
पूर्व प्रधानमंत्री स्व. लालबहादुर शास्त्री की दो अक्टूबर को पुण्यतिथि मनाई जाती है.
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लाल बहादुर शास्त्री कैसे बने थे प्रधानमंत्री
कुलदीप नैयर की आत्मकथा में शास्त्री को लेकर कई दावे
दावा- एक खबर ने की थी पीएम बनने में मदद
नैयर अपनी आत्मकथा 'Beyond the Lines' में लिखते हैं- उस खबर के बाद के. कामराज ने संसद भवन में मुलाकात के दौरान उन्हें थैंक्यू कहा था. दरअसल, के कामराज कतई नहीं चाहते थे कि देसाई प्रधानमंत्री बनें. वहीं जब शास्त्री पार्टी नेता चुने गए तो उन्होंने सबके सामने संसद भवन की सीढ़ियों पर उन्हें गले लगा लिया.जबकि देसाई को लगता था कि यह स्टोरी उन्हें नुकसान और शास्त्री को फायदा पहुंचाने के लिए लिखी गई थी. हालांकि नैय्यर ने कई दफा शास्त्री और देसाई दोनों को ससमझाने की कोशिश की संबंधित स्टोरी किसी को फायदा या नुकसान पहुंचाने के मकसद से नहीं लिखी गई थी.हालांकि नैयर आत्मकथा में यह मानते हैं कि उन्होंने शास्त्री की छवि को फायदा पहुंचाने वाली कई खबरें लिखीं. अपनी आत्मकथा में नैयर एक और खुलासा कर चुके हैं. यह कि लालबहादुर शास्त्री की दिल्ली में समाधि बनाने के पक्ष में इंदिरा गांधी नहीं थी, मगर ललिता शास्त्री ने जब आमरण अनशन की धमकी दी तो मामले की नजाकत को समझते हुए इंदिरा को फैसला बदलना पड़ा और दिल्ली में समाधि बनवानी पड़ी.
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