मेंगलोर:
लोकपाल विधेयक का मसौदा तैयार करने के लिए बनी 10 सदस्यीय समिति में शामिल सामाजिक संगठन के प्रतिनिधि और कर्नाटक के लोकायुक्त एन. संतोष हेगड़े ने रविवार को अन्ना हजारे और उनकी टीम के सदस्यों से किसी प्रकार का मतभेद होने से इनकार किया। उन्होंने स्पष्ट किया कि वह मसौदा समिति की अगली बैठक में हिस्सा लेंगे। हेगड़े ने कहा कि पूर्व निर्धारित व्यस्तताओं के चलते वह सोमवार की बैठक में शामिल नहीं हो सकेंगे लेकिन वह मंगलवार की बैठक में हिस्सा लेंगे। हेगड़े ने कहा, "अपनी पूर्व व्यस्तताओं के चलते मैं सोमवार को होने वाली मसौदा समिति की बैठक में शामिल होने में असमर्थ हूं।" उन्होंने कहा, "लोकपाल विधेयक का मसौदा तैयार करने के लिए बनी समिति में शामिल सामाजिक संगठन के सदस्यों के साथ मेरा कोई मतभेद नहीं है और यही बताने के लिए मैं बैठक में हिस्सा लेने दिल्ली जाऊंगा। मैं यह मीडिया को दिखाना चाहता हूं कि मैं अन्ना की टीम के साथ हूं।" हेगड़े ने यह भी स्पष्ट किया कि उन्होंने अन्ना हजारे के अनशन के बारे में जो टिप्पणी की थी वह सिर्फ उनकी सलाह थी, जिसे गलत अर्थो में लिया गया और उसे हमारे बीच मतभेद के रूप में पेश किया गया। हेगड़े ने शनिवार को कहा था कि लोकपाल विधेयक यदि 15 अगस्त तक पारित नहीं होता है तो अन्ना हजारे को अनशन पर नहीं बैठना चाहिए बल्कि इसकी जगह वह देशभर में घूमें और लोगों से मिलें तो बेहतर होगा। उन्होंने कहा, "निजी तौर पर मेरा मानना है कि यदि अन्ना हजारे देशभर में जाएं और लोगों को भ्रष्टाचार के खिलाफ एकजुट करें तो वह उनके अनशन पर बैठने से ज्यादा बेहतर होगा। यदि वह अनशन पर बैठते हैं तो मैं उनका भरपूर साथ दूंगा।" सामाजिक संगठन की ओर से समिति में सामाजिक कार्यकर्ता अन्ना हजारे, अरविंद केजरीवाल और वरिष्ठ वकील शांति भूषण एवं उनके पुत्र प्रशांत भूषण शामिल हैं। जबकि सरकार की ओर से समिति में केंद्रीय वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी, केंद्रीय गृह मंत्री पी. चिदम्बरम, केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री कपिल सिब्बल, केंद्रीय कानून मंत्री वीरप्पा मोइली और केंद्रीय अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री सलमान खुर्शीद शामिल हैं। इस बीच प्रशांत भूषण ने जोर देकर कहा कि प्रस्तावित लोकपाल की तरह देश को एक स्वतंत्र संस्था की जरूरत है। भूषण ने नई दिल्ली में कहा, "हमें एक स्वतंत्र संस्था की जरूरत है जो भ्रष्टाचार के मामले के साथ-साथ न्यायपालिका के गलत कार्यों और दुर्व्यवहार को देखे।" उन्होंने कहा, "लेकिन संस्था विश्वसनीय होने के साथ ही वह सरकार एवं न्यायपालिका से स्वतंत्र होनी चाहिए। लोकपाल ठीक ऐसी ही एक संस्था है।"
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