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This Article is From Oct 02, 2018

Lal Bahadur Shastri Jayanti 2018 : लाल बहादुर शास्त्री को क्या प्रधानमंत्री बनने में एक खबर ने की थी मदद, कुलदीप नैयर की आत्मकथा में दावा

कुलदीप नैय्यर की आत्मकथा 'Beyond the Lines' में दावा- कुछ यूं प्रधानमंत्री बनने में सफल रहे थे लाल बहादुर शास्त्री.

Lal Bahadur Shastri Jayanti 2018 : लाल बहादुर शास्त्री को क्या प्रधानमंत्री बनने में एक खबर ने की थी मदद, कुलदीप नैयर की आत्मकथा में दावा
पूर्व प्रधानमंत्री स्व. लालबहादुर शास्त्री की दो अक्टूबर को पुण्यतिथि मनाई जाती है.
नई दिल्ली: बात उस समय की है, जब 27 मई 1964 को पंडित जवाहरलाल नेहरू का निधन हो गया. देश उस वक्त नाजुक दौर से गुजर रहा था. जल्द एक योग्य प्रधानमंत्री के लिए कांग्रेस के अंदरखाने चेहरे की खोज शुरू हुई. उस दौर के दिग्गज नेता  जोड़-तोड़ में लगे थे. प्रधानमंत्री की रेस में कई बड़े कांग्रेस नेताओं का नाम उछल रहा था. इनमें लाल बहादुर शास्त्री, मोरारजी देसाई और जेपी नारायण के नाम प्रमुख थे. उस वक्त पत्रकार कुलदीप नैय्यर(अब दुनिया में नहीं) समाचार एजेंसी यूएनआई में थे. उस संक्रमणकाल में एक ऐसी सनसनीखेज खबर उन्होंने एजेंसी से जारी कर दी, जिसने लाल बहादुर शास्त्री की दावेदारी जहां मजबूत की, वही मोरारजी देसाई को हाशिये पर कर दिया. दरअसल, नैयर ने मोरारजी देसाई के करीबियों के हवाले से उनकी प्रधानमंत्री पद को लेकर दावेदारी जताने की खबर जारी कर दी थी, यह खबर देसाई के राजनीतिक करियर के लिए बहुत खिलाफ गई.  इससे पार्टी और बाहर के लोगों में जहां मोरारजी के प्रति नाराजगी पैदा हो गई और लोग उन्हें महत्वाकांक्षी मानने लगे. मोरारजी समर्थकों के मुताबिक इस खबर से उन्हें सौ वोटों का घाटा हो गया.

नैयर अपनी आत्मकथा 'Beyond the Lines' में लिखते हैं- उस खबर के बाद के. कामराज ने संसद भवन में मुलाकात के दौरान उन्हें थैंक्यू कहा था. दरअसल, के कामराज कतई नहीं चाहते थे कि देसाई प्रधानमंत्री बनें. वहीं जब शास्त्री पार्टी नेता चुने गए तो उन्होंने सबके सामने संसद भवन की सीढ़ियों पर उन्हें गले लगा लिया.जबकि देसाई को लगता था कि यह स्टोरी उन्हें नुकसान और शास्त्री को फायदा पहुंचाने के लिए लिखी गई थी. हालांकि नैय्यर ने कई दफा शास्त्री और देसाई दोनों को ससमझाने की कोशिश की संबंधित स्टोरी किसी को फायदा या नुकसान पहुंचाने के मकसद से नहीं लिखी गई थी.हालांकि नैयर आत्मकथा में यह मानते हैं कि उन्होंने शास्त्री की छवि को फायदा पहुंचाने वाली कई खबरें लिखीं. अपनी आत्मकथा में नैयर एक और खुलासा कर चुके हैं. यह कि लालबहादुर शास्त्री की दिल्ली में समाधि बनाने के पक्ष में इंदिरा गांधी नहीं थी, मगर ललिता शास्त्री ने जब आमरण अनशन की धमकी दी तो मामले की नजाकत को समझते हुए इंदिरा को फैसला बदलना पड़ा और दिल्ली में समाधि बनवानी पड़ी.

 

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