तीन तलाक बिल मंगलवार को राज्यसभा में पारित हो गया. इस तरह आखिरकार इस चर्चित विधेयक को संसद की अंतिम मंजूरी भी मिल गई. अब राष्ट्रपति की स्वीकृति के साथ यह कानून का रूप ले लेगा. तीन तलाक बिल पर राज्यसभा में चर्चा के दौरान विधि एवं न्याय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने न सिर्फ इसके पक्ष में तर्क दिए बल्कि कांग्रेस को निशाना भी बनाया. उन्होंने शाहबानो मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले को पलटने के लिए पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की सरकार द्वारा लाए गए विधेयक का जिक्र करते हुए कांग्रेस पर कड़ा प्रहार किया. प्रसाद ने कहा कि ‘मैं नरेंद्र मोदी सरकार का कानून मंत्री हूं, राजीव गांधी सरकार का कानून मंत्री नहीं हूं.'
राज्यसभा में तीन तलाक विधेयक पर चर्चा का जवाब देते हुए विधि एवं न्याय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा कि एक प्रसिद्ध न्यायाधीश आमिर अली ने 1908 में एक किताब लिखी है. इसके अनुसार तलाक-ए-बिद्दत का पैगंबर मोहम्मद ने भी विरोध किया है. उन्होंने कहा कि एक मुस्लिम आईटी पेशेवर ने उनसे कहा कि तीन बेटियों के जन्म के बाद उसके पति ने उसे एसएमएस से तीन तलाक कह दिया है. उन्होंने कहा कि ‘एक कानून मंत्री के रूप में मैं उससे क्या कहता? क्या यह कहता कि उच्चतम न्यायालय के निर्णय को मढ़वा कर रख लो. अदालत में अवमानना का मुकदमा करो. पुलिस कहती है कि हमें ऐसे मामलों में कानून में अधिक अधिकार चाहिए.'
रविशंकर प्रसाद ने शाहबानो मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले को पलटने के लिए पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की सरकार द्वारा लाए गए विधेयक का जिक्र करते हुए कहा, ‘मैं नरेंद्र मोदी सरकार का कानून मंत्री हूं, राजीव गांधी सरकार का कानून मंत्री नहीं हूं.' उन्होंने कहा कि यदि मंशा साफ हो तो लोग बदलाव की पहल का समर्थन करने को तैयार रहते हैं. प्रसाद ने कहा कि जब इस्लामिक देश अपने यहां अपनी महिलाओं की भलाई के लिए बदलाव की कोशिश कर रहे हैं तो हम तो एक लोकतांत्रिक एवं धर्मनिरपेक्ष देश हैं, हमें यह काम क्यों नहीं करना चाहिए?
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विधि एवं न्याय मंत्री ने कहा कि तीन तलाक से प्रभावित होने वाली करीब 75 प्रतिशत महिलाएं गरीब वर्ग की होती हैं. ऐसे में यह विधेयक उनको ध्यान में रखकर बनाया गया है. प्रसाद ने कहा कि हम ‘सबका साथ सबका विकास एवं सबका विश्वास' में भरोसा करते हैं और इसमें हम वोटों के नफा-नुकसान पर ध्यान नहीं देंगे, सबके विकास के लिए आगे बढ़ेंगे और उन्हें (मुस्लिम समाज को) पीछे नहीं छोड़ेंगे. मुस्लिम महिला (विवाह अधिकार संरक्षण) विधेयक में यह भी प्रावधान किया गया है कि यदि कोई मुस्लिम पति अपनी पत्नी को मौखिक, लिखित या इलेक्ट्रानिक रूप से या किसी अन्य विधि से तीन तलाक देता है तो उसकी ऐसी कोई भी ‘उदघोषणा शून्य और अवैध होगी.' इसमें यह भी प्रावधान किया गया है कि तीन तलाक से पीड़ित महिला अपने पति से स्वयं और अपनी आश्रित संतानों के लिए निर्वाह भत्ता पाने की हकदार होगी. इस रकम को मजिस्ट्रेट निर्धारित करेगा.
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संसद ने मुस्लिम महिलाओं को तीन तलाक देने की प्रथा पर रोक लगाने के प्रावधान वाले ऐतिहासिक विधेयक को मंगलवार को मंजूरी दे दी. विधेयक में तीन तलाक का अपराध सिद्ध होने पर संबंधित पति को तीन साल तक की जेल का प्रावधान किया गया है. मुस्लिम महिला (विवाह अधिकार संरक्षण) विधेयक को राज्यसभा ने 84 के मुकाबले 99 मतों से पारित कर दिया. लोकसभा इसे पहले ही पारित कर चुकी है.
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इससे पहले राज्यसभा ने विधेयक को प्रवर समिति में भेजने के विपक्षी सदस्यों द्वारा लाए गए प्रस्ताव को 84 के मुकाबले 100 मतों से खारिज कर दिया. विधेयक पर लाए गए कांग्रेस के दिग्विजय सिंह के एक संशोधन को सदन ने 84 के मुकाबले 100 मतों से खारिज कर दिया. विधेयक पारित होने से पहले ही जेडीयू एवं अन्नाद्रमुक के सदस्यों ने इससे विरोध जताते हुए सदन से बहिर्गमन किया.
VIDEO : राज्यसभा में पारित हुआ तीन तलाक विधेयक
(इनपुट भाषा से)
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