क्रिप्टोकरेंसी के रेगुलेशन से जुड़ा अभी बिल नहीं आया है, लेकिन इससे जुड़ी सावधानियां और सलाह लगातार विशेषज्ञों की ओर से निवेशकों को दी जा रही हैं. क्रिप्टोकरेंसी से जुड़ा एक बहुत बड़ा मुद्दा उससे होने वाली आय का है. वित्तीय विशेषज्ञों का कहना है कि जिन लोगों ने क्रिप्टोकरेंसी (cryptocurrency investor) के निवेश कर रखा है या उससे उन्हें जो आय हुई है उसका इनकम टैक्स रिटर्न में खुलासा नहीं किया है तो वो परेशानी में पड़ सकते हैं. उनका कहना है कि आधे लोगों ने इसे बिजनेस इनकम दिखाया है. वो ये मान रहे हैं कि 30 प्रतिशत टैक्स चुकाकर वो बच जाएंगे.
लेकिन अगर क्रिप्टोकरेंसी पर 50-60 फीसदी टैक्स लगता है तो उन्हें नुकसान होगा. ऐसे में पिछले वित्त वर्ष का 2020-21 के आईटीआर नहीं भरा है तो इसका ध्यान जरूर रखें. अगर आईटीआर भर चुके हैं और इसका उल्लेख नहीं किया है तो कर विशेषज्ञ से सलाह लेना जरूरी है.
टवागा (Tavaga) एडवाइजरी सर्विसेज के एडवाइजरी हेड और हाई नेटवर्थ इंडिविजुअल में लंबा अनुभव रखने वाले वैभव जैन ने कहा कि क्रिप्टोकरेंसी के बिल का जो ड्राफ्ट आया था उसमें प्रावधान है कि आपको कानून के प्रभावी होने के साथ 90 दिनों के भीतर निवेश और आय का खुलासा करना होगा. सरकार इसमें एक एग्जिट रूट दे सकती है. वॉल्यूटरीं डिस्क्लोजर स्कीम आएगी. ग्रैंड फादरिंग क्लॉज भी आ सकता है तो टैक्स भरना होगा.
अचानक ऐसा क्यों हो गयावैभव जैन ने कहा कि 2019 में भी सरकार ने क्रिप्टोकरेंसी बिल लाने की कोशिश की थी, और ब्लैंकेट बैन लगाने की कोशिश की थी. बैनिंग ऑफ क्रिप्टोकरेंसी एंड रेगुलेशन डिजिटल करेंसी इसका नाम ये कर दिया है. कोई भी ऐसी चीज में निवेश की सलाह नहीं करते हैं, जो रेगुलेशन में नहीं है. सरकार इसकी इजाजत नहीं देती. करेंसी का एकमात्र अधिकार सरकार के पास होता है. इसमें बहुत ज्यादा उतार चढ़ाव देखा जाता है.
क्रिप्टोकरेंसी में निवेशक 15 फीसदी महिलाएंजैन ने कहा कि क्रिप्टोयूजर्स में 15 फीसदी महिलाएं हैं, जिन्हें इसके बारे में कुछ पता नहीं है. अनाधिकार आंकड़ों के अनुसार भारत में दस करोड़ से ज्यादा क्रिप्टो निवेशक हैं, जो विश्व में सर्वाधिक हैं. भले ही इनका निवेश मूल्य काफी कम है. कौन सी क्रिप्टो बैन या रेगुलेट होगी यह अभी स्पष्ट नहीं है. सरकार किस तरह की डिजिटल करेंसी लाएगी यह भी बिल के जरिये स्पष्ट होगा. डिजिटल करेंसी पर एकाधिकार सरकार औऱ रिजर्व बैंक के पास होता है.
दुनिया में क्यों आई क्रिप्टोकरेंसीअर्थशास्त्रियों ने कहा कि दुनिया में अगर अमेरिका जैसे देश पैसा छापते रहते तो तो उसकी वैल्यू कम होती जाती और महंगाई बढ़ती. लिहाजा अंधाधुंथ छापने के बाद डिजिटल करेंसी का कांसेप्ट आया और इसे 2.10 करोड़ तक सीमित किया गया. यानी अंधाधुंध डिजिटल करेंसी नहीं छप सकती. कई देशों में इससे लेनदेन हो सकता है. भारत का कहना है कि अगर हम ऐसी करेंसी में लेनदेन की अनुमति देंगे तो वो सरकारी डिजिटल करेंसी ही होगी. क्योंकि आतंकी फंडिंग, ड्रग्स तस्करी में इसका दुरुपयोग हो सकता है.
भारत में ही क्यों रेगुलेशनजैन ने कहा कि चीन बार-बार क्रिप्टोकरेंसी को नियमन (cryptocurrency regulation) करना चाहता था, लेकिन असफल रहा. पीएम मोदी कह रहे हैं कि क्रिप्टो पर नियंत्रण करना चाहिए. उन्होंने सभी देशों से अपील की है कि इस मुद्दे पर एक साथ आएं. ब्रिटेन, अमेरिका अन्य देश बैन नहीं लगाते हैं और भारत ऐसा करता है तो थोड़ा प्रभाव पड़ेगा. बिल आने के बाद इसमें स्पष्टता आएगी.
क्रिप्टोकरेंसी के निवेशक क्या करेंबिल में स्पष्टता के बाद ही पता चलेगा कि निवेशक क्या करें. लेकिन एग्जिट रूट की संभावना है. तैयारी कर लेनी चाहिए कि जिस क्रिप्टोकरेंसी में आपने निवेश किया है, वो बैन भी हो सकती है. साथ ही इसमें टैक्स चुकाने के लिए तैयार रहना चाहिए. बच्चे भी निवेश कर रहे हैं.
NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं