भारतीय सेना (Indian Army) ने म्यांमार के साथ मिलकर बॉर्डर के पास आतंकी कैंपों को तबाह कर दिया है. डिफेंस से जुड़े सूत्रों ने रविवार को यह जानकारी दी. भारत और म्यांमार ने तीन हफ्ते की लंबी भागीदारी से बॉर्डर पर इस ऑपरेशन को अंजाम दिया. इस ऑपरेशन में मणिपुर, नागालैंड और असम के कई आतंकी संगठनों को निशाना बनाया गया. इससे पहले ऑपरेशन सनराइज को तीन महीने पहले इंडो-म्यांमार बॉर्डर के पास अंजाम दिया गया था जिसमें कई नॉर्थ ईस्ट के आतंकी समूहों को नष्ट किया गया था.
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म्यांमार भारत का रणनीतिक पड़ोसी है और वह नॉर्थ ईस्ट के राज्यों के साथ 1640 किलोमीटर का बॉर्डर साझा करता है. इसमें नागालैंड और मणिपुर भी शामिल हैं. बॉर्डर की सुरक्षा करने के लिए भारत, दोनों देशों की सेनाओं के साथ काम करने को लेकर जोर दे रहा है. सूत्रों के मुताबिक ऑपरेशन सनराइज 2 के दौरान दोनों देशों की सेनाओं ने केएलओ, द एनएससीएन(खपलांग), यूनाइटेड लिबरेशन फ्रंट ऑफ असम(आई) और नेशनल डेमोक्रेटिक फ्रंट ऑफ बोरोलैंड(एनडीएफबी), जैसै आतंकी समूहों को नष्ट किया. सूत्रों ने कहा, '6 दर्जन आतंकियों को गिरफ्तार किया गया और उनके कैंप खत्म किए गए.'
सूत्रों ने यह भी बताया कि इस कार्रवाई में इंटेलीजेंस इनपुट और ग्राउंड की परिस्थिति का भी योगदान रहा. भारतीय सेना के अलावा असम रायफल्स के सैनिक भी इस ऑपरेशन का हिस्सा थे. जून 2015 में भी सेना ने एनएससीएन के खिलाफ इंडो-म्यांमार बॉर्डर पर ऑपरेशन चलाया था. यह ऑपरेशन इसलिए चलाया गया था क्योंकि आतंकियों ने मणिपुर में सेना के 18 जवानों को मार दिया था.
ऑपरेशन सनराइज के पहले फेज में सेना ने अराकन आर्मी के सदस्यों को निशाना बनाया था जोकि म्यांमार में एक विद्रोही ग्रुप है. सुरक्षा एजेंसियों के मुताबिक म्यांमार में नॉर्थ ईस्ट में बीते साल तक 50 से ज्यादा आतंकी ग्रुप थे. (इनपुट: पीटीआई)
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