कोस्ट गार्ड को 'सारथी' सौंपते हुए राजनाथ सिंह और मनोहर पर्रिकर.
नई दिल्ली:
समुद्री सरहद की सुरक्षा में तैनात भारतीय कोस्टगार्ड को नया समुद्री गश्ती पोत 'सारथी' मिला. गोवा में हुए एक कार्यक्रम में केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर की मौजूदगी में यह समुद्री गश्ती पोत कोस्टगार्ड को सौंपा.
'सारथी' सही मायनों में कोस्टगार्ड के देश की सेवा और सुरक्षा के प्रति इच्छाशक्ति और समर्पण को दिखाता है. 105 मीटर लंबे इस पोत की डिजाइन के साथ बनाने का काम गोवा शिपयार्ड ने किया है. अत्याधुनिक नेविगेशन, कम्युनिकेशन के साथ-साथ यह आधुनिक उपकरणों के अलावा सेंसर से लैस है. इसमें 30 एमएम गन भी लगी है. शिप को इस तरह डिजाइन किया गया है कि एक दो इंजन वाला हल्का हेलीकॉप्टर और पांच तेजी से चलने वाली नावें लेकर चल सकता है.
यह पोत तलाश और बचाव के अलावा समंदर में बिखरने वाले तेल से निपटने के लिए उपकरणों से भी लैस है. यह 2500 टन वजनी है जिसमें 9100 किलोवाट के दो डीजल इंजन लगे हैं. इसकी अधिकतम स्पीड 48 किलोमीटर प्रतिघंटा है. सारथी एक बार में समुद्र में 6500 किलोमीटर तक जा सकता है. इस पोत में 14 अधिकारी और 98 जवान तैनात हो सकते हैं.
सारथी के कोस्टगार्ड में शामिल होने से इसकी ताकत में कई गुना इजाफा होगा. इसके आने से समुद्री आतंक से निपटने में काफी मदद मिलेगी खासकर केरल और लक्षद्वीप के इलाके में.
'सारथी' सही मायनों में कोस्टगार्ड के देश की सेवा और सुरक्षा के प्रति इच्छाशक्ति और समर्पण को दिखाता है. 105 मीटर लंबे इस पोत की डिजाइन के साथ बनाने का काम गोवा शिपयार्ड ने किया है. अत्याधुनिक नेविगेशन, कम्युनिकेशन के साथ-साथ यह आधुनिक उपकरणों के अलावा सेंसर से लैस है. इसमें 30 एमएम गन भी लगी है. शिप को इस तरह डिजाइन किया गया है कि एक दो इंजन वाला हल्का हेलीकॉप्टर और पांच तेजी से चलने वाली नावें लेकर चल सकता है.
यह पोत तलाश और बचाव के अलावा समंदर में बिखरने वाले तेल से निपटने के लिए उपकरणों से भी लैस है. यह 2500 टन वजनी है जिसमें 9100 किलोवाट के दो डीजल इंजन लगे हैं. इसकी अधिकतम स्पीड 48 किलोमीटर प्रतिघंटा है. सारथी एक बार में समुद्र में 6500 किलोमीटर तक जा सकता है. इस पोत में 14 अधिकारी और 98 जवान तैनात हो सकते हैं.
सारथी के कोस्टगार्ड में शामिल होने से इसकी ताकत में कई गुना इजाफा होगा. इसके आने से समुद्री आतंक से निपटने में काफी मदद मिलेगी खासकर केरल और लक्षद्वीप के इलाके में.
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