
अखिलेश यादव चुनाव आयोग से मोटरसाइकिल चुनाव निशान की गुजारिश कर सकते हैं
लखनऊ:
समाजवादी पार्टी के दो फाड़ होने के बाद आज सुलह की कोशिशों के बीच मुलायम सिंह यादव और अखिलेश यादव के बीच लखनऊ में तकरीबन 90 मिनट बातचीत हुई. सूत्रों के मुताबिक मुख्य मुद्दों पर दोनों पक्षों के अड़े होने के कारण कोई सुलह के आसार नहीं बने और बातचीत बेनतीजा रही. इससे पहले दोनों पक्षों ने पिछले शुक्रवार को चुनाव आयोग के समक्ष पार्टी के सिंबल 'साइकिल' पर अपनी दावेदारी पेश की.
अब सुलह की खत्म होती उम्मीदों के बीच दोनों पक्षों की उम्मीदें चुनाव आयोग के रुख पर टिकी हैं. हालांकि सूत्रों के मुताबिक अखिलेश खेमे ने प्लान बी की भी तैयारी कर रखी है. यानी कि यदि उनको साइकिल सिंबल नहीं मिलता है या आयोग इस सिंबल को फ्रीज कर दोनों पक्षों को नए सिंबल देने का फैसला करता है तो अखिलेश यादव आयोग से 'मोटरसाइकिल' चुनाव निशान देने की गुजारिश कर सकते हैं.
इस संबंध में अखिलेश यादव के एक करीबी युवा नेता ने कहा, ''2012 के चुनावों से पहले अखिलेश ने अपने अभियान के दौरान सैकड़ों किमी की यात्रा कर पार्टी के चुनाव निशान साइकिल को फिर से बेहद लोकप्रिय बनाया. अब यदि हमको वह निशान नहीं मिलता है तो हम चुनाव आयोग से मोटरसाइकिल देने की गुजारिश करेंगे. इसका ग्रामीण यूपी के लिहाज से एक प्रतीकात्मक अर्थ भी होगा कि अब विकास के कार्यों को तेज गति दी जाएगी.''
वहीं दूसरी तरफ मुलायम खेमे की तरफ से शिवपाल यादव ने अपने समर्थकों के साथ एक मीटिंग में कहा था, ''वे लोग मोटरसाइकिल को लेकर तैयारी कर रहे हैं, मुझे इस बारे में पहले से ही पता है...उनको जो भी करना है करें, हम तैयार हैं.'' हालांकि मुलायम खेमे ने इस मसले पर अभी चुप्पी साध रखी है कि यदि उनको साइकिल सिंबल नहीं मिला या आयोग ने इसे फ्रीज कर दिया या इसे अखिलेश यादव को दे दिया तो वो उनके विकल्प क्या होंगे.
अब सुलह की खत्म होती उम्मीदों के बीच दोनों पक्षों की उम्मीदें चुनाव आयोग के रुख पर टिकी हैं. हालांकि सूत्रों के मुताबिक अखिलेश खेमे ने प्लान बी की भी तैयारी कर रखी है. यानी कि यदि उनको साइकिल सिंबल नहीं मिलता है या आयोग इस सिंबल को फ्रीज कर दोनों पक्षों को नए सिंबल देने का फैसला करता है तो अखिलेश यादव आयोग से 'मोटरसाइकिल' चुनाव निशान देने की गुजारिश कर सकते हैं.
इस संबंध में अखिलेश यादव के एक करीबी युवा नेता ने कहा, ''2012 के चुनावों से पहले अखिलेश ने अपने अभियान के दौरान सैकड़ों किमी की यात्रा कर पार्टी के चुनाव निशान साइकिल को फिर से बेहद लोकप्रिय बनाया. अब यदि हमको वह निशान नहीं मिलता है तो हम चुनाव आयोग से मोटरसाइकिल देने की गुजारिश करेंगे. इसका ग्रामीण यूपी के लिहाज से एक प्रतीकात्मक अर्थ भी होगा कि अब विकास के कार्यों को तेज गति दी जाएगी.''
वहीं दूसरी तरफ मुलायम खेमे की तरफ से शिवपाल यादव ने अपने समर्थकों के साथ एक मीटिंग में कहा था, ''वे लोग मोटरसाइकिल को लेकर तैयारी कर रहे हैं, मुझे इस बारे में पहले से ही पता है...उनको जो भी करना है करें, हम तैयार हैं.'' हालांकि मुलायम खेमे ने इस मसले पर अभी चुप्पी साध रखी है कि यदि उनको साइकिल सिंबल नहीं मिला या आयोग ने इसे फ्रीज कर दिया या इसे अखिलेश यादव को दे दिया तो वो उनके विकल्प क्या होंगे.
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