'तिरंगे से सजे अख़बार मना रहे हैं 68वां गणतंत्र दिवस'

'तिरंगे से सजे अख़बार मना रहे हैं 68वां गणतंत्र दिवस'

नई दिल्ली:

सभी अख़बारों ने अपने पहले पन्ने को तिरंगे के रंगों में सजाया है. किसी ने 'वंदे मातरम' लिखा है तो किसी ने शांति के दूत सफेद कबूतरों को उड़ा कर 'गणतंत्र दिवस' मनाया है. किसी अख़बार ने अशोक चक्र के साथ अन्य शान के प्रतीकों को अलग-अलग ढंग से अपने पन्नों पर जगह दी हैं.

'अमर उजाला' ने बुर्ज खलीफा के तिरंगा होने को अपने पहले पन्ने पर जगह दी है. तीन रंग की रोशनी में नहाए दुबई के बुर्ज खलिफा की तस्वीर के साथ पत्र लिखता है, 'दुनिया की सबसे ऊंची इमारतों में से एक बुर्ज खलीफा पर छाया भारत का गणतंत्र.'
 

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पत्र में एक कोने पर जहां पद्म पुरस्कारों की घोषणा को प्रमुख ख़बर बनाया है वहीं नीचे के बैनर में पद्मश्री विजेता के दयनीय हाल को भी प्रकाशित किया है. एशियाई खलों में सोना जीतने वाले बॉक्सर डिंको सिंह पर पत्र ने सुर्खी बनाई है, 'घर बेचकर कैंसर से जंग लड़ रहे हैं पद्मश्री बॉक्सर डिंको सिंह.'

'दैनिक भास्कर' ने कश्मीर में हो रही बर्फबारी को पहले पन्ने की प्रमुख ख़बर बनाते हुए लिखा है, 'बर्फबारी में दबा सेना का कैंप, मेजर शहीद.' ख़बर में बताया गया है कि कश्मीर के विभिन्न हिस्सों में हिमस्खलन से 6 लोगों की मौत हो चुकी है.
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'जनसत्ता' ने अपने विदेश पेज पर अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के चुनावी वादे पर ख़बर बनाई है. ख़बर में लिखा है, 'मैक्सिको की सीमा पर दीवार बनाने का आदेश दे सकते हैं ट्रंप.'
 
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'नई दुनिया' अख़बार ने अपने संपादकीय में हमारे पुराने नेताओं द्वारा दिए गए गणतंत्र दिवस के सम्मान को जगह दी है. पुराने किस्से को याद करते हुए पत्र ने लिखा है, 'बहन की मौत के बावजूत गणतंत्र दिवस की परेड में पहुंचे राजेंद्र बाबू.' इसमें लिखा है कि देश के पहले राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद की बहन की मौत गणतंत्र दिवस के दिन हुई थी. उनकी बहन का शव घर पर रखा हुआ था, फिर भी देश के प्रति सम्मान के लिए वे परेड की सलामी लेने पहुंचे.
 
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'देशबंधु' ने अपने आर्थिक पन्ने पर ख़बर दी है, ' नोटबंदी से घटेंगी घर की कीमतें.' इसमें पत्र लिखता है कि नोटबंदी के कारण देश में प्रॉपर्टी की बिक्री में 20 से 30 फीसदी कमी आने का अनुमान है.

 

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