लॉकडाउन के चौथे चरण में राज्य पांबदियों में अधिक छूट दिए जाने के पक्ष में

कोरोना वायरस के गैर-निषिद्ध जोन में आर्थिक गतिविधियों को प्रोत्साहित करने के मद्देनजर राज्य सरकारें लॉकडाउन के चौथे चरण में पाबंदियों में अधिक ढील दिए जाने के पक्ष में हैं.

लॉकडाउन के चौथे चरण में राज्य पांबदियों में अधिक छूट दिए जाने के पक्ष में

प्रतीकात्मक तस्वीर

नई दिल्ली:

कोरोना वायरस के गैर-निषिद्ध जोन में आर्थिक गतिविधियों को प्रोत्साहित करने के मद्देनजर राज्य सरकारें लॉकडाउन के चौथे चरण में पाबंदियों में अधिक ढील दिए जाने के पक्ष में हैं. वहीं, कोरोना वायरस के कारण लागू राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन का चौथा चरण सोमवार से शुरू होगा और इसमें लोगों को ज्यादा रियायत और लचीलापन देखने को मिलेगा. केंद्र सरकार के अधिकारियों ने शुक्रवार को कहा कि बंद के इस चौथे चरण (लॉकडाउन-4) में यात्री रेल सेवा और घरेलू यात्री उड़ानों को क्रमिक रूप से शुरू किये जाने के साथ ही राज्यों और केंद्र शासित क्षेत्रों को अपने यहां हॉटस्पॉट को परिभाषित करने का अधिकार दिया जाएगा.


हालांकि, कुछ सरकारें लॉकडाउन को इस महीने के अंत तक विस्तार देने के पक्ष में दिखीं. कोरोना वायरस के प्रसार की रोकथाम के लिए तीन चरणों में लागू 54 दिवसीय लॉकडाउन 17 मई को समाप्त होने जा रहा है. मिजोरम सरकार ने प्रदेश में जारी लॉकडाउन शुक्रवार को कोरोना वायरस के संक्रमण के प्रसार को रोकने के उद्देश्य से 31 मई तक के लिये बढ़ा दिया जबकि बिहार सरकार ने केन्द्र से राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन मई अंत तक बढ़ाने की अपील की है. साथ ही श्रमिक विशेष और सामान्य यात्री विमान सेवाओं के अलावा इस दौरान सभी रेल और हवाई सेवाओं को निलंबित रखने की भी अपील की है. राज्य सरकार ने कहा कि उपरोक्त प्रतिबंध माह अंत तक जारी रहें ताकि राज्य में लौट रहे प्रवासियों से निपटने का समय मिल जाए.

गृह मंत्रालय के अधिकारी ने कहा, “कोई भी राज्य बंद को पूरी तरह खत्म नहीं करना चाहता लेकिन सभी क्रमिक रूप से आर्थिक गतिविधियों को बहाल करना चाहते हैं.”उन्होंने कहा कि पंजाब, पश्चिम बंगाल, महाराष्ट्र, असम और तेलंगाना चाहते हैं कि बंद जारी रखा जाए, इनमें से कुछ चाहते हैं कि कोविड-19 की स्थिति के मुताबिक जिलों को जोन - रेड, ऑरेंज और ग्रीन- के निर्धारण का अधिकार उन्हें दिया जाए.केंद्र सरकार में बंद में छूट को लेकर चल रही बातचीत की जानकारी रखने वाले एक अधिकारी ने कहा कि लॉकडाउन-4 में पहले के चरणों की अपेक्षा लोगों को ज्यादा छूट मिलेगी और इस दौरान ग्रीन जोन को पूरी तरह खोल दिया जाएगा, ऑरेंज जोन में बेहद कम बंदिश होगी जबकि रेड जोन के निषिद्ध क्षेत्रों में ही सख्त पाबंदियां होंगी. 

अधिकारी ने बताया कि राज्य सरकारों के अनुरोध को स्वीकार किया जा सकता है जिससे वे जमीनी स्थिति के आधार पर किसी खास जगह लोगों की आवाजाही और आर्थिक गतिविधियों पर पाबंदी या उन्हें शुरू करने की मंजूरी दे सकें. 
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को राष्ट्र के नाम अपने संबोधन में कहा था कि लॉकडाउन-4 नए नियमों के साथ “बिल्कुल अलग स्वरूप” में होगा. राज्य सरकारों और केंद्र शासित के प्रशासकों से शुक्रवार तक अपनी सिफारिशें देने को कहा गया था. 


इस बीच, असम के मुख्यमंत्री सर्वानंद सोनोवाल ने शुक्रवार को कहा, “हमने केंद्र से लॉकडाउन को दो और हफ्तों के लिए बढ़ाने की अपील की है. हमने इस बारे में अपने विस्तृत विचार उन्हें पहले ही भेज दिए हैं.”सोनोवाल ने गुवाहाटी में संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि सभी राज्यों को लॉकडाउन की अवधि बढ़ाने को लेकर शुक्रवार तक अपनी प्रतिक्रिया देनी थी और असम सरकार पहले ही अपने पक्ष से केंद्र को अवगत करा चुकी है.


केंद्र के एक अधिकारी के मुताबिक, पंजाब, पश्चिम बंगाल, महाराष्ट्र, असम और तेलंगाना चाहते हैं कि बंद जारी रखा जाए, इनमें से कुछ चाहते हैं कि कोविड-19 की स्थिति के मुताबिक जिलों को जोन - रेड, ऑरेंज और ग्रीन- के निर्धारण का अधिकार उन्हें दिया जाए.अधिकारी ने पीटीआई-भाषा को बताया कि राज्य सरकारों के अनुरोध को स्वीकार किया जा सकता है जिससे वे जमीनी स्थिति के आधार पर किसी खास जगह लोगों की आवाजाही और आर्थिक गतिविधियों पर पाबंदी या उन्हें शुरू करने की मंजूरी दे सकें. 


देश में कहीं भी स्कूल, कॉलेज, मॉल और सिनेमा घरों को खोलने की इजाजत नहीं होगी लेकिन कोविड-19 निषिद्ध क्षेत्रों को छोड़कर सैलून, नाई की दुकानें और चश्मों की दुकानों को रेड जोन में खोलने की मंजूरी दी जा सकती है. हालांकि, अंतिम दिशानिर्देश राज्य सरकारों से मिले परामर्श का अध्ययन करने के बाद केंद्रीय गृह मंत्रालय द्वारा जारी किये जाएंगे. 
रेलवे और घरेलू उड़ानों के क्रमिक और आवश्यकता आधारित संचालन को अगले हफ्ते से मंजूरी मिलने की संभावना है लेकिन दोनों ही सेक्टरों के पूरी तरह खुलने की संभावना अभी तत्काल नहीं है. 

अधिकारी ने कहा कि बिहार, तमिलनाडु, कर्नाटक उन राज्यों में शामिल थे जो नहीं चाहते हैं कि ट्रेन और हवाई सेवाओं को पूरी तरह बहाल किया जाए, कम से कम मई के अंत तक तो नहीं ही. रेलवे दिल्ली से 15 स्थानों के लिये पहले ही विशेष ट्रेनों का संचालन शुरू कर चुका है और इसके अलावा बंद की वजह से देश के अलग-अलग इलाकों में फंसे प्रवासी कामगारों को उनके गंतव्यों तक पहुंचाने के लिये सैकड़ों “श्रमिक विशेष” ट्रेनों का भी संचालन किया जा रहा है. 


वायरस के कारण बुरी तरह प्रभावित महाराष्ट्र मुंबई, उसके उपनगरीय इलाकों और पुणे में 31 मई तक बंद के सख्त उपाय चाहता है और किसी तरह के अंतर राज्यीय या अंतर जिला परिवहन के खिलाफ है. लेकिन, राज्य सरकार प्रदेश के बाकी हिस्सों में केंद्र की ओर से जारी दिशा-निर्देशों का पालन करने को तैयार है. वहीं, वहीं गुजरात प्रमुख शहरी केंद्रों में आर्थिक गतिविधियों को फिर से शुरू करने के पक्ष में है. महाराष्ट्र के बाद देश में संक्रमण के मामलों के लिहाज से गुजरात दूसरे नंबर पर है. 


गुजरात के उप मुख्यमंत्री नितिन पटेल ने कहा कि आर्थिक गतिविधियां भी बेहद महत्वपूर्ण हैं और अगर हम लोगों को उनकी नौकरी तथा पेशे से दूर रखते हैं तो ये उनके और परिवार के लिए भी मुश्किल भरा होगा. अधिकारी ने कहा कि दिल्ली, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश और केरल समेत कुछ राज्य आर्थिक गतिविधियों को खोलने के पक्ष में हैं.  बेंगलुरु में कर्नाटक के मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा ने कहा, '''' ''मेरे मुताबिक वे (केंद्र) हर चीज में ढील देंगे...पांच सितारा होटल जैसी चीजों या अन्य के लिये कुछ समय तक वह भले ही अनुमति नहीं दें, लेकिन अन्य चीजों के लिए वे अनुमति देने जा रहे हैं.''
बिहार, झारखंड और ओडिशा में हाल में प्रवासी मजदूरों की वापसी के बाद कोविड-19 के मामलों में तेजी आई है और वे चाहते हैं कि बंद जारी रहे और लोगों की आवाजाही पर सख्ती हो. 

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छत्तीसगढ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने प्रधानमंत्री से अपील की कि अगले कुछ महीनों तक राज्यों की सीमाओं को सील रखा जाए और प्रवासी मजदूरों एवं जरूरी सामान के अलावा अंतर-राज्यीय परिवहन को भी मंजूरी नहीं दी जाए. गौरतलब है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 24 मार्च को पहली बार 21 दिन के लिये बंद की घोषणा की थी. इसके बाद इसे तीन मई तक और फिर 17 मई तक बढ़ा दिया गया था.