कोरोनावायरस : 1,400 साल में पहली बार रमज़ान में होंगे क्या-क्या बदलाव..

इस बार रोज़ेदारों को अपने घर में ही नमाज़ और रोज़ा खोलना होगा. हर मुसलमान के लिए ये पहली बार होगा कि वो रमज़ान के महीने में भी मस्जिद में नहीं जा पाएंगे.

कोरोनावायरस : 1,400 साल में पहली बार रमज़ान में होंगे क्या-क्या बदलाव..

रमज़ान का पवित्र महीना शुरू होने वाला है. (फाइल फोटो)

खास बातें

  • रमजान में लोग मस्जिद में साथ में नमाज पढ़ते हैं और रोजा खोलते हैं
  • इस बार कोरोना के चलते मस्जिद में नमाज़ नहीं पढ़ पाएंगे मुसलमान
  • कोरोना वायरस एक-दूसरे के संपर्क में आने से फैलता है.
नई दिल्ली:

रमज़ान का पवित्र महीना शुरू होने वाला है. यह एक ऐसा महीना है जिसे खुदा का महीना माना जाता है. रमज़ान महीने से पहले दो और महीने होते हैं जिनमें भी रोज़ा रखने का सवाब बहुत होता है. पहला रजब और दूसरा शाबान. शाबान महीने के बाद आता है रमज़ान. इसी रमज़ान के महीने में ही क़ुरान पैगम्बर हज़रत मोहम्मद मुस्तफा सवअ पर नाज़िल हुआ था, साथ ही तीन और किताब तौरेत, इंजील और ज़ुबुर भी इसी रमज़ान के महीने में पैगम्बर हज़रत मूसा अस, हज़रत ईसा अस, हज़रत दाउद अस पर हुई थी. इसी महीने से ही रोज़े रखने की शुरुआत हुई थी. 1400 साल से ज्यादा हो चुके हैं, तब से हर मुसलमान पर रोज़ा रखना वाजिब है, नमाज़ के बाद रोज़ा ही दूसरा कर्तव्य है जो हर एक मुस्लिम पर वाजिब है. 

कोरोना की वजह से इस बार क्या हुए हैं बदलाव
रमज़ान के महीने का चांद दिखते ही बाज़ार, मस्ज़िद में रौनक बढ़ जाती है. फैनी, सैवेंया, खीर, फ्रूट, पकौड़ियां, खज़ूर जगह जगह देखने को मिलते हैं. और रोज़ेदार इन दुकानों से सामान लेते दिखते हैं. रमज़ान महीने की पहली ही तारिख से रोज़े रखने शुरू हो जाते  हैं, जिसमें सूरज निकलने के पहले पहले रोज़ेदार खा पी सकता है. सूरज डूबने के बाद ही रोज़ा खोल सकता है और कुछ भी खा पी सकता है. रोज़ेदार रोज़े रखते ही सुबह फज्र की नमाज़ पढ़ने मस्जिद में जाते हैं, साथ ही इसी तरह दोपहर की नमाज़ (ज़ोहर, अस्र) में भी मस्ज़िद में जाकर जमात के साथ नमाज़ पढ़ते हैं. वहीं जैसे ही सूरज अस्त होता है. रोज़ेदार अपना रोज़ा खोलते हैं. मस्जिद में ज्यादातर रोज़ेदार एक साथ बैठे हुए होते हैं, एक साथ इफ्तारी करते हैं. और मग्रिब की नमाज़ पढ़ते हैं.

रमजान से पहले बॉलीवुड डायरेक्टर ने दी लोगों को सलाह, बोले- यह तो महीना ही परहेज का है इसलिए...

लेकिन अब कोरोना की वजह से जिस तरह लॉकडाउन हुआ है जिसमें ना कोई घर से बाहर निकल सकता है और ना ही कोई मस्जिद  में जाकर नमाज़ पढ़ सकता है, तो इस बार रोज़ेदारों को अपने घर में ही नमाज़ और रोज़ा खोलना होगा. हर मुसलमान के लिए ये पहली बार होगा कि वो रमज़ान के महीने में भी मस्जिद में नहीं जा पाएंगे वहीं लोग एक दूसरे से मुलाकात करते हैं. यहां इस बात की तारीफ करनी होगी कि हर मुस्लिम ने अपना कर्तव्य समझकर लॉकडाउन का पालन करते नज़र आ रहे हैं और अपने घरों में ही रह रहे हैं. 

Ramzan 2020: रोजा रखने को लेकर अयातुल्ला सिस्तानी का ने जारी किया फतवा, कहा- "कोरोना का खतरा लगने पर..."

वहीं हर घर से एक ही ये दुआ की जा रही है कि जल्द से जल्द ये कोरोना बीमारी चली जाए जिससे हर एक इंसान खुशी से अपनी ज़िंदगी बिता सके साथ ही ईद के मौके पर सभी एकता की मिसाल पेश कर सके. क्योंकि अगर कोरोना 25 मई तक चला तो ईद पर भी रोज़ेदार एक दूसरे के घर पर जाकर मुबारकबाद पेश नहीं कर पाएंगे. 

Listen to the latest songs, only on JioSaavn.com

एनडीटीवी भी यहीं दूआ करता है कि हर किसी के लिए ये त्यौहार खुशी के साथ गुज़रे.