मुलाकात के बाद जवान की पत्नी ने दिल्ली उच्च न्यायालय से बुधवार को कहा कि वह उनके कुशलक्षेम को लेकर संतुष्ट हैं.
नई दिल्ली:
सैनिकों को दिए जाने वाले भोजन की गुणवत्ता के खिलाफ सोशल मीडिया के जरिए आवाज उठाने वाले सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) के जवान तेज बहादुर यादव से उनकी पत्नी ने मुलाकात की. मुलाकात के बाद जवान की पत्नी ने दिल्ली उच्च न्यायालय से बुधवार को कहा कि वह उनके कुशलक्षेम को लेकर संतुष्ट हैं.
न्यायमूर्ति जीएस सिस्तानी और न्यायमूर्ति विनोद गोयल की पीठ को दंपति की मुलाकात के बारे में जानकारी दी गई. पीठ ने सरकार को निर्देश दिया था कि वह पति-पत्नी को उस शिविर में मुलाकात करने और दो दिन के लिए साथ रहने की इजाजत दे, जहां यह सैनिक वर्तमान में तैनात है.
अदालत के आदेश का पालन करते हुए शर्मिला देवी अपने पति से मिलने गई थीं और वापस लौटकर उन्होंने अपने वकील के जरिए अदालत को बताया कि पति को खोजने के लिए उन्होंने जो याचिका दायर की थी उस पर कार्यवाही के लिए अब वह दबाव नहीं देना चाहती.
केंद्र और बल की ओर से पेश अधिवक्ता गौरांग कांत ने अदालत को बताया कि बीएसएफ के जवान तेज बहादुर सिंह के पास अब एक नया मोबाइल फोन है और उनके अपने परिजनों से बात करने पर कोई पाबंदी भी नहीं है. उन्होंने कहा कि जवान को कभी भी किसी भी समय गैर कानूनी तरीके से कैद नहीं रखा गया था, बल्कि उसे एक अन्य बटालियन, जम्मू के सांबा स्थित कालीबाड़ी में 88वीं बटालियन के मुख्यालय में तैनात कर दिया गया था.
इसके मद्देनजर पीठ ने याचिका का निबटान कर दिया और कहा, 'अब यह प्रकरण खत्म हो चुका है. अगर आप (सरकार) औपचारिकताओं का पालन करते हुए ही चलते तो यह कभी खत्म ही नहीं होता. देखिए पत्नी अपने पति से मिल लीं और अब वह खुद इस मामले पर आगे नहीं बढ़ना चाहती हैं'.
न्यायमूर्ति जीएस सिस्तानी और न्यायमूर्ति विनोद गोयल की पीठ को दंपति की मुलाकात के बारे में जानकारी दी गई. पीठ ने सरकार को निर्देश दिया था कि वह पति-पत्नी को उस शिविर में मुलाकात करने और दो दिन के लिए साथ रहने की इजाजत दे, जहां यह सैनिक वर्तमान में तैनात है.
अदालत के आदेश का पालन करते हुए शर्मिला देवी अपने पति से मिलने गई थीं और वापस लौटकर उन्होंने अपने वकील के जरिए अदालत को बताया कि पति को खोजने के लिए उन्होंने जो याचिका दायर की थी उस पर कार्यवाही के लिए अब वह दबाव नहीं देना चाहती.
केंद्र और बल की ओर से पेश अधिवक्ता गौरांग कांत ने अदालत को बताया कि बीएसएफ के जवान तेज बहादुर सिंह के पास अब एक नया मोबाइल फोन है और उनके अपने परिजनों से बात करने पर कोई पाबंदी भी नहीं है. उन्होंने कहा कि जवान को कभी भी किसी भी समय गैर कानूनी तरीके से कैद नहीं रखा गया था, बल्कि उसे एक अन्य बटालियन, जम्मू के सांबा स्थित कालीबाड़ी में 88वीं बटालियन के मुख्यालय में तैनात कर दिया गया था.
इसके मद्देनजर पीठ ने याचिका का निबटान कर दिया और कहा, 'अब यह प्रकरण खत्म हो चुका है. अगर आप (सरकार) औपचारिकताओं का पालन करते हुए ही चलते तो यह कभी खत्म ही नहीं होता. देखिए पत्नी अपने पति से मिल लीं और अब वह खुद इस मामले पर आगे नहीं बढ़ना चाहती हैं'.
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