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This Article is From Apr 24, 2020

Coronavirus की जांच के लिए IIT दिल्ली ने बनाई किट, आईसीएमआर ने दी हरी झंडी

Coronavirus: आईआईटी दिल्ली ने विकसित किया कम खर्च में कोरोना वायरस की जांच का कारगर तरीका, आईसीएमआर ने दी मंजूरी

Coronavirus की जांच के लिए IIT दिल्ली ने बनाई किट, आईसीएमआर ने दी हरी झंडी
आईआईटी दिल्ली ने कोरोना वायरस की जांच के लिए किट बनाई है.
नई दिल्ली:

Coronavirus: आईआईटी दिल्ली ने RT-PCR किट बनाई है. इसके जरिए कोरोना वायरस की जांच होगा. इसको ICMR से हरी झंडी मिल गई है. यह किट जल्द ही बाजार में उपलब्ध होगी. IIT दिल्ली की दो कम्पनियों से इसके लिए बातचीत चल रही है. इसके बाजार में आने के बाद सस्ते और सही तरीके से कोरोना की जांच हो सकेगी.

आईआईटी दिल्ली कुसुमा स्कूल ऑफ बॉयोलोजिकल साइंसेज के रिसर्चर्स ने कोविड-19 की जांच के लिए जो किट तैयार की है उसे ICMR ने अपनी मंजूरी दे दी है. आईआईटी दिल्ली पहला शैक्षणिक संस्थान बन गया है जिसे RT-PCR आधारित किट के लिए ICMR से अप्रूवल मिली है.

दिल्ली स्थित भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (IIT) ने कोविड-19 बीमारी की जांच का एक तरीका विकसित किया है जिसे भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (ICMR) से स्वीकृति मिल गई है. आईआईटी-दिल्ली द्वारा विकसित इस तरीके से बेहद कम खर्च में जांच हो सकेगी और देश की बड़ी जनसंख्या को इसका लाभ मिल सकेगा.

अधिकारियों ने बृहस्पतिवार को यह जानकारी दी. आईआईटी दिल्ली पहला अकादमिक संस्थान है जिसके द्वारा ‘पॉलीमराइज चेन रिएक्शन (पीसीआर)' विधि से विकसित किए गए जांच के तरीके को आईसीएमआर ने स्वीकृति प्रदान की है. इससे पहले चीन से प्राप्त जांच उपकरणों से मिलने वाले नतीजों में गड़बड़ी पाए जाने के बाद उनसे की जा रही कोविड-19 की जांच पर आईसीएमआर ने रोक लगा दी थी. अधिकारियों ने बताया कि आईआईटी के विशेषज्ञों द्वारा विकसित तरीके से जांच की सटीकता प्रभावित नहीं होगी और यह बेहद कम खर्च में उपलब्ध होगा.

एक वरिष्ठ अधिकारी ने पीटीआई-भाषा से कहा, “जांच के तरीके को आईसीएमआर द्वारा स्वीकृति दी गई है. इस तरीके को आईसीएमआर में परखा गया जिसमें नतीजे सौ प्रतिशत सही मिले हैं. इस प्रकार आईआईटी-दिल्ली पहला अकादमिक संस्थान है जिसके द्वारा पीसीआर विधि से विकसित किए गए जांच के तरीके को आईसीएमआर ने स्वीकृति प्रदान की है.”

उन्होंने कहा, “कोविड-19 के लिए यह पहला प्रोब मुक्त तरीका है जिसे आईसीएमआर ने स्वीकृति दी है. हमें इससे कम खर्च में जांच करने में सहायता मिलेगी. इस तरीके में फ्लोरेसेंट प्रोब की आवश्यकता नहीं है इसलिए इससे बड़े स्तर पर जांच की जा सकती है. अनुसंधानकर्ताओं का दल उद्योग जगत से बातचीत कर जल्दी से जल्दी इस उपकरण को कम दाम पर उपलब्ध कराने का प्रयास कर रहा है.”

आईआईटी-दिल्ली में अनुसंधानकर्ताओं ने कोविड-19 और सार्स सीओवी-2 के जीनोम के आरएनए (रिबो न्यूक्लिक एसिड) अनुक्रम का तुलनात्मक विश्लेषण कर यह तरीका विकसित किया है. आरएनए मनुष्य समेत सभी जीव जंतुओं की कोशिका का अभिन्न अंग होता है और यह प्रोटीन संश्लेषण जैसे कई महत्वपूर्ण कार्य करता है.

अनुसंधानकर्ताओं के दल के मुख्य सदस्यों में से एक प्रोफेसर विवेकानंदन पेरुमल ने ‘पीटीआई-भाषा' से कहा, “अनुक्रम के तुलनात्मक विश्लेषण का इस्तेमाल कर हमने कोविड-19 में कुछ विशेष क्षेत्र चिह्नित किए जो मनुष्यों में मौजूद किसी अन्य कोरोना वायरस में नहीं होते. इससे हमें विशेष रूप से कोविड-19 का पता लगाने का तरीका मिला.”

आईआईटी के अनुसंधानकर्ताओं के दल का दावा है कि उनके द्वारा विकसित किया गया जांच का तरीका बेहद कम खर्च में आम जनता के लिए उपब्ध हो सकता है. अनुसंधानकर्ताओं के दल में पीएचडी शोधार्थी प्रशांत प्रधान, आशुतोष पांडेय और प्रवीण त्रिपाठी शामिल हैं. दल के अन्य सदस्यों में पोस्ट डाक्टरल शोधार्थी डॉ पारुल गुप्ता, और डॉ अखिलेश मिश्रा हैं. इसके अलावा दल के वरिष्ठ सदस्यों में प्रोफेसर विवेकानंदन पेरुमल, मनोज बी मेनन, जेम्स गोम्स और विश्वजीत कुंडू शामिल हैं.
(इनपुट भाषा से भी)

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