गांव बिसाहड़ा की तस्वीर
दादरी:
इस वक्त क्या है दादरी के बिसाहड़ा गांव का हाल जहां लगातार नेताओं के पहुंचने का सिलसिला जारी है। पिछले एक हफ़्ते में यहां का माहौल काफ़ी गर्म रहा है। गांववालों ने मीडिया तक को यहां घुसने से रोक दिया है, लेकिन एनडीटीवी के हमारे सहयोगी नोमान सिद्दीकी और दीपक सिंह किसी तरह गांव के प्रधान की मदद से गांव का सही हाल जानने के लिए पहुंचे। उन्होंने लोगों में जहां गुस्सा देखा, वहीं एक उम्मीद भी देखने को मिली।
यही नहीं, यहां गांव में ज्यादातर राजपूत परिवार रहते हैं। वो गांव में होने वाली दो मुस्लिम लड़कियों की शादी की तैयारियों में बढ़ चढ़कर हिस्सा ले रहे हैं। दिल्ली से तकरीबन 50 किलोमीटर दूर बसा ये बिसाहड़ा गांव बीफ खाने की अफवाह के बाद 50 साल के एक शख्स की हत्या के बाद अचानक लोगों की नज़रों में आ गया।
आज ये गांव एक किले में बदल चुका है। मीडियावालों के लिए जाना नामुकिन है। गांव प्रधान की मदद से हमारे संवाददाता किसी तरह से गांव में घुसने में कामयाब रहे, लेकिन बिना कैमरा और बिना सहयोगियों के। राजपूत महिलाएं गांव की पहरेदारी करती दिखीं। वो हर 100 मीटर की दूरी पर गुट बनाकर बैठी थीं। हर अनजान शख्स की तलाशी ले रही थीं, सवाल-जवाब कर रही थीं।
उनके निशाने पर मीडिया वाले थे जिनको वो उस रात की कहानी को पूरी दुनिया को बताने का दोषी मानती हैं। जैसे ही आप मीडिया कहते हैं, लट्ठ बजाओ..लट्ठ बजाओ का शोर महिलाएं मचा देती हैं। गांव के अंदर डरावना सा सन्नाटा है। जिस मुस्लिम परिवार को भीड़ ने निशाना बनाया वो गांव छोड़कर जा चुका है। जिन लोगों को पकड़ा गया है, उनके परिवारों का कहना है कि पुलिस ने बेकसूर लोगों को पकड़ लिया है।
गांव के ज़्यादातर लोग गुस्से में हैं, लेकिन कुछ लोग सदमे में हैं और कुछ को जो कुछ हुआ उसका अफसोस है। मोहम्मद अखलाक के एक पुराने दोस्त इनमें से एक हैं, अखलाक ने आखिरी फोन इन्हीं को किया था। लेकिन इस बंटे हुए गांव में सब कुछ नहीं खो गया है या खत्म हो गया है। उम्मीद की कहानियां भी सामने आ रही हैं...
अख़लाक के घर से महज कुछ मीटर की दूरी पर दो और मुस्लिम परिवार रहता है। इनके घरों में दो लड़कियों की शादी की तैयारी चल रही है।
दादरी में नफरत की राजनीति ने भले ही माहौल को खराब कर दिया हो, लोगों को बांटने की कोशिश की हो, इन सबके बीच इन मुस्लिम परिवारों की लड़कियों की शादी में राजपूत परिवार की मदद की कहानियां कुछ अच्छे दिन की उम्मीद जगाती हैं।
यही नहीं, यहां गांव में ज्यादातर राजपूत परिवार रहते हैं। वो गांव में होने वाली दो मुस्लिम लड़कियों की शादी की तैयारियों में बढ़ चढ़कर हिस्सा ले रहे हैं। दिल्ली से तकरीबन 50 किलोमीटर दूर बसा ये बिसाहड़ा गांव बीफ खाने की अफवाह के बाद 50 साल के एक शख्स की हत्या के बाद अचानक लोगों की नज़रों में आ गया।
आज ये गांव एक किले में बदल चुका है। मीडियावालों के लिए जाना नामुकिन है। गांव प्रधान की मदद से हमारे संवाददाता किसी तरह से गांव में घुसने में कामयाब रहे, लेकिन बिना कैमरा और बिना सहयोगियों के। राजपूत महिलाएं गांव की पहरेदारी करती दिखीं। वो हर 100 मीटर की दूरी पर गुट बनाकर बैठी थीं। हर अनजान शख्स की तलाशी ले रही थीं, सवाल-जवाब कर रही थीं।
उनके निशाने पर मीडिया वाले थे जिनको वो उस रात की कहानी को पूरी दुनिया को बताने का दोषी मानती हैं। जैसे ही आप मीडिया कहते हैं, लट्ठ बजाओ..लट्ठ बजाओ का शोर महिलाएं मचा देती हैं। गांव के अंदर डरावना सा सन्नाटा है। जिस मुस्लिम परिवार को भीड़ ने निशाना बनाया वो गांव छोड़कर जा चुका है। जिन लोगों को पकड़ा गया है, उनके परिवारों का कहना है कि पुलिस ने बेकसूर लोगों को पकड़ लिया है।
गांव के ज़्यादातर लोग गुस्से में हैं, लेकिन कुछ लोग सदमे में हैं और कुछ को जो कुछ हुआ उसका अफसोस है। मोहम्मद अखलाक के एक पुराने दोस्त इनमें से एक हैं, अखलाक ने आखिरी फोन इन्हीं को किया था। लेकिन इस बंटे हुए गांव में सब कुछ नहीं खो गया है या खत्म हो गया है। उम्मीद की कहानियां भी सामने आ रही हैं...
अख़लाक के घर से महज कुछ मीटर की दूरी पर दो और मुस्लिम परिवार रहता है। इनके घरों में दो लड़कियों की शादी की तैयारी चल रही है।
दादरी में नफरत की राजनीति ने भले ही माहौल को खराब कर दिया हो, लोगों को बांटने की कोशिश की हो, इन सबके बीच इन मुस्लिम परिवारों की लड़कियों की शादी में राजपूत परिवार की मदद की कहानियां कुछ अच्छे दिन की उम्मीद जगाती हैं।
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