आंतकी हमले में शहीद हुए अधिकारी को सलामी देती उनकी बेटी
कोलकाता:
जम्मू कश्मीर की राजधानी श्रीनगर के नौहट्टा में आतंकवादियों की गोली का शिकार होकर वीर गति को प्राप्त हुए सीआरपीएफ अफसर के तिरंगे में लिपटे ताबूत को उनकी 7 साल की बेटी ने जब सलामी दी, तो वहां मौजूद सभी लोगों की आंखें नम हो गईं.
केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) की 49वीं बटालियन के कमांडिंग अफसर 44 वर्षीय प्रमोद कुमार का अंतिम संस्कार आज शाम बंगाल-झारखंड सीमा पर बसे उनके गृहप्रदेश मिहिगम पालबागान में किया गया. वहीं उनके साथी अधिकारी बताते हैं कि आतंकी मुठभेड़ में शहीद होने से कुछ ही मिनट पहले कुमार ने तिरंगा फहराया था और कहा था, 'यह बेहद महत्वपूर्ण दिन है.'
कुमार ने सुबह 8.30-8.40 बजे तिरंगा फहराया और अपने भाषण में कहा कि भारत अपनी स्वतंत्रता के 70 साल का जश्न मना रहा है और सुरक्षा बलों की जिम्मेदारी बढ़ गई है और उन्हें कारगर तरीके से जम्मू कश्मीर में आतंकवादियों और पथराव की घटनाओं से निपटना है. भाषण समाप्त करने से ठीक पहले कार्यक्रम के एक वीडियो में कुमार को अपनी घड़ी देखते देखा जा रहा है. उन्होंने कहा, 'यह महत्वपूर्ण दिन है.' उन्हें यह पता भी नहीं था कि उनकी किस्मत को क्या मंजूर है.
कुमार 1998 में अर्धसैनिक बल में शामिल हुए थे. उन्होंने बल के उन कर्मियों के नामों को भी पढ़ा, जिन्हें स्वतंत्रता दिवस की पूर्व संध्या पर वीरता पदक दिया गया और उन्हें बधाई भी दी. उसके तुरंत बाद सीआरपीएफ नियंत्रण कक्ष को वायरलेस सेट पर सूचना मिली कि आतंकवादी श्रीनगर के नौहट्टा चौक, गोजवारा चौक, बाटा गली और खानियार चौक पर गोला फेंक रहे हैं और गोलीबारी कर रहे हैं. उन्होंने अतिरिक्त बलों की मांग की. कुमार अपनी निजी सुरक्षा दल की छोटी टीम के साथ एक बुलेट प्रूफ वाहन पर सवार होकर तुरंत घटनास्थल पर पहुंचे. उन्होंने बताया, 'आतंकवादी अब भी गोलीबारी कर रहे थे. कुमार ने मोर्चे की अगुवाई की और उनके गर्दन के ऊपरी हिस्से पर गोली लगी.' उन्हें श्रीनगर में सेना की 92वीं बेस अस्पताल में ले जाया गया, जहां उन्होंने दम तोड़ दिया.
सीआरपीएफ के एक वरिष्ठ अधिकारी जिन्होंने पूर्वोत्तर में उग्रवाद निरोधी ग्रिड में उनके साथ काम किया था, उन्होंने कहा कि वह शांत लेकिन दुस्साहसी थे. उन्होंने कहा, 'हमें कभी नहीं पता चलेगा कि क्यों उन्होंने कल कहा था कि यह एक महत्वपूर्ण दिन है. हो सकता है कि उन्हें कल जो घटना हुई उसका पूर्वाभास हो गया हो.' (एजेंसी इनपुट के साथ)
केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) की 49वीं बटालियन के कमांडिंग अफसर 44 वर्षीय प्रमोद कुमार का अंतिम संस्कार आज शाम बंगाल-झारखंड सीमा पर बसे उनके गृहप्रदेश मिहिगम पालबागान में किया गया. वहीं उनके साथी अधिकारी बताते हैं कि आतंकी मुठभेड़ में शहीद होने से कुछ ही मिनट पहले कुमार ने तिरंगा फहराया था और कहा था, 'यह बेहद महत्वपूर्ण दिन है.'
कुमार ने सुबह 8.30-8.40 बजे तिरंगा फहराया और अपने भाषण में कहा कि भारत अपनी स्वतंत्रता के 70 साल का जश्न मना रहा है और सुरक्षा बलों की जिम्मेदारी बढ़ गई है और उन्हें कारगर तरीके से जम्मू कश्मीर में आतंकवादियों और पथराव की घटनाओं से निपटना है. भाषण समाप्त करने से ठीक पहले कार्यक्रम के एक वीडियो में कुमार को अपनी घड़ी देखते देखा जा रहा है. उन्होंने कहा, 'यह महत्वपूर्ण दिन है.' उन्हें यह पता भी नहीं था कि उनकी किस्मत को क्या मंजूर है.
कुमार 1998 में अर्धसैनिक बल में शामिल हुए थे. उन्होंने बल के उन कर्मियों के नामों को भी पढ़ा, जिन्हें स्वतंत्रता दिवस की पूर्व संध्या पर वीरता पदक दिया गया और उन्हें बधाई भी दी. उसके तुरंत बाद सीआरपीएफ नियंत्रण कक्ष को वायरलेस सेट पर सूचना मिली कि आतंकवादी श्रीनगर के नौहट्टा चौक, गोजवारा चौक, बाटा गली और खानियार चौक पर गोला फेंक रहे हैं और गोलीबारी कर रहे हैं. उन्होंने अतिरिक्त बलों की मांग की. कुमार अपनी निजी सुरक्षा दल की छोटी टीम के साथ एक बुलेट प्रूफ वाहन पर सवार होकर तुरंत घटनास्थल पर पहुंचे. उन्होंने बताया, 'आतंकवादी अब भी गोलीबारी कर रहे थे. कुमार ने मोर्चे की अगुवाई की और उनके गर्दन के ऊपरी हिस्से पर गोली लगी.' उन्हें श्रीनगर में सेना की 92वीं बेस अस्पताल में ले जाया गया, जहां उन्होंने दम तोड़ दिया.
सीआरपीएफ के एक वरिष्ठ अधिकारी जिन्होंने पूर्वोत्तर में उग्रवाद निरोधी ग्रिड में उनके साथ काम किया था, उन्होंने कहा कि वह शांत लेकिन दुस्साहसी थे. उन्होंने कहा, 'हमें कभी नहीं पता चलेगा कि क्यों उन्होंने कल कहा था कि यह एक महत्वपूर्ण दिन है. हो सकता है कि उन्हें कल जो घटना हुई उसका पूर्वाभास हो गया हो.' (एजेंसी इनपुट के साथ)
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