अस्पताल में भर्ती प्रत्यूषा
हैदराबाद:
8 जुलाई को हैदराबाद में अपने पिता के घर में कैद प्रत्यूषा को जब एक समाजसेवी संस्था ने छुड़ाया था तब उसके शरीर में 100 से भी ज्य़ादा घाव और चोट के निशान थे। लेकिन गुरुवार को जब अस्पताल में उसने टीवी चैनलों पर अपने पिता के गिरफ़्तार होने की खबर देखी तो बिल्कुल शांत रही।
प्रत्यूषा के पिता टेलीकॉम विभाग में काम करते हैं और पिछले एक हफ्ते से फरार थे। ये पूछे जाने पर कि क्या वो अपने पिता से मिलना चाहेगी, प्रत्यूषा ने एक शब्द में कहा, 'कभी नहीं।'
जिस वक्त प्रत्यूषा को रिहा कराया गया था उस वक्त वो सांस लेने संबंधी तकलीफ़ और इंटर्नल इनफेक्शंस से पीड़ित थी।
प्रत्यूषा के अनुसार उसकी सौतेली मां उसे महीनों से टॉर्चर कर रही थी, उसे टॉयलेट साफ करने वाला लिक्विड पीने को कहती थी, उसकी सौतेली मां ने उसके सिर मुंडवा दिए थे और पड़ोसियों को ये कह दिया कि वो दिमाग़ी तौर पर बीमार है जबकि उसके पिता ये सब चुपचाप देखा करते थे।
संपत्ति के लिए प्रताड़ना
पुलिस के अनुसार, प्रत्यूषा के साथ ये सब करने की वजह संपत्ति हथियाना हो सकता है क्योंकि उसे विरासत में बहुत बड़ी संपत्ति मिलने वाली थी। पुलिस ने प्रत्यूषा की सौतेली मां और पिता खिलाफ़ इंडियन पीनल कोड के अनुसार हत्या की कोशिश का केस दर्ज किया है।
लेकिन प्रत्यूषा कहती है, 'मैं कोई संपत्ति नहीं चाहती हूं। मुझे मेरे पिता या परिवार से कोई मतलब नहीं रखना है, मैं पढ़ाई कर के अपने पांव पर खड़ी होना चाहती हूं, यही मेरे जीवन का सबसे बड़ा सपना है।'
प्रत्यूषा से मिलने अस्पताल में लोगों की लाइन लग गई है, उसका जिस तरह से ख़्याल रखा जा रहा है उससे वो बहुत खुश है। वो बताती है, 'बेंगलुरु से आए दो भाईयों ने मुझे ये टेडी बियर गिफ्ट किया और मेरे जल्द ठीक होने की दुआ की...अचानक से कई अनजान लोग मेरा परिवार बन गए हैं।'
'अवैर ग्लोबल' अस्पताल की चीफ़ ऑपरेटिंग ऑफिसर डॉ विजय कुमारी प्रत्यूषा के ठीक होने की रफ़्तार से काफी खुश हैं। वे कहती हैं, 'प्रत्यूषा को जब यहां लाया गया था तब वो बमुश्किल चल या बोल पा रही थी, उसका हेमोग्लोबिन काउंट भी पांच से नीचे था जो बहुत खराब होता है, लेकिन अब वो ठीक हो रही है।'
बाल अधिकारों के लिए काम करने वाले एक्टिविस्ट अच्युत राव जिन्होंने प्रत्यूषा को छुड़ाया है वो अब सरकारी और कई एनजीओ से बात करने में लगे हैं ताकि ये सुनिश्चित किया जा सके कि प्रत्यूषा को वो सारी मदद मिल सके जिससे वो एक नई शुरुआत कर सके।
प्रत्यूषा के पिता टेलीकॉम विभाग में काम करते हैं और पिछले एक हफ्ते से फरार थे। ये पूछे जाने पर कि क्या वो अपने पिता से मिलना चाहेगी, प्रत्यूषा ने एक शब्द में कहा, 'कभी नहीं।'
जिस वक्त प्रत्यूषा को रिहा कराया गया था उस वक्त वो सांस लेने संबंधी तकलीफ़ और इंटर्नल इनफेक्शंस से पीड़ित थी।
प्रत्यूषा के अनुसार उसकी सौतेली मां उसे महीनों से टॉर्चर कर रही थी, उसे टॉयलेट साफ करने वाला लिक्विड पीने को कहती थी, उसकी सौतेली मां ने उसके सिर मुंडवा दिए थे और पड़ोसियों को ये कह दिया कि वो दिमाग़ी तौर पर बीमार है जबकि उसके पिता ये सब चुपचाप देखा करते थे।
संपत्ति के लिए प्रताड़ना
पुलिस के अनुसार, प्रत्यूषा के साथ ये सब करने की वजह संपत्ति हथियाना हो सकता है क्योंकि उसे विरासत में बहुत बड़ी संपत्ति मिलने वाली थी। पुलिस ने प्रत्यूषा की सौतेली मां और पिता खिलाफ़ इंडियन पीनल कोड के अनुसार हत्या की कोशिश का केस दर्ज किया है।
लेकिन प्रत्यूषा कहती है, 'मैं कोई संपत्ति नहीं चाहती हूं। मुझे मेरे पिता या परिवार से कोई मतलब नहीं रखना है, मैं पढ़ाई कर के अपने पांव पर खड़ी होना चाहती हूं, यही मेरे जीवन का सबसे बड़ा सपना है।'
प्रत्यूषा से मिलने अस्पताल में लोगों की लाइन लग गई है, उसका जिस तरह से ख़्याल रखा जा रहा है उससे वो बहुत खुश है। वो बताती है, 'बेंगलुरु से आए दो भाईयों ने मुझे ये टेडी बियर गिफ्ट किया और मेरे जल्द ठीक होने की दुआ की...अचानक से कई अनजान लोग मेरा परिवार बन गए हैं।'
'अवैर ग्लोबल' अस्पताल की चीफ़ ऑपरेटिंग ऑफिसर डॉ विजय कुमारी प्रत्यूषा के ठीक होने की रफ़्तार से काफी खुश हैं। वे कहती हैं, 'प्रत्यूषा को जब यहां लाया गया था तब वो बमुश्किल चल या बोल पा रही थी, उसका हेमोग्लोबिन काउंट भी पांच से नीचे था जो बहुत खराब होता है, लेकिन अब वो ठीक हो रही है।'
बाल अधिकारों के लिए काम करने वाले एक्टिविस्ट अच्युत राव जिन्होंने प्रत्यूषा को छुड़ाया है वो अब सरकारी और कई एनजीओ से बात करने में लगे हैं ताकि ये सुनिश्चित किया जा सके कि प्रत्यूषा को वो सारी मदद मिल सके जिससे वो एक नई शुरुआत कर सके।