इंजीनियीरग करने के बाद योगेश शर्मा ने बड़े सपने देखे थे, लेकिन पिता की बीमारी ने सारे सपनों पर पानी फेर दिया। हरियाणा के झज्जर से अपने पिता का इलाज करवाने के लिए योगेश को बार-बार दिल्ली आना पड़ता है। उनके पिता को हेपेटाइटिस-सी है, जिसके इलाज में अभी तक खर्च हुए लाखों रुपये भी कम पड़ गए, तो इस बार जमीन बेच आए क्योंकि पूरा खर्चा लाखों में नहीं बल्कि करोड़ों में जाएगा।
इंस्टिट्यूट ऑफ लीवर एंड बिलीएरी साइंसेज के डॉ अशोक चौधरी बताते हैं कि हेपेटाइटिस-सी के इलाज के लिए एक ही दवा है
जो अमेरिका से आती है और एक गोली की कीमत 62 हजार रुपये है और योगेश के पिता का इलाज कम से कम छह महीने तक होना है। जाहिर है पूरे इलाज के लिए दवा ही एक करोड़ की आएगी।
हेपेटाइटिस को लेकर बीते 17 सालों से जंग जारी है और इस मुहिम को चलाने वाले आईएलबीएस के डायरेक्टर डॉ एसके सरीन कहते हैं कि देश में हेपेटाइटिस से पीड़ितों की संख्या छह करोड़ पहुंच चुकी है और सरकार दूसरी जानलेवा बीमारियों की तरह हेपेटाइटिस-सी को भी संजीदगी से ले।
उन्हें इस बात का दर्द भी है कि हेपिटाइटिस-डे शुरू किए हुए 16 साल हो गए, लेकिन अभी तक पूरी तरह इसे आंदोलन में तब्दील नहीं किया जा सका है। डॉ सरीन के मुताबिक अगर इसे सही से लागू किया जाए तो 2080 तक इस बीमारी को जड़ से खत्म किया जा सकता है।
इस मौके पर आयोजित समारोह में कई स्कूलों के बच्चों ने भी भाग लिया। मुख्य अतिथि के तौर पर मौजूद दिल्ली के उपराज्यपाल नजीब जंग ने कहा कि हम सबकी जिम्मेदारी है कि इस बीमारी के खात्मे के लिए कोशिशों को तेज किया जाए।
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