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अमेरिकी प्रौद्योगिकी से प्रभावित होकर भारत भी नकली नोट की समस्या से निपटने में अमेरिका से मदद लेने की तैयारी कर रहा है।
अमेरिकी प्रौद्योगिकी से प्रभावित होकर भारत भी नकली नोट की समस्या से निपटने में अमेरिका से मदद लेने की तैयारी कर रहा है। अधिकांश भारतीय नकली नोट पाकिस्तान से आते हैं। अमेरिका के पास हर नकली अमेरिकी डालर का फोटो सहित डाटाबेस है और यह जानकारी भी है कि नकली डालर कहां से आया, किस रास्ते आया और इसे लाने वाले लोग कौन थे।
वाशिंगटन में इस महीने के अंत में होने वाली भारत-अमेरिकी सामरिक वार्ता के दौरान भारत की ओर से इस संबंध में औपचारिक प्रस्ताव रखे जाने की उम्मीद है। गृह सचिव आर के सिंह भी इस महत्वपूर्ण बैठक में शामिल होंगे।
भारत नकली भारतीय नोटों की तस्करी और प्रसार को रोकने के लिए अमेरिका से प्रौद्योगिकी मांगेगा ताकि वह भी नकली नोटों का खुद का डाटाबेस तैयार कर सके।
यह कदम गृह मंत्री पी चिदंबरम द्वारा नकली नोट के कारोबार में लिप्त लोगों, इसे रखने वाले और मादक द्रव्यों की तस्करी में शामिल व्यक्तियों के खिलाफ कडी कार्रवाई की चेतावनी के बाद उठाया जा रहा है।
चिदंबरम ने पिछले महीने कहा था कि जहां तक नकली भारतीय नोट का सवाल है, हम इसे लेकर चिन्तित हैं। ऐसे नोट लेकर चलने वाले किसी भी व्यक्ति को बख्शा नहीं जाएगा। जो लोग नकली नोट का वितरण कर रहे हैं, उनके खिलाफ कडी कार्रवाई की जाएगी और तस्करों को भी कड़ाई से दंडित किया जाएगा।
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