ्तार से दौड़ाया जा सकता है।
बता दें कि रेलवे को ट्रेनों को 160 किलोमीटर प्रति घंटा की रफ्तार से दौड़ाने के लिए भी अपने सिग्नालिंग सिस्टम को काफी सुधारना पड़ा था और साथ ही पटरियों को भी इसी हिसाब से तैयार करना पड़ा था।
रेल अधिकारियों का दावा है कि टैल्गो ट्रेन को भारतीय पटरियों पर दौड़ाने के लिए भारतीय पटरियों में ज्यादा बदलाव की जरूरत नहीं है। अधिकारियों का यह भी कहना है कि टैल्गो को भारत में पहुंचाने में जो भी खर्चा आएगा, यहां तक कि कस्टम के चार्ज भी कंपनी ही चुकाएगी।
कहा जाता है कि यह ट्रैन हल्की होने की वजह से कम बिजली की खपत करती है और इससे रेलवे को बिजली के बिलों में काफी राहत मिल सकती है।
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