लद्दाख में भारत और चीन सैनिकों के बीच 'हिंसक झड़प' को पूर्व सेना प्रमुख जनरल वीपी मलिक (General VP Malik) ने दुर्भाग्यपूर्ण बताया है. लद्दाख इलाके में 1962 के बाद यह पहला ऐसा मौका है जब सैनिकों ने जान गंवाई है. पूर्व सेना प्रमुख जनरल वीपी मलिक ने एनडीटीवी के विष्णु सोम के साथ साथ बातचीत में इस झड़प को दोनों देशों के बीच पिछले 45 साल में हुई सबसे गंभीर घटना करार दिया है. जनरल (सेवानिवृत्त) मलिक ने कहा, 'इस घटना में मुझे सितंबर 1967 की नाथुला दर्रे की घटना की याद दिला दी, मैं उस समय मेजर था. गौरतलब है कि सितंबर 1967 को नाथू ला में भारत और चीन के सैनिकों के बीच टकराव हुआ था. जानकारी के अनुसार, 1967 में टकराव की वजह चीन का भारतीय सीमा में गड्ढा खोदना था, भारतीय जवानों ने चीनी सैनिक से ऐसा न करने के लिए कहा था. इस दौरान हुए हिंसक संघर्ष में दोनों पक्षों के कुछ सैनिकों को जान गंवानी पड़ी थी.
पूर्व सेना प्रमुख ने कहा, 'मैं झड़प में जान गंवाने वाले भारतीय सैनिकों को नमन करता हूं और उनके परिवार के प्रति संवेदना व्यक्त करता हूं.' उन्होंने कहा कि भारत और चीन के बीच गतिरोध के समाधान के लिए कूटनीतिक और सैन्य स्तर पर बातचीत का दौर जारी है लेकिन इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता कि मैदानी (ग्राउंड लेवल) स्तर पर तनाव व्याप्त है. दोनों देशों के सैनिक एक-दूसरे के आमने सामने हैं. अगर गुस्सा दूसरी तरह है तो हमारे सैनिक भी गुस्से से भरे हुए हैं.चीन नहीं चाहता है कि भारत घाटी के आसपास निर्माण कार्य करें. बातचीत के बीच इस तरह की घटना हैरान कर देने वाली है.
पूर्व सेना प्रमुख ने कहा कि इस तरह की घटना गलवान वैली में पहले कभी नहीं देखी गई थी. दोनों देशों के बीच असहमति से इस घटना का रूप ले लिया. उन्होंने कहा, 'मैं नहीं चाहता कि ऐसी घटना फिर से सामने आए. मैं चाहता हूं कि सैन्य और कूटनीतिक स्तर पर बातचीत के जरिये तनाव कम करने के उपाय हो. सैन्य स्तर पर बातचीत की अपनी सीमाएं हैं, ऐसे में कूटनीतिक स्तर पर बातचीत के जरिये हालात सुधारने की कोशिश होनी चाहिए.
दोनों पक्षों की ओर से फायरिंग नहीं होने के बावजूद भारतीय सैनिकों के जान गंवाने संबंधी प्रश्न के जवाब में जनरल मलिक ने कहा, 'मैं कहना चाहता कि पत्थर भी इंसान को मार सकता है. स्टिक के इस्तेमाल की रिपोर्ट भी सामने आई है. तथ्य यह है कि हमारे सैनिकों की जान गई. यह सही है एलएसी के आसपास दोनों पक्षों का जमावड़ा है और रहेगा. आर्मी जहां है, वहां उसे फर्म रहना चाहिए लेकिन कूटनीतिक और सैन्य स्तर पर बातचीत के जरिये मामला हल होना चाहिए.' उन्होंने कहा, 'इस घटना के बाद चीन के विदेश मंत्रालय की ओर से बयान आया, मैं उम्मीद करता हूं कि हमारी सरकार की ओर से इस बारे में कोई बयान आएगा.'
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