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This Article is From Aug 31, 2020

बच्चों के टीकाकरण में भारी गिरावट, डॉक्टरों ने चेताया - COVID-19 से भी ज्यादा घातक, अगर...

कोरोनावायरस (Coronavirus) ने स्वास्थ्य सेवाओं पर बहुत बुरा असर डाला है. बच्चों के टीकाकरण (Vaccination) में भारी गिरावट आयी है, जो डॉक्टरों के मुताबिक गंभीर समस्या है.

प्रतीकात्मक तस्वीर

मुंबई:

कोरोनावायरस (Coronavirus) ने स्वास्थ्य सेवाओं पर बहुत बुरा असर डाला है. बच्चों के टीकाकरण (Vaccination) में भारी गिरावट आयी है, जो डॉक्टरों के मुताबिक गंभीर समस्या है. मुंबई (Mumbai) खास तौर से प्रभावित है. तेजी से बढ़ते कोरोना (COVID-19) ने बड़ों से लेकर बच्चों तक के स्वास्थ्य सेवाओं पर गहरा असर डाला है. देश में बड़ी संख्या में बच्चों का टीकाकरण नहीं कराया जा सका. नेशनल हेल्थ मिशन के आंकड़ों के मुताबिक़ जनवरी से अप्रैल तक में टीकाकरण की संख्या में 64 प्रतिशत की कमी आई है.

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नेशनल हेल्थ मिशन का आंकड़ा कहता है कि जनवरी 2020 के मुकाबले अप्रैल में टीबी से बचाने वाला बीसीजी टीकाकरण 50% तक कम किया गया. जनवरी 2020 के मुकाबले अप्रैल में ओरल पोलियो 39% घट गई है. जनवरी 2020 के मुकाबले अप्रैल में पेंटावैलेंट टीकाकरण जो 5 घातक बीमारियों (मेनिन्जाइटिस, निमोनिया, काली खांसी, टिटनेस, हेपेटाइटिस बी और डिप्थीरिया) 68% तक गिरा है. जनवरी 2020 के मुकाबले अप्रैल 2020 में 69% बच्चों ने रोटावायरस टीका नहीं लगवाया. 

मुंबई में मार्च से टीकाकरण में 60 फ़ीसदी की कमी बतायी जा रही है. डॉक्टरों के मुताबिक़ बच्चों का जरूरी टीकाकरण नहीं कराया गया तो आने वाले समय में इन्हें किसी तरह की गंभीर बीमारी से गुजरना पड़ सकता है.

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फोर्टिस हॉस्पिटल के पीडीऐट्रिक डॉ. कुमार साल्वी ने कहा, ''पोलियो, मीज़ल, डिप्थीरिया, ये बीमारी कोविड से भी ज़्यादा घातक है, अगर कमी आयी तो कम्युनिटी में आउटब्रेक हो सकता है, इसको रोकने के लिए सख़्ती से इम्यूनाईज़ेशन स्केड्यूल फ़ॉलो करना चाहिए.''

चाइल्ड स्पेशेलिस्ट डॉ. सुशांत वडाम्वे ने कहा, ''सबसे ज़रूरी टीका है जन्म के साथ वो है बीसीजी, ओरल पोलियो और हेपेटाईटीस बी. यह जरूरी हैं. फिर तीन जरूरी आते हैं छठवें, दसवें और चौदहवें हफ़्ते में. एमआर ऐकसीन यानी मीज़ल रुबेला, फिर ओरियल पोलियो टीका, ये जो है वो एक साल के अंदर के बच्चों में सबसे ज़रूरी है.''

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पीडीऐट्रिक डॉ. प्रसन्ना कुलकर्णी ने कहा, ''मीज़ल्स का मिस करना घातक हो सकता है, खासकर वो बच्चा जिसका वजन कम हो पहले से बीमार हो, मीसल्स होने पर इम्म्यूनिटी कम होगी निमोनिया हो सकता है.'' लॉकडाउन और कोरोना के डर के कारण ये ज़रूरी टीके लाखों बच्चों को नहीं लगे लेकिन अब डाक्टर्ज़ लोगों से और देरी नहीं करने की अपील कर रहे हैं.

डॉ सुशांत वडाम्वे ने कहा, ''इस कोरोना के टाइम पर लोग डरे हुए हैं, बाहर नहीं निकलना चाहते, तो चांसेस बढ़ते हैं कि बच्चे पर ये बीमारियां हावी हो सकती है, जिस वजह से बच्चे होस्पिटलाइज हो सकते हैं. बच्चों को कोरोना का ख़तरा ज़्यादा नहीं है, इसलिए आप निकलें इन्हें टीका लगवाएं.''

कई गर्भवती महिलाओं को भी जरूरी टीके लगते हैं, लेकिन कोरोना के खौफ में ये भी प्रभावित हुए, स्वास्थ्य केंद्रों में आने की लोगों से अपील के साथ साथ इनके लिए कुछ खास स्वास्थ्य इंतजाम इनके भय को कम करने में मददगार साबित हो सकते हैं.

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