विज्ञापन
This Article is From Jun 22, 2012

सिंगूर मामले में ममता के खिलाफ फैसला, टाटा की जीत

सिंगूर मामले में ममता के खिलाफ फैसला, टाटा की जीत
कोलकाता: ममता बनर्जी के नेतृत्व वाली पश्चिम बंगाल सरकार को उस वक्त करारा झटका लगा, जब कलकत्ता हाईकोर्ट ने सिंगूर भूमि पुनर्वास एवं विकास अधिनियम, 2011 को असंवैधानिक और अमान्य करार दिया। इस अधिनियम के तहत राज्य सरकार ने टाटा मोटर्स को पट्टे पर दी गई जमीन वापस ले ली थी। हाईकोर्ट के इस फैसले को टाटा मोटर्स की जीत माना जा रहा है, जिसका प्लांट उस जमीन पर लगाया जाना था, जिसे राज्य सरकार ने यह कानून बनाकर किसानों को लौटाने का फैसला किया था।

टाटा मोटर्स लिमिटेड की ओर से दायर अपील पर फैसला सुनाते हुए न्यायमूर्ति पिनाकी चंद्र घोष और न्यायमूर्ति मृणाल कांति चौधरी ने कहा कि अधिनियम के लिए राष्ट्रपति की मंजूरी नहीं ली गई और यह अमान्य तथा असंवैधानिक है।

हालांकि, आदेश के लागू किए जाने पर दो सदस्यीय पीठ ने दो महीने के लिए रोक लगा दी, ताकि प्रभावित पक्ष फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील कर सके। दो सदस्यीय पीठ ने न्यायमूर्ति आईपी मुखर्जी की एकल पीठ के उस आदेश को निरस्त कर दिया, जिसमें अधिनियम को संवैधानिक घोषित किया गया था। दो सदस्यीय पीठ ने कहा कि एकल पीठ के पास विधायिका द्वारा छोड़ी गई कमियों को भरने का कोई अधिकार क्षेत्र नहीं था। अदालत ने यह भी कहा कि सिंगूर में उस अधिनियम के जरिए भूमि का अधिग्रहण किया गया था और यह अमान्य है।

टाटा मोटर्स ने कलकत्ता हाईकोर्ट की एकल पीठ के आदेश को दो सदस्यीय पीठ के समक्ष चुनौती दी थी। एकल पीठ ने सिंगूर भूमि पुनर्वास एवं विकास अधिनियम, 2011 को बरकरार रखा था। इस अधिनियम के जरिए राज्य सरकार ने सिंगूर में कंपनी को पट्टे पर दी गई जमीन वापस ले ली थी। टाटा मोटर्स ने न्यायमूर्ति मुखर्जी द्वारा पिछले साल 28 सितंबर को दिए गए आदेश के खिलाफ अपील की थी।

दरअसल टाटा मोटर्स के इस प्लांट को पूर्ववर्ती वामपंथी राज्य सरकार ने हरी झंडी दी थी, और लीज (पट्टे) पर कंपनी को दी गई इस 997 एकड़ जमीन पर टाटा की सबसे सस्ती कार 'नैनो' के उत्पादन के लिए कारखाना स्थापित किया जाना था, लेकिन ममता बनर्जी चूंकि उसी समय से इस प्लांट का जमकर विरोध कर रही थीं, इसलिए उन्होंने पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री बनने के बाद यह कानून बनाकर सिंगूर की यह एक हजार एकड़ जमीन उन 13,000 किसानों को लौटाने का फैसला किया, जिनसे यह ज़मीन अधिग्रहीत की गई थी।

वामपंथी सरकार के समय भी ममता के विरोध के चलते लगभग 2,000 किसानों ने अपनी 400 एकड़ जमीन के लिए मुआवजा कबूल नहीं किया था और ममता ने उन्हें उनकी जमीनें लौटाने का वादा किया था। इन विरोध-प्रदर्शनों के चलते 2008 में टाटा ने अपने प्लांट को सिंगूर से बाहर (गुजरात) ले जाने का फैसला कर लिया था। वैसे टाटा मोटर्स का दावा है कि वे सिंगूर में इस प्लांट के लिए 1,500 करोड़ रुपये का निवेश कर चुके हैं, और मुआवजा चाहते हैं।

(इनपुट भाषा से भी)

NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं

फॉलो करे:
Listen to the latest songs, only on JioSaavn.com