नई दिल्ली:
सेंट स्टीफंस के प्रिंसिपल वालसन थंपू के एनडीटीवी.कॉम के लिखे गए ब्लॉग पर प्रतिक्रिया देते हुए यौन उत्पीड़न की शिकार रिसर्च स्कॉलर ने कहा है कि प्रिंसिपल ने उन्हें बरबाद करने की कोशिश की थी। महिला का आरोप है कि प्रिंसिपल ने उससे कहा था कि वह लिखित में दे कि यह पूरा मामला 'अकादमिक समस्या' थी।
एनडीटीवी की वेबसाइट पर सेंट स्टीफंस के प्रिंसिपल थंपू के ब्लॉग के जवाब में पीड़ित महिला ने कहा कि प्रिंसिपल ने प्रोफेसर डॉ सतीश कुमार को बचाने का प्रयास किया था।
महिला ने कहा, "प्रिंसिपल कभी भी मेरे साथ नहीं थे। वह केस के बेहतर तरीके से निपट सकते थे। पहले तो मुझे लगा कि वह मेरी मदद कर रहे हैं, लेकिन हकीकत में वह मेरा शोषण कर रहे थे।"
दिल्ली यूनिवर्सिटी से कैमिस्ट्री में पीएचडी कर रही इस महिला ने अपनी शिकायत में कहा है कि दो साल तक रिसर्च सुपरवाइजर डॉ कुमार उनका शोषण करते रहे हैं। महिला का कहना है कि जब वह पिछले साल प्रिंसिपल के पास शिकायत लेकर गई तो प्रिंसिपल ने कार्रवाई करने का भरोसा दिलाया, लेकिन बाद में शिकायत पर कार्रवाई करने से मना कर दिया।
आरोपी प्रोफेसर ने कॉलेज के कोषाध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया है। उन्होंने इस्तीफा तब दिया, जब कोर्ट ने उन्हें मामले में अग्रिम जमानत देने से मना कर दिया था।
बता दें कि अपने ब्लॉग में प्रिंसिपल थंपू ने कहा था कि महिला ने प्रोफेसर के खिलाफ शिकायत करने से मना कर दिया था और बार-बार कहा था कि वह यह चाहती थी कि उसी प्रोफेसर के निर्देशन में पीएचडी हो। प्रिंसिपल ने यह भी कहा कि महिला ने लिखित में कॉलेज को दिया कि इस केस को यौन-उत्पीड़न का मामला न समझा जाए और इसी अब बंद केस के रूप में मानें।
महिला का बयान है कि यह सब प्रिंसिपल के कहने पर किया गया था। महिला ने बताया कि प्रिंसिपल ने यह कहा था कि ऐसे लिखो कि इस केस को यौन-उत्पीड़ने के मामले के रूप में न देखा जाए। और जब मैंने उनसे कहा कि जब यह सही है तो क्यों न लिखा जाए, तो उनका जवाब था कि बस अभी के लिए ऐसा लिख दो।
महिला ने कहा कि मुझे शुरुआत में लगा कि वह मेरे बारे में सोच रहे हैं, मेरी डिग्री, मेरी सुरक्षा और सम्मान के बारे में सोच रहे हैं और इसलिए मैंने वह लिख दिया। लेकिन बाद में प्रिंसिपल लगातार इस बात का दबाव बनाते रहे कि मैं उन्हें यह लिखकर दूं कि यह एक 'अकादमिक समस्या' थी, जिसे मैंने अस्वीकार कर दिया।
एनडीटीवी की वेबसाइट पर सेंट स्टीफंस के प्रिंसिपल थंपू के ब्लॉग के जवाब में पीड़ित महिला ने कहा कि प्रिंसिपल ने प्रोफेसर डॉ सतीश कुमार को बचाने का प्रयास किया था।
महिला ने कहा, "प्रिंसिपल कभी भी मेरे साथ नहीं थे। वह केस के बेहतर तरीके से निपट सकते थे। पहले तो मुझे लगा कि वह मेरी मदद कर रहे हैं, लेकिन हकीकत में वह मेरा शोषण कर रहे थे।"
दिल्ली यूनिवर्सिटी से कैमिस्ट्री में पीएचडी कर रही इस महिला ने अपनी शिकायत में कहा है कि दो साल तक रिसर्च सुपरवाइजर डॉ कुमार उनका शोषण करते रहे हैं। महिला का कहना है कि जब वह पिछले साल प्रिंसिपल के पास शिकायत लेकर गई तो प्रिंसिपल ने कार्रवाई करने का भरोसा दिलाया, लेकिन बाद में शिकायत पर कार्रवाई करने से मना कर दिया।
आरोपी प्रोफेसर ने कॉलेज के कोषाध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया है। उन्होंने इस्तीफा तब दिया, जब कोर्ट ने उन्हें मामले में अग्रिम जमानत देने से मना कर दिया था।
बता दें कि अपने ब्लॉग में प्रिंसिपल थंपू ने कहा था कि महिला ने प्रोफेसर के खिलाफ शिकायत करने से मना कर दिया था और बार-बार कहा था कि वह यह चाहती थी कि उसी प्रोफेसर के निर्देशन में पीएचडी हो। प्रिंसिपल ने यह भी कहा कि महिला ने लिखित में कॉलेज को दिया कि इस केस को यौन-उत्पीड़न का मामला न समझा जाए और इसी अब बंद केस के रूप में मानें।
महिला का बयान है कि यह सब प्रिंसिपल के कहने पर किया गया था। महिला ने बताया कि प्रिंसिपल ने यह कहा था कि ऐसे लिखो कि इस केस को यौन-उत्पीड़ने के मामले के रूप में न देखा जाए। और जब मैंने उनसे कहा कि जब यह सही है तो क्यों न लिखा जाए, तो उनका जवाब था कि बस अभी के लिए ऐसा लिख दो।
महिला ने कहा कि मुझे शुरुआत में लगा कि वह मेरे बारे में सोच रहे हैं, मेरी डिग्री, मेरी सुरक्षा और सम्मान के बारे में सोच रहे हैं और इसलिए मैंने वह लिख दिया। लेकिन बाद में प्रिंसिपल लगातार इस बात का दबाव बनाते रहे कि मैं उन्हें यह लिखकर दूं कि यह एक 'अकादमिक समस्या' थी, जिसे मैंने अस्वीकार कर दिया।
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सेंट स्टीफेंस कॉलेज, वालसन थंपू, प्रिंसिपल वालसन थंपू, यौन उत्पीड़न मामला, रिसर्च स्कॉलर, प्रोफेसर सतीश कुमार, St Stephens College, Principal Walson Thampu, Sexual Harassment, Research Scholar, Prof Satish Kumar