असम में ग्रामीण स्वास्थ्य पेशेवरों की तैनाती को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने आज फैसला सुनाते हुए कहा कि ग्रामीण स्वास्थ्य पेशेवरों को राज्य कानून के अनुसार कोरोनावायरस जांच और सहायता के लिए तैनात किया जा सकता है. हालांकि कोर्ट ने साफ किया कि उन्हें उपचार के लिए तैनात नहीं किया जा सकता. दरअसल असम के ग्रामीण स्वास्थ्य सेवा पेशेवर कोर्ट के पास यह मांग लेकर पहुंचे थे कि उन्हें भी कोरोनावायरस उपचार के लिए तैनात किया जा सकता है. हालांकि मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया ने इसका विरोध किया और कोर्ट को बताया कि सभी एमबीबीएस डॉक्टरों को भी कोरोना के इलाज के लिए अधिकृत नहीं किया गया है. एमडी डॉक्टरों की केवल कुछ श्रेणियों को इलाज करने की अनुमति है.
ग्रामीण स्वास्थ्य सेवा डिग्री धारकों को सहायक के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है जैसे कि आशा कार्यकर्ताओं को सूचना फैलाने और सहायता के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है.सामुदायिक स्वास्थ्य पेशेवर एमबीबीएस नहीं हैं. याचिकाकर्ताओं के वकील ने कहा कि असम में हर पांच जिलों के लिए केवल एक एमबीबीएस डॉक्टर उपलब्ध है. ऐसे में पूरे राज्य में महामारी फैल रही है.
बता दें कि भारत में कोरोना वायरस का प्रकोप लगातार बढ़ता जा रहा है. मंगलवार सुबह जारी किए गए आंकड़ों के मुताबिक मरीजों की संख्या 4421 हो गई है, जबकि अभी तक 114 लोगों की मौत हो चुकी है. वहीं, 326 लोगों का उपचार हो चुका है. पिछले 24 घंटे की बात करें तो पांच मौत और 354 नए मरीज सामने आए हैं. सोमवार शाम तक पिछले 24 घंटे में कोरोना वायरस के संक्रमण के सर्वाधिक 704 नये मामले सामने आने थे. इसके साथ ही कोविड-19 से प्रभावित लोगों की संख्या 4,281 हो गई थी, जबकि मृतकों की संख्या 111 पर पहुंच गई थी.
Video: वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से होगी सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई
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