भारत, डेनमार्क हरित रणनीतिक साझेदारी के क्रियान्वयन के लिए पांच साल की संयुक्त कार्य योजना पर सहमत

हरित साझेदारी को दोनों देशों के प्रधानमंत्रियों के बीच एक वर्चुअल बैठक में अंतिम रूप दिया गया था.

भारत, डेनमार्क हरित रणनीतिक साझेदारी के क्रियान्वयन के लिए पांच साल की संयुक्त कार्य योजना पर सहमत

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और डेनमार्क की उनकी समकक्ष मेटे फ्रेडरिक्सन के बीच लंबी वार्ता. (फाइल फोटो)

नई दिल्ली:

भारत और डेनमार्क अपनी महत्वाकांक्षी ‘हरित रणनीतिक साझेदारी' के क्रियान्वयन के लिए पांच साल की एक संयुक्त कार्य योजना पर शनिवार को सहमत हुए तथा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और डेनमार्क की उनकी समकक्ष मेटे फ्रेडरिक्सन के बीच लंबी वार्ता के बाद हरित प्रौद्योगिकी में सहयोग बढ़ाने के लिए चार समझौतों पर हस्ताक्षर किये गये. वार्ता में, भारत ने 1995 में पुरूलिया में हथियार गिराये जाने के मामले के मुख्य आरोपी किम डेवी के प्रत्यर्पण का मुद्दा उठाया और यह सहमति बनी कि इस विषय में कानूनी प्रकिया को अवश्य आगे बढ़ना चाहिए. विदेश मंत्रालय में सचिव (पश्चिम) रीनत संधू ने मीडिया ब्रीफिंग में कहा, ‘‘यह मुद्दा उठाया गया और हमारे बीच यह सहमति बनी कि कानूनी प्रक्रिया को अवश्य आगे बढ़ना चाहिए तथा दोनों देश इस पर काम कर रहे हैं.''

कई द्विपक्षीय मुद्दों पर चर्चा करने के अलावा दोनों प्रधानमंत्रियों ने अफगानिस्तान में स्थिति सहित समकालीन क्षेत्रीय एवं वैश्विक घटनाक्रमों पर विचारों का आदान-प्रदान किया और अफगान लोगों को समर्थन जारी रखने की अपनी प्रतिबद्धता व्यक्त की. संधू ने कहा कि दोनों पक्षों ने समावेशिता, आतंकवाद रोधी गारंटी और अफगानिस्तान में मानवाधिकारों के सम्मान का पर जोर दिया तथा डेनिश प्रतिनिधिमंडल ने देश (अफगानिस्तान) में स्थिति और वहां से पनप सकने वाले आतंकवाद के खतरे के बारे में भारत की चिंताओं पर सहमति जताई. उन्होंने कहा कि दोनों पक्षों का मानना है कि वैश्विक समुदाय को अफगानिस्तान के प्रति एक सामूहिक रुख रखना चाहिए. संधू ने कहा कि दोनों पक्ष पिछले साल अंतिम रूप से दी गई ‘‘हरित रणनीतिक साझेदारी'' के क्रियान्वन को लेकर 2021 से 2026 तक के लिए एक संयुक्त कार्य योजना पर सहमत हुए.

हरित साझेदारी को दोनों देशों के प्रधानमंत्रियों के बीच एक वर्चुअल बैठक में अंतिम रूप दिया गया था. इसका उद्देश्य नवीकरणीय ऊर्जा, पर्यावरण, अर्थव्यवस्था, जलवायु परिवर्तन और विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी के क्षेत्रों में सहयोग को विस्तारित करने के लिए एक ढांचा बनाना है. वार्ता के बाद मोदी ने एक प्रेस बयान में कहा, ‘‘एक साल पहले, हमारी वर्चुअल बैठक में हमने भारत और डेनमार्क के बीच हरित रणनीतिक साझेदारी स्थापित करने के लिए एक ऐतिहासिक फैसला लिया था. यह दोनों देशों की दूरदृष्टि और पर्यावरण के लिए सम्मान को प्रदर्शित करता है.''

उन्होंने कहा कि यह साझेदारी इस बात का उदाहरण है कि किस तरह से सामूहिक प्रयास और प्रौद्योगिकी के जरिए पर्यावरण का संरक्षण करते हुए हरित विकास के लिए काम किया जा सकता है. मोदी ने कहा, ‘‘आज हमने न सिर्फ इस साझेदारी के तहत की गई प्रगति की समीक्षा की, बल्कि निकट भविष्य में जलवायु परिवर्तन पर सहयोग बढ़ाने की अपनी प्रतिबद्धता भी दोहराई. इस संदर्भ में यह बड़ी खुशी की बात है कि डेनमार्क अंतरराष्ट्रीय सौर गठबंधन का सदस्य बना है. इसने हमारे सहयोग को एक नया आयाम दिया है.''

फ्रेडरिक्सन ने अपने संबोधन में हरित प्रौद्योगिकी को बढ़ावा देने के लिए मोदी की सराहना की और उन्हें ‘‘विश्व के लिए प्रेरणा'' करार दिया. उन्होंने कहा, ‘‘मुझे गर्व है कि जब बहुत महत्वाकांक्षी लक्ष्य होते हैं तो डेनमार्क के समाधान प्रमुख भमिका निभाते हैं और मेरा मानना है कि आप बाकी दुनिया के लिए प्रेरणा हैं. जब 10 लाख परिवारों के लिए स्वच्छ पानी और पवन ऊर्जा सहित नवीकरणीय ऊर्जा की बात होती है तो आपने कई महत्वाकांक्षी लक्ष्य तय किए हैं.''

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