नई दिल्ली:
हिसार लोकसभा और विभिन्न राज्यों में हुए विधानसभा उपचुनावों के नतीजे सोमवार को घोषित होंगे। सभी की नजरें हिसार पर टिकी हैं, जहां अन्ना हजारे के सहयोगियों ने कांग्रेस के खिलाफ प्रचार किया था। लेकिन कांग्रेस का कहना है कि हिसार में हार उसके लिए मायने नहीं रखती। इस बीच स्वयं अन्ना हजारे 'मौन व्रत' पर चले गए हैं। लोगों की नजर इस पर भी है। हिसार संसदीय क्षेत्र के अतिरिक्त आंध्र प्रदेश के बांसवाड़ा, बिहार के दुरौंधा, महाराष्ट्र के खदकवासला, तमिलनाडु के तिरुचिरापल्ली पश्चिम और पुड्डुचेरी के इंदिरा नगर विधानसभा सीट के लिए 13 अक्टूबर को मतदान हुआ। राजनीतिक विश्लेषकों के अनुसार, अन्ना हजारे के 'मौन व्रत' और उनके सहयोगियों के बीच मतभेद के कारण उप चुनाव के नतीजों का राजनीतिक महत्व कम होगा। विश्लेषक के. श्रीकुमार के अनुसार, "यह अच्छा है कि अन्ना नहीं बोलेंगे। उनके सहयोगी इन दिनों आपसी मतभेद के कारण चर्चा में आ रहे हैं। अरविंद केजरीवाल जहां कांग्रेस विरोधी रुख अपनाना चाहते हैं, वहीं प्रशांत भूषण की तरह अन्य किसी राजनीतिक धारा के चुनाव से पहले प्रतीक्षा करना चाहते हैं।" हिसार में हरियाणा जनहित कांग्रेस (हजकां) के नेता और पूर्व मुख्यमंत्री भजनलाल के निधन के बाद चुनाव हो रहा है। यहां से उनके बेटे कुलदीप बिश्नोई हजकां के प्रत्याशी हैं। सभी की नजरें यहां के चुनाव नतीजों पर हैं, जहां अन्ना हजारे के सहयोगियों ने कांग्रेस के खिलाफ प्रचार किया। स्वयं अन्ना हजारे हालांकि प्रचार के लिए नहीं पहुंचे लेकिन कांग्रेस को हराने वाला उनका वीडियो संदेश यहां खूब प्रसारित किया गया। पर कांग्रेस का कहना है कि हिसार में हार से न तो हरियाणा और न ही देश में पार्टी पर कोई असर पड़ेगा। हरियाणा के एक सांसद ने कहा, " यह विपक्षी दलों के लिए महत्वपूर्ण हो सकता है, हमारे लिए नहीं। 2009 के आम चुनाव में हिसार में हम तीसरे स्थान पर थे। हम इससे नीचे नहीं जा सकते।"
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