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This Article is From Sep 11, 2019

जम्मू-कश्मीर के हालात पर नौकरी छोड़ने वाले IAS के इस्तीफे के पीछे की वजह 'दुर्व्यवहार, ड्यूटी नहीं करने' पर मिला नोटिस तो नहीं?

केरल में 2018 में बाढ़ आने पर गोपीनाथन के काम की प्रशंसा की गई थी. उन्होंने यह कहते हुए 21 अगस्त को अपने प्रतिष्ठित पद से इस्तीफा दे दिया था कि वे जम्मू एवं कश्मीर में पांच अगस्त से लागू प्रतिबंधों से परेशान हैं.

जम्मू-कश्मीर के हालात पर नौकरी छोड़ने वाले IAS  के इस्तीफे के पीछे की वजह 'दुर्व्यवहार, ड्यूटी नहीं करने' पर मिला नोटिस तो नहीं?
भारतीय प्रशासनिक अधिकारी के पूर्व अधिकारी कन्नन गोपीनाथन.
नई दिल्ली:

कश्मीर घाटी में प्रतिबंध का हवाला देकर अगस्त में नौकरी छोड़ने वाले भारतीय प्रशासनिक अधिकारी के पूर्व अधिकारी कन्नन गोपीनाथन को जुलाई में कर्तव्यों का पालन नहीं करने के विभिन्न मामलों में संलिप्त पाए जाने पर गृह मंत्रालय की तरफ से कारण बताओ नोटिस जारी किया गया था. केरल में 2018 में बाढ़ आने पर गोपीनाथन के काम की प्रशंसा की गई थी. उन्होंने यह कहते हुए 21 अगस्त को अपने प्रतिष्ठित पद से इस्तीफा दे दिया था कि वे जम्मू एवं कश्मीर में पांच अगस्त से लागू प्रतिबंधों से परेशान हैं.

अब यह तथ्य सामने आया है कि आईएएस अधिकारी के इस्तीफा देने से पहले उन्हें आठ जुलाई को कारण बताओ नोटिस भी भेजा गया था, जिसमें केंद्र शासित प्रदेशों दमन एवं दीव और दादरा एवं नगर हवेली ने उनके मामले में गृह मंत्रालय को उचित अनुशासनात्मक कार्रवाई करने का प्रस्ताव भेजा था. केरल से एजीएमयूटी कैडर के 2012 बैच के अधिकारी को दादरा एवं नगर हवेली में बिजली एवं गैर पारंपरिक ऊर्जा विभाग के सचिव के रूप में तैनात किया गया था.

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दोनों केंद्र शासित प्रदेशों द्वारा गृह मंत्रालय को यह बताया कि गोपीनाथन ने कई मामलों में अपने कर्तव्यों का पालन नहीं किया है, जो अखिल भारतीय सेवा (व्यवहार) कानून 1968 के नियम (3) का उल्लंघन है, जिसके बाद केंद्र ने गोपीनाथन को नोटिस जारी कर दिया. केंद्र शासित प्रदेशों ने मंत्रालय 11 जून को पत्र लिखकर बताया कि गोपीनाथन अवज्ञा, काम में ढीले-ढाले रवैये और ड्यूटी नहीं करने के मामलों में संलिप्त हैं. अधिकारी पर स्थाई प्रमाण पत्र जारी करने से संबंधित नीति में संशोधन करने के लिए एक फाइल दाखिल करने में नौ महीने की देरी करने समेत अन्य आरोप लगाए गए थे. 

दादरा एवं नगर हवेली में नरोली से शहीद चौक से समरवानी तक सड़क मार्गो के सुंदरीकरण के लिए अधिकारी को बिजली के तारों को अंडरग्राउंड बिछाने और बिजली के खंबों को एक स्थान से हटाकर दूसरे स्थान पर लगाने का काम मई 2018 तक पूरा करने का निर्देश दिया गया था. गृह मंत्रालय द्वारा भेजे गए नोटिस में कहा गया कि हालांकि बिजली के खंबे दूसरे स्थान पर मार्च 2019 तक नहीं लगाए गए.

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नोटिस में कहा गया कि यहां तक कि गोपीनाथन ने निर्धारित रिपोर्टिग माध्यम को भी नजरअंदाज कर दिया. नोटिस में कहा गया 26 जून 2018, 16 जुलाई 2018 और 15 अक्टूबर 2018 की तारीख के डीएनएच ऊर्जा वितरण कंपनी लिमिटेड के बोर्ड निदेशक की नियुक्ति के ऐसे तीन मामले भी इसमें शामिल हैं. नोटिस के अनुसार, 'गोपीनाथन ने एडवाइजर के माध्यम से प्रशासक को फाइल जमा करने की अपेक्षा सीधे प्रशासक के पास फाइल जमा की थी.'

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नोटिस में आगे लिखा है कि बाद में यह पाया गया कि गोपीनाथन ने केरल में भारी बाढ़ के बीच संबंधित अधिकारियों से मुलाकात करने और बाढ़ पीड़ितों की मदद के लिए केंद्र शासित प्रदेश की तरफ से मदद करने की योजना तैयार करने के लिए केरल का दौरा किया. लेकिन उन्होंने वहां से लौटने पर कोई रिपोर्ट जमा नहीं की. नोटिस में कहा गया कि गोपीनाथन को सार्वजनिक प्रशासन में नवोन्मेष की विभिन्न श्रेणियों में प्रधानमंत्री के पुरस्कार के लिए नामांकन तैयार करने का निर्देश दिया गया. लेकिन उन्होंने यह भी नहीं किया.

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गोपीनाथन ने अपने इस्तीफा पत्र में लिखा कि जम्मू एवं कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 को खत्म किए जाने के बाद कई सप्ताह से राज्य में लाखों लोगों को उनके मौलिक अधिकारों से वंचित रखा गया है. इस्तीफा देने के बाद उन्होंने कहा, 'मैं इस उम्मीद के साथ सिविल सेवा में आया था कि मैं उन लोगों की आवाज बन सकता हूं जिनकी आवाज दबा दी गई है. लेकिन यहां, मेरी अपनी आवाज खो गई है.'

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(हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)

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