Covid-19 Pandemic: इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMR) ने हाल की उस स्टडी के परिणामों को भ्रामक बताया है जिसमें दावा किया है कि भारत में कोरोना वायरस की महामारी के 'शीर्ष स्तर (पीक)' पर पहुंचने में आठ सप्ताह के लॉकडाउन (Lockdown) के कारण देर हुई है और यह दौर अब नवंबर माह के मध्य में आ सकता है. ICMR ने कहा है कि यह दावा मामले की आधिकारिक स्थिति को प्रतिबिंबित (Reflect) नहीं करता. ICMR की ओर से इस संबंध में जारी ट्वीट में कहा गया है, ''आईसीएमआर को इस अध्ययन का श्रेय देने वाली खबरें भ्रामक हैं. अध्ययन आईसीएमआर ने नहीं किया है और आईसीएमआर की आधिकारिक स्थिति को नहीं दर्शाता है."
The news reports attributing this study to ICMR are misleading. This refers to a non peer reviewed modelling, not carried out by ICMR and does not reflect the official position of ICMR. pic.twitter.com/OJQq2uYdlM
— ICMR (@ICMRDELHI) June 15, 2020
प्रेस ट्रस्ट ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार, यह अध्ययन ICMR की ओर से गठित एक ग्रुप के रिसर्चर्स द्वारा किया गया था. रिपोर्ट में अध्ययन के हवाले से कहा गया है कि करीब दो माह के लॉकडाउन ने कोरोना वायरस की महामारी के 'चरम' को 34 से 76 दिनों तक स्थानांतरित कर दिया है और संक्रमण को 69 से 97 प्रतिशत तक कम करने में मदद की, इससे हेल्थ केयर सिस्टम के संसाधनों और बुनियादी ढांचे को दुरुस्त करने के लिए समय मिला है. इसमें आगे कहा गया है कि लॉकडाउन के बाद लोक स्वास्थ्य उपायों को बढ़ाए जाने और इसके 60 प्रतिशत कारगर रहने की स्थिति में महामारी नवंबर के पहले हफ्ते तक अपने चरम पर पहुंच सकती है. इसके बाद 5.4 महीनों के लिए आइसोलेशन बेड, 4.6 महीनों के लिए आईसीयू बेड और 3.9 महीनों के लिए वेंटिलेटर कम पड़ जाएंगे.
स्टडी करने वालों में से एक और नेशनल टास्क फोर्स (ऑपरेशंस रिसर्च सब-ग्रुप) के सदस्य अरविंद पांडे ने NDTV को बताया कि स्टडी को वापस ले लिया गया है और स्टडी से जुड़े एक अन्य शख्स शंकर पिंजरा ने कोई भी कमेंट करने से इनकार कर दिया.
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