लखनऊ:
पूर्वी उत्तर प्रदेश के प्रतापगढ़ जिले के बलिपुर गांव में शाम का वक्त था, जब गांव के प्रधान नन्हें यादव को चार लोगों ने गोलियां मार दी। यह इलाका राजा भैया का कहा जाता है। इसी क्षेत्र से राजा भैया लगातार पांच बार विधायक बने हैं।
कहा जा रहा है कि जिन चार लोगों ने प्रधान को गोली मारी वे राजा भैया के लोग थे। यह दावा स्थानीय पुलिस के लोग भी कर रहे हैं। गांव के प्रधान की हत्या ठीक उसी जगह पर की गई जहां पर कुछ दुकानों के कब्जे को लेकर विवाद था।
इस हत्या की खबर सुनने के बाद डीएसपी जिया उल हक मौके पर तीन पुलिस वालों के साथ पहुंचे और घायल प्रधान को लेकर
अस्पताल पहुंचे जहां डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया। इसके बाद वह प्रधान के शव के लेकर वापस गांव लौटे। इस समय तक उनके पास करीब आठ पुलिस वाले आ गए थे।
लेकिन जब तक वह लौटे तब तक गांव में करीब 300 लोगों की क्रोधित भीड़ जमा हो चुकी थी। कहा जा रहा है कि इस भीड़ में कुछ लोग हथियार से लैस थे।
भीड़ को बेकाबू होते देख डीएसपी हक से साथ मौजूद पुलिसवाले धीमे-धीमे छुपने की जगहों पर पहुंच गए। उनका कहना है कि हक को लोगों ने अलग कर लिया। और प्रधान के घर के पीछे लेकर चले गए। इसके बाद तीन गोलियों की आवाज सुनाई दी।
पुलिस का कहना है कि तीन में से दो गोलियां प्रधान के भाई सुरेश यादव को मारी गईं। वहीं से पांच मीटर की दूरी पर डीएसपी हक को बुरी तरह से पीटा गया। और फिर पीछे से गोली मार दी गई। डीएसपी के मृत शरीर को फिर घसीटकर कुंए के पास ले जाया गया।
लेकिन डीएसपी हक की विधवा परवीन आजाद इस कहानी पर यकीन नहीं करतीं। उनका कहना है कि पुलिस वाले उन्हें जानबूझकर छोड़कर भाग गए।
डीएसपी की हत्या के मामले में राजा भैया ने यूपी सरकार में मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया। सीबीआई ने भी हत्या के मामले में उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई है।
कहा जा रहा है कि जिन चार लोगों ने प्रधान को गोली मारी वे राजा भैया के लोग थे। यह दावा स्थानीय पुलिस के लोग भी कर रहे हैं। गांव के प्रधान की हत्या ठीक उसी जगह पर की गई जहां पर कुछ दुकानों के कब्जे को लेकर विवाद था।
इस हत्या की खबर सुनने के बाद डीएसपी जिया उल हक मौके पर तीन पुलिस वालों के साथ पहुंचे और घायल प्रधान को लेकर
अस्पताल पहुंचे जहां डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया। इसके बाद वह प्रधान के शव के लेकर वापस गांव लौटे। इस समय तक उनके पास करीब आठ पुलिस वाले आ गए थे।
लेकिन जब तक वह लौटे तब तक गांव में करीब 300 लोगों की क्रोधित भीड़ जमा हो चुकी थी। कहा जा रहा है कि इस भीड़ में कुछ लोग हथियार से लैस थे।
भीड़ को बेकाबू होते देख डीएसपी हक से साथ मौजूद पुलिसवाले धीमे-धीमे छुपने की जगहों पर पहुंच गए। उनका कहना है कि हक को लोगों ने अलग कर लिया। और प्रधान के घर के पीछे लेकर चले गए। इसके बाद तीन गोलियों की आवाज सुनाई दी।
पुलिस का कहना है कि तीन में से दो गोलियां प्रधान के भाई सुरेश यादव को मारी गईं। वहीं से पांच मीटर की दूरी पर डीएसपी हक को बुरी तरह से पीटा गया। और फिर पीछे से गोली मार दी गई। डीएसपी के मृत शरीर को फिर घसीटकर कुंए के पास ले जाया गया।
लेकिन डीएसपी हक की विधवा परवीन आजाद इस कहानी पर यकीन नहीं करतीं। उनका कहना है कि पुलिस वाले उन्हें जानबूझकर छोड़कर भाग गए।
डीएसपी की हत्या के मामले में राजा भैया ने यूपी सरकार में मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया। सीबीआई ने भी हत्या के मामले में उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई है।
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