यह ख़बर 19 दिसंबर, 2014 को प्रकाशित हुई थी

रॉबर्ट वाड्रा-डीएलएफ जमीन सौदे से जुड़े अहम दस्‍तावेज गायब

चंडीगढ़:

हरियाणा के आईएएस अधिकारी अशोक खेमका की ओर से दायर एक आरटीआई के जरिये खुलासा हुआ है कि कांग्रेस अध्‍यक्ष सोनिया गांधी के दामाद रॉबर्ट वाड्रा और डीएलएफ के बीच जमीन सौदे की जांच से जुड़े अहम दस्‍तावेज गायब हो गए हैं, और अब, खेमका ने हरियाणा सरकार से इस मामले में शीघ्र एफआईआर दर्ज करने की मांग की है।

दरअसल, डीएलएफ-वाड्रा जमीन सौदा रद्द करने के मामले में खेमका के खिलाफ दायर चार्जशीट से जुड़ी इस आरटीआई से पता चला है कि खेमका की कार्रवाई और उनके द्वारा उठाए गए ऐतराज़ की जांच के लिए बनाई गई तीन-सदस्यीय कमेटी के गठन से जुड़े महत्वपूर्ण कागजात गायब हैं।

बताया जा रहा है कि इन कागजात से यह पता चल सकता था कि किन अधिकारों के तहत तत्कालीन कांग्रेस की हुड्डा सरकार ने यह कमेटी बनाई थी। खेमका ने अब इस पूरे मामले की जांच की मांग की है, और वह पिछली सरकार के उन अफसरों के खिलाफ कार्रवाई की मांग कर रहे हैं, जिनके पास यह फाइल थी।

इस मुद्दे पर खेमका ने कहा, "मुझे उस कमेटी की रिपोर्ट के आधार पर चार्जशीट किया गया, जिसके गठन का मुख्य उद्देश्य ही वाड्रा के लाइसेंसिंग सौदों को क्लीन चिट देना और मेरी बात को नज़रअंदाज़ कर देना था..."

इस बीच, हरियाणा के मुख्य सचिव पीके गुप्ता ने एनडीटीवी से बातचीत में बताया, "अशोक खेमका ने फाइल में से महत्वपूर्ण कागज़ात के गायब होने संबंधी खत दिया है, और उन्होंने हमें दो अधिकारियों के नाम भी सौंपे हैं, और हम विभागीय जांच कर रहे हैं... सरकार को इस मामले की रिपोर्ट 10 दिन के भीतर मिल जाएगी..."

इस बीच, आखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने कहा, "गोपनीय फाइलों की सुरक्षा करना राज्य सरकार की जिम्मेदारी होती है... सरकार को इस बात की जांच करनी चाहिए कि वे कैसे गायब हुईं..." उधर, राज्य सरकार ने इस मुद्दे पर संभलकर प्रतिक्रिया दी, और खट्टर सरकार के वरिष्ठ मंत्री अनिल विज ने कहा, "यह गंभीर मामला है... पिछली सरकार ने कुछ लोगों को लाभ पहुमचाने के लिए शक्तियों का दुरुपयोग किया, और हम कड़ी कार्रवाई करेंगे..."

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वैसे, इस पूरे मामले पर बीजेपी की मौजूदा खट्टर सरकार बचाव की मुद्रा में नज़र आ रही है, और उसने मुख्य सूचना अधिकारी कार्यालय के नाम एक हलफनामा जारी किया है। नई सरकार ने स्पष्ट कर दिया है कि डीएलएफ-वाड्रा जमीन सौदे को लेकर लगाए गए सभी आरोपों की जांच कानून के मुताबिक की जाएगी। लेकिन अब इस नए खुलासे के बाद राज्य सरकार फिर दबाव में है कि वह मामले में लगे इन नए आरोपों की जांच के लिए एक अलग जांच आयोग गठित करे।