
चित्र परिचय : अयोध्या में सुरक्षा इंतजाम का फाइल फोटो
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इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ पीठ ने सोमवार को उत्तर प्रदेश सरकार को आदेश दिया कि अयोध्या चौरासी कोसी परिक्रमा के सिलसिले में शांतिभंग होने की आशंका में गिरफ्तार विहिप नेता अशोक सिंघल, प्रवीण तोगाड़िया तथा स्वामी रामभद्राचार्य को तत्काल रिहा किया जाए।
दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 151 (2) (शांतिभंग की आशंका) के तहत किसी भी व्यक्ति को 24 घंटे से ज्यादा समय तक गिरफ्तार नहीं रखा जा सकता, जब तक वह किसी अन्य मामले में वांछित ना हो।
न्यायमूर्ति इम्तियाज मुर्तजा तथा न्यायमूर्ति देवेन्द्र कुमार उपाध्याय की खण्डपीठ ने जगतगुरु स्वामी रामभद्राचार्य, सिंघल तथा तोगड़िया की ओर से स्थानीय वकील रंजना अग्निहोत्री की बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका पर यह आदेश दिया।
याचिकाकर्ता के वकील हरिशंकर जैन ने बताया कि दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 151 (2) (शांतिभंग की आशंका) के तहत अगर किसी व्यक्ति को 24 घंटे से अधिक समय तक गिरफ्तार रखा जाता है तो उसकी गिरफ्तारी अवैध होती है, जब तक कि वह किसी अन्य मामले में वांछित ना हो।
अदालत ने आदेश में कहा है कि अगर बंदी बनाए गए तीनों याचिकाकर्ता धारा 151 (2) के उल्लंघन के आरोप में निरुद्ध हैं तो उन्हें तत्काल रिहा कर दिया जाए।
उधर, राज्य सरकार ने याचिका का विरोध किया। अदालत ने राज्य सरकार को 27 अगस्त तक जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है।
गौरतलब है कि राज्य पुलिस ने कल सरकार की अनुमति नहीं होने के बावजूद अयोध्या चौरासी कोसी परिक्रमा निकालने की कोशिश कर रहे विहिप नेताओं सिंघल, तोगड़िया और रामभद्राचार्य को अलग-अलग स्थानों पर गिरफ्तार किया था।
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