बीते 5 साल में दिल्ली में हेल्थ सेक्टर का स्वास्थ्य बहुत बिगड़ गया है और आम आदमी पार्टी ने जो वादे किए थे वह पूरे नहीं किए. यह दावा है भारतीय जनता पार्टी से जुड़े शोध संस्थान पब्लिक पॉलिसी रिसर्च सेंटर का. 'दिल्ली-वेंटीलेटर पर शहर' नाम से जारी इस रिपोर्ट में दावा किया गया है कि 2015 ने आम आदमी पार्टी ने अपने चुनावी घोषणा पत्र में दिल्ली के अस्पतालों में 30000 बेड बढ़ाने का वादा किया था लेकिन केवल 394 बेड ही जुड़ सके हैं.
पब्लिक पॉलिसी रिसर्च सेंटर के निदेशक और बीजेपी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष डॉ. विनय सहस्त्रबुद्धे ने रिपोर्ट जारी करते हुए कहा कि ऐसा नहीं है कि दिल्ली की आम आदमी पार्टी सरकार के पास पैसे की कमी थी बल्कि हालत यह रही कि पिछले 5 साल में केजरीवाल सरकार ने स्वास्थ्य पर आवंटित किए गए बजट तक को कभी पूरा खर्च नहीं किया. उन्होंने कहा, 'कई बार सरकारें संसाधन के उपलब्ध ना होने की शिकायत करती हैं कि हमारा बजट अच्छा नहीं है हमें और राशि मिलनी चाहिए, केंद्र को मदद देनी चाहिए और यहां पर यह सरकार है जिन्होंने 5 साल लगातार स्वास्थ्य और परिवार कल्याण विभाग का जितना भी आवंटित बजट था कभी भी शत प्रतिशत उसका उपयोग नहीं किया है.'
यह रिपोर्ट दावा करती है कि आम आदमी पार्टी ने दिल्ली में 900 प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र/डिस्पेंसरी खोलने का वादा किया था लेकिन एक भी नहीं खोला. हालांकि आम आदमी पार्टी की सरकार ने दिल्ली में मोहल्ला क्लीनिक खोले हैं लेकिन यह मोहल्ला क्लीनिक प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र या डिस्पेंसरी के स्तर के नहीं क्योंकि इसमें सुविधाएं इस तरह की नहीं है.
इस बारे में बीजेपी सांसद मीनाक्षी लेखी ने कहा, 'असलियत यह है कि दिल्ली सरकार ने प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र की परिभाषा रातोंरात बदल दी है. मोहल्ला क्लीनिक क्या चीज है और प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र क्या चीज है यह आप को समझना होगा. प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में इन पेशेंट सुविधा होती है, प्री नेटल फैसिलिटी और प्रसव की भी सुविधा होती है लेकिन इन्होंने इसको सब-प्राइमरी हेल्थ सेंटर के बराबर मोहल्ला क्लिनिक खड़ा कर दिया है जिसमें आपको सरदर्द की गोली तो मिल जाएगी लेकिन जच्चा बच्चा की जांच के लिए आपको डॉक्टर यहां नहीं मिलेगा.'
रिपोर्ट में दिल्ली के सरकारी अस्पतालों में स्टाफ की भारी कमी बताई गई है. रिपोर्ट के मुताबिक दिल्ली सरकार के अस्पतालों में 66% लेक्चरर, 34% डॉक्टर, 29% पैरामेडिकल स्टाफ, 22%, 40% प्रशासनिक कर्मचारी और 38 पर श्रमिकों की कमी है.
इस बारे में जब दिल्ली के उपमुख्यमंत्री और आम आदमी पार्टी के वरिष्ठ नेता मनीष सिसोदिया से पूछा गया तो उन्होंने कहा कि इस बारे में पार्टी बाकायदा प्रेस कॉन्फ्रेंस करके सारी जानकारी देगी.
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